मंकीपॉक्स को एमपॉक्स के तौर पर भी जाना जाता है। यह एक प्रकार की ज़ूनॉटिक वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस (MPXV) की वजह से होता है। इन दिनों दुनिया भर में लोग इस वायरस से डरे हुए हैं। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि आप इसके कारणों और संक्रमण के तरीकों को समझें।
मंकीपॉक्स असल में स्मॉलपॉक्स वायरस के परिवार से ही संबंधित होता है। पहली बार इसका पता 1958 में बंदरों में चला था, लेकिन मुख्य तौर पर यह बीमारी रोडेंट यानी कुतरने वाले जानवरों में होती है। यह वायरस जानवरों और मनुष्यों, दोनों को ही संक्रमित कर सकते हैं। ऐतिहासिक तौर पर यह बीमारी मध्य और पश्चिम अफ्रीका में ही केंद्रित थी, लेकिन हाल ही में यह बीमारी अन्य क्षेत्रों में भी फैलने लगी है जिसमें यूरोप और उत्तरी अमेरिका शामिल हैं। इस वजह से अब यह बीमारी वैश्विक स्तर पर फैलने लगी है।
मंकीपॉक्स से जुड़ी चुनौतियां
हालांकि, एमपॉक्स के ज़्यादातर मामले मध्यम दर्जे के ही होते हैं, लेकिन कुछ मुश्किलें देखने को मिल सकती हैं। खास तौर पर कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह समस्या हो सकती है। इनमें शामिल हैं:
- सेकेंडरी बैक्टेरियल संक्रमण (घावों से)
- ब्रॉन्कोनिमोनिया
- सेप्सिस
- इन्सेफेलाइटिस
- आंखों के संक्रमण (जिसकी वजह से देखने की क्षमता भी खो सकती है) कुछ मामलों में, ठीक होने के बाद भी दाग-धब्बे रह सकते हैं और आंखों के आसपास के घावों की वजह से लंबी अवधि में कॉर्निया को नुकसान पहुंच सकता है
मंकीपॉक्स : कारण
मंकीपॉक्स, मंकीपॉक्स वायरस की वजह से होता है जो कि एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस होता है। जो पॉक्सवीरिडे फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित होता है। वायरस में दो अलग-अलग जेनेटिक क्लेड्स होते हैं:
• क्लेड 1 (सेंट्रल अफ्रीकन क्लेड): ज़्यादा गंभीर, मृत्यु दर अधिक होती है।
• क्लेड 2 (वेस्ट अफ्रीकन क्लेड): मध्यम स्तर का होता है, मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम होती है
इसका संक्रमण संक्रमित जानवरों, मनुष्यों या मिलावटी पदार्थों के करीबी संपर्क में आने से फैलता है। जिन क्षेत्रों में यह वायरस मूल रूप से पाया जाता है, पशुओं से मनुष्यों में इसका प्रसार मूल रूप से रोडेंट यानी कुतरने वाले जानवरों की वजह से फैलता है। हालांकि, मनुष्यों से मनुष्यों में होने वाला संक्रमण कम प्रभावी होता है, संक्रमित घावों, शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों, सांस से निकलने वाले पदार्थों, या बेडिंग और कपड़ों जैसी चीज़ों से फैलता है।
मंकीपॉक्स : महत्वपूर्ण तथ्य
एमपॉक्स का संक्रमण कई तरह से होता है: • पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण:खून, शरीर से निकलने वाले फ्लूइड या संक्रमित पशु और खास तौर पर चूहों और गिलहरियों जैसे रोडेंट के घावों से सीधे संपर्क में आने से। • मनुष्यों से मनुष्यों तक संक्रमण:करीबी और लंबे समय तक आमने-सामने के संपर्क के दौरान संक्रमित घावों, शरीर से निकलने वाले फ्लूइड या सांस से बाहर आने वाले कणों के सीधे संपर्क में आने से। इसके अलावा, यह वायरस से प्रभावित चीज़ों, सतहों या मैटेरियल (उदाहरण, बेडिंग) के माध्यम से भी फैलता है। • यौन संक्रमण:हाल ही में हुए बीमारी से फैलाव से यह पता चलता है कि करीबी शारीरिक संपर्क में रहने वाले लोगों में इस बीमारी के फैलने का खतरा काफी अधिक होता है। खास तौर पर जो लोग सेक्सुअल गतिविधियों के माध्यम से जुड़े होते हैं। यह वायरस पर्यावरण में स्थिर रहता है और लंबे समय तक सतहों पर बना रह सकता है जिससे अप्रत्यक्ष प्रसार का खतरा बढ़ जाता है। |
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एमपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य जुड़े कई तरह के उपाय करने होते हैं: • टीकाकरण:स्मॉलपॉक्स के टीके से एमपॉक्स से सुरक्षा मिलती है और जिननियोस जैसी नई वैक्सीन को खास तौर पर एमपॉक्स से बचाव के लिए अनुमति दी गई है। ये वैक्सीन लगाने की सलाह उन लोगों को दी जाती है जिनमें खतरा ज़्यादा होता है। इनमें स्वास्थ्यकर्मी और पुष्ट मामलों में लोगों के करीबी संपर्क के लोग शामिल हैं। • साफ-सफाई और संक्रमण से बचाव:समय-समय पर साबुन और पानी से हाथ धोना या एल्कोहॉल वाले हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण है। ऐसी सतहों और चीज़ों को संक्रमण से मुक्त रखने से भी बीमारी के फैलने का खतरा कम हो जाता है जो वायरस के संपर्क में आ सकती हैं। • संपर्क में आने से बचें:संक्रमित पशुओं या लोगों के सीधे संपर्क में आने से बचें। बीमारी की चपेट में आने से बचने के लिहाज से बेडिंग और कपड़े जैसी संभावित संक्रमित चीज़ों को उचित ढंग से इस्तेमाल करना भी ज़रूरी है। |
