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FOBO in Relationship: लव हो या अरेंज रिलेशनशिप में फोबो के शिकार हैं ज्यादातर जोड़े, जानिए क्या है यह

फोबो से ग्रस्त लोग वर्तमान को भूलकर भविष्य में आने वाली अनिश्चितताओं को सोचकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाते हैं। चाहे डेली रूटीन हो या रिलेशनशिप वे फियर ऑफ बैटर ऑप्शन के कारण कोई फैसला नहीं ले पाते है। ऐसे में बेहतर पाने की चाह में रहने वाले व्यक्ति धीरे धीरे तनाव का शिकार हो जाते है।
Published On: 10 Apr 2025, 08:00 pm IST
फोबो एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति निर्णय लेने में हिचकिचाते हैं। चित्र ; अडॉबीस्टॉक

ये विकल्प चुनें या न चुनें, इसी दुविधा में हर समय फंसे रहने वाले अधिकतर लोग जीवन के फैसले सही समय पर लेने में सक्षम नहीं होते है। दरअसल, वे हर पल बेहतर विकल्प की तलाश में जुटे रहते हैं, जिससे समय बर्बाद होता है और वक्त के साथ वो कार्य भी कहीं न कहीं महत्वहीन हो जाता है। ऐसे में समय रहते वो कोई फैसला नहीं ले पाते हैं। इसका उदाहरण हमें रोज़मर्रा के कई गतिविधियों से मिल जाता है। आमतौर पर टीवी रिमोट पकड़ते ही कई मिनट केवल यही डिसाइड करने में बीत जाते हैं कि अब क्या देखें। इस समस्या को फोबो कहते हैं यानि फियर ऑफ बैटर ऑप्शन। सबसे पहले समझते हैं कि फोबो क्या है और कैसे इससे राहत पाई जा सकती है (FOBO in relationship)

फोबो यानि फियर ऑफ बैटर ऑपशन किसे कहते है (What is Fear of better option)

फोबो (FOBO in relationship) एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति निर्णय लेने में हिचकिचाते हैं। उन्हें मन में कहीं न कहीं डर होता है कि वे सबसे अच्छा विकल्प नहीं चुन पाएंगे या वो बेहतर विकल्प की तलाश में जुटे रहते हैं। इससे न केवल उस व्यक्ति विशेष का जीवन प्रभावित होता है बल्कि आस पास के लोगों के लिए भी कोई भी निर्णय लेना तनावपूर्ण हो जाता है। इसी तर्ज पर साल 2004 में मनोवैज्ञानिक बैरी श्वार्ट्ज ने एक किताब लिखी। उन्होंने अपनी किताब द पैराडॉक्स ऑफ च्वॉइज़ यानि विकल्प का विरोधाभास पर रोशनी डाली थी। कुछ विशेषज्ञ इसे चवॉइज ओवरलोड या ओवरच्वॉइज़ का नाम देते हैं।

मन में कहीं न कहीं डर होता है कि वे सबसे अच्छा विकल्प नहीं चुन पाएंगे या वो बेहतर विकल्प की तलाश में जुटे रहते हैं चित्र- अडॉबीस्टॉक

फोबो से रिलेशनशिप कैसे होती है प्रभावित (How does FOBO affect relationship)

इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि फोबो (FOBO in relationship) से ग्रस्त लोग अपने वर्तमान को भूलकर भविष्य में आने वाली अनिश्चितताओं को सोचकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाते हैं। चाहे डेली रूटीन हो या रिलेशनशिप व्यक्ति फियर ऑफ बैटर ऑप्शन के कारण वे कोई फैसला नहीं ले पाते है। ऐसे में बेहतर पाने की चाह में रहने वाले व्यक्ति धीरे धीरे तनाव का शिकार हो जाते है। दरअसल, वे मन में इस बात को मान लेते हैं कि जल्द फैसला लेकर वो कोई बेहतर विकल्प को मिस न कर दें। इसके चलते अधिकतर लोग लंबे वक्त तक पार्टनर के साथ रिलेशनशिप में रहते हैं, मगर अपने रिश्ते को कोई नाम देने से कतराते हैं।

कोई भी निर्णय लेने के लिए एकाग्रता बेहद ज़रूरी है। इस स्थिति से बाहर आने के लिए मूल कारणों को समझकर अपनी सोच को नियंत्रित करके समय के साथ फैसला लें। अपने निर्णयों पर नियंत्रण पाकर तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं।

अधिकतर लोग लंबे वक्त तक पार्टनर के साथ रिलेशनशिप में रहते हैं, मगर अपने रिश्ते को कोई नाम देने से कतराते हैं।

