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40 के बाद आपको देना चाहिए अपने एस्ट्रोजन लेवल पर ध्यान, जानिए इसे कैसे बैलेंस रखना है

सेक्सुअल डिजायर की कमी से लेकर आपके वेजाइनल हेल्थ जो भी प्रभावित कर सकता है एस्ट्रोजेन का असंतुलित स्तर, हम बता रहे हैं इसे बैलेंस करने के 5 प्रभावी तरिके।
एस्ट्रोजन लेवल को कुछ उपाय अपनाकर संतुलित रखा जा सकता है | चित्र : शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Updated: 7 Aug 2023, 18:09 pm IST
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आजकल ज्यादातर महिलाओं को हार्मोनल इमबैलेंस की शिकायत रहती है। इन्हीं हॉर्मोन्स में से एक है एस्ट्रोजेन। यह महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स से संबंधित होता है। साथ ही यह फीमेल सेक्सुअल एक्टिविटीज को भी रेगुलेट करता है। आमतौर पर महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजेन इमबैलेंस का सामना करना पड़ता है। परंतु कई ऐसी स्थितियां भी हैं, जैसे लो बॉडी वेट और न्यूट्रिशन की कमी जब मेनोपॉज के अलावा भी महिलाओं को एस्ट्रोजेन असंतुलन का सामना करना पड़ सकता है। खासताैर से 30 और 40 की उम्र के बाद। यहां हम एस्ट्रोजन की आवश्यकता और उसे संतुलित रखने के उपायों के बारे में बता रहे हैं।

इस दौरान कई शारीरिक लक्षण नजर आते हैं, जिन्हें पहचानना और समय रहते इस स्थिति के प्रति सचेत होने बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, इस स्थिति पर आप स्वयं नियंत्रण पा सकती हैं। इसके लिए केवल आपको अपनी डाइट और नियमित गतिविधियों में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है।

हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर मैत्री वुमन की संस्थापक, सीनियर कंसलटेंट गायनोकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉक्टर अंजली कुमार से सलाह ली। उन्होंने एस्ट्रोजेन को संतुलित करने के कुछ प्रभावी टिप्स दिए हैं। तो चलिए जानते हैं इसे किस तरह रखना है संतुलित (how to balance estrogen)।

योनि स्वास्थ्य पर पड़ता है असर. चित्र : एडॉबीस्टॉक

पहले समझें एस्ट्रोजेन इम्बैलेंस होने पर नजर आने वाले लक्षण

टेंडर ब्रेस्ट
रात को पसीना आना
इरेगुलर और मिस्ड पीरियड्स
सेक्स के दौरान अधिक दर्द का अनुभव
सेक्सुअल डिजायर की कमी
मूड स्विंग्स और पीएमएस
हॉट फ्लैशेज
वेट गेन
थकान

अब जानें एस्ट्रोजेन को बैलेंस करने के कुछ प्रभावी टिप्स (how to balance estrogen)

1. डाइट में शामिल करें पर्याप्त प्रोटीन

प्रोटीन न केवल आपके शरीर में एमिनो एसिड की मात्रा को बरकरार रखता है बल्कि यह आवश्यक बॉडी हॉर्मोन्स को भी बढ़ावा देता है। प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पेप्टाइड हॉर्मोन्स को बढ़ावा देती हैं यह हॉर्मोन भूख को नियंत्रित कर आपको ओवर ईटिंग करने से रोकता है जिससे की आप एक्स्ट्रा कैलोरी नहीं लेती और आपका वजन संतुलित रहता है। एस्ट्रोजेन को संतुलित रखने के लिए एक्सपर्ट वेट मैनेजमेंट पर ध्यान देने की सलाह देती हैं।

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2. वेट मैनेजमेंट है सबसे महत्वपूर्ण