मंकीपॉक्स : लक्षण
एमपॉक्स के लक्षण मुख्य तौर पर संपर्क में आने पर 6 से 13 दिनों में सामने आते हैं, लेकिन इसमें 5 से 21 दिन तक भी लग सकते हैं। इस बीमारी की शुरुआत अक्सर खास न दिखने वाले लक्षणों से होती है, जिनमें ये लक्षण शामिल हैं:
• बुखार
• सिरदर्द
• मांसपेशियों में दर्द
• पीठ में दर्द
• ठंड लगना
• थकान
• लिंफडेनोपैथी (लिंफ नोड्स में सूजन), यह एक प्रमुख कारण है जो इसे स्मॉलपॉक्स से अलग करता है।
इन शुरुआती लक्षणों के बाद, रैश यानी खरोंच आने लगती है। रैश की शुरुआत चेहरे से होती है और यह शरीर के दूसरे हिस्सों तक फैलने लगता है जिसमें हथेली और एड़ी का हिस्सा शामिल है।
यह रैश बढ़ते हुए कई चरणों से होकर गुजरता है: मैक्यूलिस, पैपुलिस, वेसिकल्स, पुसचुलिस और आखिर में स्कैब्स जो बाद में खत्म होने लगती है। ये रैश आम तौर पर दर्दनाक और खुजली वाले होते हैं, और इसकी गंभीरता अलग-अलग व्यक्ति के हिसाब से अलग-अलग होती है।
मंकीपॉक्स : निदान
एमपॉक्स के निदान में कई तरह की जांच शामिल होती हैं:
• क्लिनिकल जांच:
डॉक्टर रैश की खासियत और बुखार व लिंफडेनोपैथी जैसे अन्य लक्षणों के बारे में जानना चाहते हैं।
• पीसीआर टेस्टिंग:
वायरस के मौजूद होने की पुष्टि के लिए खून के नमूने या घाव के अंश से पॉलीमेराज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) जैसे लैबोरेटरी टेस्ट किए जाते हैं।
• इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी:
कुछ मामलों में वायरस का पता लगाने में इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी मददगार साबित हो सकती है।
• वायरल कल्चर:
हालांकि, इसका इस्तेमाल बहुत ही कम मामलों में होता है, लेकिन फिर भी वायरल कल्चर बीमारी का पता लगाने में मदद कर सकता है।
मंकीपॉक्स : उपचार
एमपॉक्स के लिए किसी खास तरह के एंटीवायरल उपचार को अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि, ज़्यादातर मामले कुछ लक्षणों तक सीमित होते हैं और मरीज़ देखभाल से ठीक हो जाते हैं। इनमें शामिल हैं:
• हाइड्रेशन: डिहाइड्रेशन से बचने के लिए फ्लूइड का स्तर बनाए रखना।
• दर्द से राहत: बुखार और दर्द जैसे लक्षणों से बचने के लिए दवाएं।
• एंटीवायरल उपचार: टेकोविरीमैट (टीपॉक्स) जैसी दवाओं ने एमपॉक्स के गंभीर मामलों के उपचार में अच्छी भूमिका निभाई है, खास तौर पर उन लोगों में जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो। सिडोफोविर जैसे एंटीवायरल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
मंकीपॉक्स : संबंधित प्रश्न
क्या मंकीपॉक्स घातक है?
ज़्यादातर मामले मध्यम स्तर के होते हैं और घातक नहीं होते हैं, लेकिन कुछ लोगों में यह बीमारी घातक हो सकती है। खास तौर पर, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में। वायरस क्लेड के हिसाब से मृत्यु दर 0 से 11 फीसदी तक हो सकती है।
मंकीपॉक्स से उबरने में कितना समय लगता है?
तबीयत ठीक होने में 2 से 4 हफ्तों तक का समय लग सकता है। इस दौरान, स्कैबिंग के खत्म होने और पूरी तरह ठीक होने से पहले घाव कई स्तर से होकर गुजरता है।
क्या मंकीपॉक्स हवा से फैल सकता है?
हालांकि, सांस से आने वाले कणों से यह वायरस फैल सकता है, खास तौर पर करीबी और लंबे समय तक संपर्क में रहने पर, लेकिन यह कोविड-19 जैसी हवा से फैलने वाली बीमारी नहीं है।
किन लोगों को मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीन लेनी चाहिए?
टीकाकरण कराने की सलाह उन लोगों को दी जाती है जिनमें जोखिम ज़्यादा होता है। इनमें स्वास्थ्यकर्मी, ऑर्थोपॉक्सवायरस हैंडल करने वाले लैबकर्मी और पुष्ट तौर पर बीमारी का सामना कर रहे लोगों के करीबी संपर्क शामिल हैं।
क्या मंकीपॉक्स, स्मॉलपॉक्स से संबंधित है?
हां, मंकीपॉक्स काफी करीबी से स्मॉलपॉक्स से जुड़ा हुआ है, हालांकि यह उतना गंभीर नहीं है। स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन से कुछ हद तक स्मॉलपॉक्स से सुरक्षा मिलती है।