रिलेशनशिप में महिलाओं पर फोबो का होने वाला नकारात्मक प्रभाव (Negative effects of FOBO on women in relationship)

1. मौके से चूक जाना

हर लड़की को एक ऐसे पार्टनर की तलाश होती है, जो बिना बताए हर बात को समझ जाए। मगर समय पर कोई फैसला न ले पाने के कारण अक्सर महिलाएं मौके से चूक जाती है, जिससे उनके जीवन में अकेलापन बढ़ने लगता है। फैसला लेने में की जाने वाली देरी उनकी समस्या का कारण बनने लगती है।

2. असंतुष्टि

फैसला लेने में होने वाले विलंग्ब के कारण वे हर पल निराश और असंतुष्ट नज़र आती है। ऐसे में लोग पसंदीदा व्यक्ति के साथ होने के बावजूद भी बेहतर विकल्प की तलाश में लगी रहती है। उनका मानना होता कि वे किसी बेहतर विकल्प को मिस न कर दें।

फैसला लेने में होने वाले विलंग्ब के कारण वे हर पल निराश और असंतुष्ट नज़र आती है।

3. वर्तमान के बारे में न सोचना

भविष्य की चिंताओं में घिरे रहने के कारण ऐसे लोग वर्तमान को भूल जाते हैं। वे अपने हर निर्णय में भविष्य को प्रमुखता से सामने रखते हैं। वे हर कार्य में आगे बढ़ने की जगह उसे टालने में विश्वास रखते हैं। ऐसे में मानसिक थकान बढ़ जाती है और सही डिसीज़न नहीं ले पाते हैं।

4. ऊर्जा की कमी

ऐसे लोग हर पल गहन चिंतन में रहते है, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। इससे शरीर में ऊर्जा की कमी बढ़ने लगती है। इससे जीवन में अस्थिरता बढ़ जाती है और वो ज़रूरी कार्यों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।

5. तनाव का बढ़ना

ऐसे लोगों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। वे फैसला नहीं ले पाते हैं और हर पल झुंझलाहट बनी रहती है। गहराई से बार बार हर पहलू पर विचार करने से समय की बर्बादी बढ़ने लगती है, जिससे तनाव और एंग्ज़ाइटी का स्तर बढ़ जाता है।

ऐसे लोगों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

6. निर्णय लेने की क्षमता कम होना

ऐसे लोगों की डिसीज़न पावर धीरे धीरे कमज़ोर होने लगती है। वे पार्टनर को चुनने में वक्त लगाते है, जिससे जीवन में सुनहरे मौके उनके हाथ से चूक जाते हैं। वे खुद को कमज़ोर मानने लगते है, जिसका असर उनकी ओवरऑल पर्सनैलिटी पर दिखने लगता है।

इससे बचने के उपाय (How to deal with FOBO)

1. वर्तमान में जीएं

भविष्य के बारे में सोचकर हर पल चिंतित रहने से बेहतर हैं कि आप आज में जीएं। कुछ बेहतर पाने की इच्छा रखने की जगह, वो व्यक्ति जो आपको सम्मान देता है और आपकी मुश्किल घड़ी में आपका साथ दे रहा है। उसे अपना पार्टनर बनाने से न हिचकें।

2. पार्टनर की खूबियां देखें

अपने पार्टनर से अन्य लोगों की तुलना करने की जगह उस व्यक्ति की खूबियों को पहचानने का प्रयास करें। इससे व्यक्ति खुद को खुश और हेल्दी महसूस करता है। साथ ही रिलेशनशिप में मज़बूती और विश्वास दोनों ि बढ़ने लगते है।

अपने पार्टनर से अन्य लोगों की तुलना करने की जगह उस व्यक्ति की खूबियों को पहचानने का प्रयास करें।

3. तुरंत निर्णय लेने की करें कोशिश

हर छोटे ब़ड़े फैसले में देरी करने से उसका प्रभाव रिश्ते पर भी देखने को मिलता है। इससे व्यक्ति आपको छोड़े अन्य ऑप्शन को चुन सकता है। ऐसे में जल्दी से किसी भी निर्णय को लेने की क्षमता सफलता का कारण साबित होती है।

4. खुद पर भरोसा करें

किसी भी फैसले को लेने के लिए अन्य लोगों की अधिक राय लेने से बचें और अपने निर्णय पर अडिग रहें। ज्यादा छानबीन और मूल्यांकन करने से बचें और अपनी राय पर बने रहें। सवोत्तम विकल्प पाने की चाह में व्यक्ति जीवन में पीछे छूट जाता है।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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