डियर न्यू मॉम, आपके पार्टनर को भी करना पड़ सकता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन का सामना
पैरेंटहुड माता-पिता के लिए एक अलग ही अनुभव होता है। क्योंकि उनके बच्चे के जन्म के बाद उनकी जिंदगी छोटी- छोटी खुशियों से भर जाती है। हालांकि, कई बार माता-पिता दोनों ही अपने मानसिक स्वास्थ्य के साथ संघर्ष कर रहे होते हैं, जैसे बच्चे का बार-बार परेशान करना, रातों की नींद खराब करना और कई बदलाव जो बच्चे के जन्म के बाद लगातार महसूस होते हैं। ये दोनों में ही डर और चिंता पैदा कर सकते हैं। और ये सिर्फ नई मां में ही नहीं, नए पिता में भी हो सकते हैं। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा, नए पिता को भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum depression in new fathers) का सामना करना पड़ सकता है।
आप सभी ने न्यू मदर्स में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते है कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन नए पिता को भी हो सकता है। बच्चे की छोटी से छोटी हर जरूरत का ध्यान रखना चाहे नींद की कमी हो या फाइनेंस हैंडल करना और माता-पिता के रूप में नयी जिम्मेदारियां निभाना। पुरुष भी पीपीडी (Parental postpartum depression) से पीड़ित हो सकते हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है?
एक तरह का डिप्रेशन जो बच्चे के जन्म के बाद होता है। भावनात्मक उतार-चढ़ाव आना, बार-बार रोना, थकावट होना, चिंता और अपने नवजात बच्चे का ख्याल रखने और देखभाल करने में परेशानी होना माता-पिता में पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने के लक्षण हैं। बच्चा होने के बाद, माता और पिता दोनों शारीरिक, भावनात्मक, आर्थिक और सामाजिक बदलावों से गुजरते हैं, जिससे पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है।
पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के क्या लक्षण हैं?
महिलाएं और पुरुष दोनों में प्रीनेटल और पोस्टपार्टम डिप्रेशन का अनुभव अलग-अलग होता हैं। पुरुषों में कुछ अलग लक्षण दिख सकते है, जैसे कि थकावट, नींद या खाने की आदतों में बदलाव। लेकिन वह दुनिया के सामने अपनी भावनाएं व्यक्त करना पसंद नहीं करते। ज्यादातर नए पिता अपनी भावनाओं को दबा कर रखते हैं, जो बाद में उन्हें बहुत नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि इसकी पहचान करना भी मुश्किल है।
पेटर्नल प्रीनेटल या पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने से कुछ मुख्य लक्षण –
- गुस्सा आना या आक्रामक व्यवहार करना
- शराब और दवाइयों के सेवन के कारण बिहेवियर में बदलाव आना।
- चिड़चिड़ा होना
- मोटिवेशन की कमी होना।
- अपने नवजात बच्चे को संभालने में मुश्किल होना।
- हमेशा डर, घबराहट, लाचारी महसूस करना और भविष्य के बारे में आशंका रहना।
- अपनी शादीशुदा जिंदगी में लड़ाईया और परेशानियां होना या कपल के बीच शारीरिक सम्बन्ध की कमी होना।
- टेस्टोस्टेरोन की कमी होना
पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के मुख्य कारण इस प्रकार है-
1. पेरेंटल एजुकेशन की कमी
अधिकतर माता-पिता जो अपनी सोशल और फाइनेंशियल प्लानिंग किये बिना अपने बच्चे को दुनिया में लाते है, और उसके बाद अत्यधिक चिंता का सामना करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे की देखभाल करना सीखना एक बड़ी चुनौती की तरह है। पीपीडी एक वायरस की तरह फैल सकता है, जिससे माता और पिता दोनों में इमोशनल स्ट्रेस और टेंशन पैदा हो सकती हैं। पिता के लिए पालन-पोषण की मुश्किलों को समझना जरूरी होता है जिससे वह इसके कारणों या लक्षणों को जानें और समय पर उसका उपचार कर सके।
2. हार्मोन में बदलाव
न्यू मदर्स की तरह पिता भी हार्मोनल चेंजिस की वजह से पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता हैं। जब बच्चा पैदा होता है, तो पिता में भी टेस्टोस्टेरोन और वैसोप्रेसिन जैसे हार्मोन में बदलाव आता हैं।
3. मेरिटल रिलेशनशिप
मरिटेल रिलेशनशिप की स्थिति प्रेगनेंसी से शुरू होकर और मदरहुड के दौरान बदल सकती है। वैवाहिक संबंध की स्थिति को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, पति-पत्नी का समर्थन और वैवाहिक असंतुष्टि, दोनों ही पैतृक मनोदशा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
अन्य कारण जिन पर ध्यान देना जरूरी है –
- 25 वर्ष से कम आयु के पिताओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन सिर्फ उम्र ही इसका एक जोखिम कारक नहीं है।
- फाइनेंशियल स्ट्रेस, चिंता और कोई पुरानी मानसिक बीमारी सभी महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं।
- पिता में डिप्रेशन अक्सर भावनात्मक कारणों, गलत चीजों के उपयोग और सोशल और बिहेवियर से जुड़े मुद्दों से भी जुड़ा होता है। जब किसी पिता को इन लक्षणों के साथ पीपीडी भी होता है, तो बीमारी ज्यादा गंभीर हो जाती है। जिससे मां और बच्चे के रिश्ते पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
- बच्चे का रोना या गंभीर निर्भरता पुरुषों में पीपीडी के अन्य जोखिम कारकों में शामिल है। साथ ही पार्टनर द्वारा छोड़े जाने का स्ट्रेस भी एक बड़ा कारण है।
पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के उपचार के तरीके
अपनी मदद खुद करना ही काफी नहीं है, हो सकता है नए पिता को किसी प्रोफेशनल की मदद की जरूरत हो। प्रेग्नैंसी या पोस्टपार्टम के दौरान एक या कई थेरेपी का सहारा लेना नये पिताओं को अपने डिप्रेशन का सामना करने में मदद कर सकती है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के उपचार के लिए निम्नलिखित तरीके आजमाए जा सकते है –
- टॉक थेरेपी, या साइकोथेरेपी
- ऐसी मेडिसिन जो मन और भावना को असर डाल सके।
- अगर माता-पिता दोनों डिप्रेस्ड हो या उनका रिश्ता मुश्किल में हो दोनों को कपल्स थेरेपी की जरूरत है।
- एक्सरसाइज, मालिश और एक्यूपंक्चर
अगर आपका पार्टनर भी हमेशा उदास और परेशान महसूस करता है। तो आपको जल्द से जल्द अपने डॉक्टर या किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मदद लेनी चाहिए।
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