अधूरी नींद मूड खराब ही नहीं करती, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ा सकती है, जानिए कैसे
पर्याप्त नींद लेना हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। ख़राब नींद से ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है। ऊर्जा की कमी हो सकती है। लंबे समय तक नींद की कमी से हृदय रोग और मधुमेह जैसी पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। नींद का मूड पर भी प्रभाव पड़ता है। मूड स्विंग या खराब मूड के साथ सोने पर हमारी नींद प्रभावित (how sleep impacts mood) होती है। कुछ तरीके से नींद की आदतों में सुधार लाया जा सकता है।
मूड कैसे प्रभावित करता है नींद को (The Link Between Mood and Sleep)
अक्सर जब हम रात में पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं, तो सुबह अच्छा महसूस नहीं करते हैं। इसके कारण गुस्सा, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। एनर्जेटिक महसूस करने की बजाय हम थकान महसूस करते हैं। स्लीप हेल्थ पर आधारित कयूरियस जर्नल के अनुसार, नींद और मूड एक दूसरे से जुड़े हैं। यदि हमें रात भर अच्छी नींद नहीं आती है, तो दूसरे दिन हम जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया कर सकते हैं। खराब मूड के कारण एंग्जायटी, स्ट्रेस, डिप्रेशन की फीलिंग हो सकती है। वहीँ दूसरी ओर खराब मूड के साथ या किसी प्रकार के तनाव के साथ हम सोते हैं, तो हमारी नींद प्रभावित हो जाती है। साउंड स्लीप लेने में दिक्कत हो जाती है।
अधूरी नींद से बढ़ जाता है मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का जोखिम (Poor Sleep increases risk of Mental Health Disorder)
जेएमआईआर मेंटल हेल्थ जर्नल के अनुसार, लंबे समय तक नींद की कमी से हृदय रोग और मधुमेह जैसी क्रोनिक हेल्थ डिजीज का खतरा बढ़ सकता है। यह मूड पर काफी असर डाल सकता है। नींद न आना और मेंटल हेल्थ डिसआर्डर आपस में जुड़े हुए हैं। यह दोनों तरीकों से काम कर सकता है। नींद की कमी मूड को प्रभावित कर सकती है।
अच्छी नींद लेने के बाद आपका मूड भी बढ़िया होता है। स्टडी में नींद की कमी से लोगों में नकारात्मक मनोदशा (how sleep impacts mood) जैसे कि क्रोध, निराशा, चिड़चिड़ापन, उदासी अधिक देखा गया। दिल तेजी से धड़कता है और सांसें भी तेज चलती हैं। इससे सकारात्मक मनोदशा कम हो जाती है। नींद न आना मेंटल डिसऑर्डर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
अनिद्रा से बढ़ जाती हैं मनोवैज्ञानिक समस्याएं (Insomnia and Depression)
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, अमेरिका के स्लीप हेल्थ सेंटर्स के चिकित्सा निदेशक और हार्वर्ड में प्रशिक्षक डॉ. लॉरेंस एपस्टीन कहते हैं, ” मनोवैज्ञानिक समस्याओं और नींद के बीच एक बड़ा संबंध है। जो लोग उदास या चिंताग्रस्त पाए जाते हैं, उन्हें अक्सर नींद में परेशानी होती है। सोने में कठिनाई कभी-कभी अवसाद का पहला लक्षण बन जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि अनिद्रा से पीड़ित 15 -20 प्रतिशत लोगों में अवसाद (Mood and Poor Sleep) प्रमुख रूप से विकसित हो जाता है।”
अच्छी नींद लाने में मदद कर सकते हैं ये उपाय
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, अच्छी नींद लाने वाली आदतों को स्लीप हाईजीन (Sleep Hygiene) कहा जाता है। ये आदतें रात में अच्छी नींद लेने में मदद कर सकती हैं। ये उपाय आपके मूड को भी बेहतर कर सकते हैं।
1 रूटीन का पालन करें (Be consistent) : हर रात एक ही समय पर सोएं। यह आदत सप्ताहांत में भी नहीं बदलें। हर सुबह एक ही समय पर उठने की आदत डालें। इसका साकारात्मक प्रभाव आपके मूड (how sleep impacts mood) पर भी पड़ता है।
2 शांत वातावरण ( Comfortable Environment) : शयनकक्ष शांत, अंधेरा, आरामदायक हो। सोने वाली जगह का तापमान आरामदायक हो। न अधिक गर्मी और न अधिक ठंड का वातावरण हो। सोने से एक घंटे पहले टीवी, कंप्यूटर और स्मार्ट फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट हटा दें।
3 भारी भोजन से बचें (Light Food for Good Sleep) : सोने से पहले भारी भोजन नहीं करें। गरिष्ठ भोजन नींद में खलल पैदा करते (how sleep impacts mood) हैं। कैफीन और शराब से बचें।
4 योग और ध्यान (Yoga and Meditation) : सोने से पहले ब्रीदिंग योग जैसे कि अनुलोम-विलोम करें। सोने से पहले 10 मिनट का ध्यान अच्छी नींद लाने में मदद कर सकता है। दिन के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से भी रात में अधिक आसानी से नींद आ सकती है।
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