Kleptomania : जानिए क्या है यह समस्या, जो किसी को अकेलेपन और अवसाद की तरफ भी धकेल सकती है
रतन अपने छोटे भाई अमन से बहुत परेशान है। वो उसे कहीं ले जाने से घबराता है। कहीं अमन ने कुछ चुरा लिया, तो रतन की मिट्टी पलीद हो जाएगी! माने अमन चोर है? पहले रतन को भी यही लगता था। पर एक दिन वो नेटफ्लिक्स की एंथोलॉजी ‘रे’ देख रहा था। इसकी मनोज बाजपेयी वाली कहानी ‘हंगामा है क्यों बरपा’ ख़त्म करते-करते उसका माथा ठनका। मनोज बाजपेयी में उसे अमन दिखा।
यानी जैसे पर्दे के अंदर मनोज का किरदार चोरी करता है, लेकिन चोर नहीं है। ऐसा ही कुछ अमन के साथ भी है। वो चोरी करता है, पर चोरी उसका पेशा नहीं, आदत है। ‘रे’ देखते हुए रतन ने जाना, इस बीमारी को कहते हैं क्लैप्टोमेनिया (kleptomania)। जिसमें न चाहते हुए भी चोरी करना, चोरी करके खुश होना शामिल होता है। क्लैप्टोमेनियक्स (kleptomania symptoms) का चोरी करने का कोई मकसद नहीं होता, वे सिर्फ़ चोरी करने के लिए चोरी करते हैं।
आइए समझते हैं चोरी और क्लेप्टोमेनिया का अंतर
चोरी दो तरह की होती है। चोर भी दो तरह के होते हैं। एक जो गिरोहबंद तरीके से चोरी करते हैं और दूसरे अकेले चोरी करते हैं। इन दोनों में एक बात कॉमन होती है, वो है प्लैनिंग। कलेप्टोमेनिया के मरीज़ यहीं इनसे अलग हो जाते हैं। वे प्लैनिंग नहीं करते, न ही किसी से मदद लेते हैं। वे चोरी करते हुए किसी को नुकसान भी नहीं पहुंचाते, पर चोरी करते हैं।
हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें चोरी करने वाला व्यक्ति बेहद संपन्न परिवार से है। कुल मिला कर बात ये कि कलेप्टोमेनिया एक साइकोलॉजिकल बीमारी है। बेवजह कुछ न कुछ चुराते रहने की बीमारी। बात अजीब है पर ये है सच। अब सवाल ये उठता है कि कोई ऐसा करता ही क्यों है। ये बीमारी होती कैसे है और इसके लक्षण और इसका इलाज क्या हैं?
पहले समझिए कलेप्टोमेनिया के कारण?
कलेप्टोमेनिया एक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति का अपनी भावनाओं और बिहेवियर पर नहीं नियंत्रण होता। इसको लेकर लोगों में बहुत सारे मिथ पॉपुलर हैं, लेकिन इसका सही और सटीक कारण किसी को नहीं पता। शोधकर्ताओं ने कुछ सम्भावित कारणों पर बात की है पर किसी निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुच पाए।
कुछ थ्योरी से पता चलता है कि ब्रेन में सेरेटोनिन नामक केमिकल से होने वाले बदलाव से चोरी करने की इच्छा होती है, लेकिन इस पर सभी एक्सपर्ट्स सहमत नहीं हैं। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि ये एक प्रकार का एडिक्शन है। चोरी करने से ब्रेन में डोपामाइन रिलीज़ होता है ये मन में किसी जीत या इनाम मिलने वाली खुशी पैदा करता है। यही कारण चोरी करने के लिए बार-बार उकसाता है। जिसे वह कंट्रोल करने में असमर्थ होते हैं। कारणों को और बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
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क्या हैं क्लेप्टोमेनिया के लक्षण
- बार-बार चोरी पकड़े जाने पर भी, जेल जाने से बेल मिलने तक, चोरी का ये सिलसिला जारी रहता है।
- क्लेप्टोमेनियक्स उन चीजों को चुरा लेते हैं, जिसकी उन्हें कतई ज़रूरत नहीं होती।
चोरी करने बाद ख़ुशी या संस्तुष्टि महसूस करना, थोड़ी बहुत टेंशन हुई तो चोरी कर के राहत महसूस करना। - चोरी करने के बाद गिल्ट महसूस होना और इसके कारण अवसाद में रहना। चाह कर भी ख़ुद को चोरी करने से रोक न पाना जैसे लक्षण क्लेप्टोमेनिया के हो सकते हैं।
क्लेप्टोमेनिया कितना खतरनाक है?
चोरी करना अपने आप में ही एक खतरनाक काम है। चोरी करने से जेल हो सकती है और पकड़े जाने पर बेजइज्जती और पिटाई भी। एक सभ्य समाज में चोरी करना रिस्की काम है। इसलिए जरूरी है इसका ट्रीटमेंट और मैनेजमेंट। इस बीमारी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि समाज पीड़ित व्यक्ति को बीमार नहीं समझता और बुरी नजर से देखता है। जिसके कारण मरीज़ के मानसिक स्वास्थ्य पर और बुरा असर पड़ता है। उसकी नौकरी जा सकती है और दोस्त साथ छोड़ सकते हैं। ऐसे में वह व्यक्ति शराब और ड्रग्स का आदि हो सकता है।
जानिए कैसे किया जा सकता है क्लेप्टोमेनिया का उपचार
इसके लिए जरूरी है लक्षणों को पहचान पर मनोचिकित्सक से सलाह ली जाए। यहां बता दें कि क्लेप्टोमैनिया के कारण स्पष्ट नहीं हैं, तो इसका कोई तयशुदा उपचार नहीं है। मरीजों की काउंसिलिंग से उनके चोरी करने के बिहेवियर को मैनेज किया जा सकता है। दरअसल हम सभी की सीखने और समझने की क्षमता अलग है। सभी लोगों की तरह क्लेप्टोमेनिक व्यक्ति के तट्रीटमेंट के लिए उनकी जरूरतों, क्षमताओं और सीखने की शैली को समझना ज़रूरी है।
कई सारी ऐसी साइकोथेरेपी हैं, जिससे पीड़ित के जीवन और स्थिति में सुधार किया जा सकता है। इन थेरेपीज़ से स्थिति में बेहतरी हो सकती है। इसके लिए सबसे ज़रूरी है लक्षणों को जल्दी से जल्दी पहचान लेना।
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