असंतुलित वजन हार्मोनल इम्बैलेंस का एक सबसे बड़ा कारण है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन की माने तो ओबेसिटी रिप्रोडक्टिव हॉर्मोन जैसे की एस्ट्रोजेन और टेस्टेस्टेरोन के गिरते स्तर का कारण होती है। जिसकी वजह से महिलाओं का ओव्यूलेशन नाकारात्मक रूप से प्रभावित होता है और यह इनफर्टिलिटी का एक सबसे बड़ा कारण हो सकता है।

ऐसे में बैलेंस डाइट और नियमित एक्सरसाइज की मदद से आप अपने वजन को संतुलित करते हुए हॉर्मोन्स को बैलेंस रख सकती हैं। नियमित रूप से खुदको कुछ देर तक सक्रीय रखें, कई बार शारीरिक स्थिरता भी आपके सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

जानें कब होती है गट हेल्थ पर है ध्यान देने की जरूरत। चित्र : एडॉबीस्टॉक

3. गट हेल्थ का ध्यान रखें

आपके गट में हजारो प्रकार के अच्छे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जो कई प्रकार के मेटाबोलाइट प्रोड्यूस करते हैं वहीं यह आपके हॉर्मोन्स को नकारात्मक तथा सकारत्मक दोनों ही रूप से प्रभावित कर सकते हैं। पब मेड सेंट्रल के अनुसार गट माइक्रोबायोम इंसुलित रेजिस्टेंस और आपको संतुष्टि प्रदान करते हुए हॉर्मोन्स को रेगुलेट करते हैं।

असंतुलित पाचन क्रिया मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती है साथ ही साथ यह आपके वेट गेन का भी कारण बन सकती है। इतना ही नहीं यह इंसुलित रेजिस्टेंस और इन्फ्लेमेशन को भी बढ़ावा देती है। यह सभी फैक्टर रिप्रोडक्टिव हॉर्मोन एस्ट्रोजेन को असंतुलित कर सकते हैं।

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ऐसे में पर्याप्त मात्रा में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पियें ताकि बॉडी टॉक्सिन्स बाहर निकल आये। इसके अलावा अनहेल्दी खाद्य पदार्थ जैसे की फ्राइड और स्पाइसी फूड्स से पूरी तरह से परहेज करने की कोशिश करें।

4. नियंत्रित रखें शुगर इंटेक

सिमित मात्रा में चीनी का सेवन तमाम रूपों में आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। शुगर अवॉयड करने से डायबिटीज, ओबेसिटी और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है जिससे की हॉर्मोन्स को संतुलित रखना आसान हो जाता है।

इस स्थिति में एडेड शुगर युक्त ड्रिंक या खाद्य पदार्थ दोनों से दुरी बनाये रखें। वहीं आर्टिफीसियल स्वीटनर्स भी परेशानी का कारण बन सकते हैं। एनर्जी ड्रिंक के नाम पर एडेड शुगर युक्त ड्रिंक्स की जगह फ्रेश फ्रूट जूस पियें। हालांकि, फलों के जूस की मात्रा का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है।

मेंटल और फिजिकल हेल्थ की देखभाल करने के लिए तनाव दूर करना सबसे जरूरी होता है। चित्र : शटरस्टॉक

5. स्ट्रेस मैनेजमेंट और हेल्दी स्लीप है जरुरी

तनाव हार्मोनल असंतुलन का एक बड़ा कारण है, वहीं नींद और तनाव भी एक दूसरे से जुड़े हुए है। यदि आप तनाव में हैं तो आपको नींद की कमी हो सकती है, वहीं यदि आप रात को देर से सोती हैं या उचित नींद नहीं ले रही तो यह तनाव को बढ़ावा दे सकता है। तनाव की स्थिति में स्ट्रेस हॉर्मोन्स का बढ़ता स्तर एस्ट्रोजेन के स्तर को प्रभावित कर सकता है, जिसकी वजह से आपको सेक्स ड्राइव की कमी या वेजिनल ड्राइनेस जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे में स्ट्रेस मैनेजमेंट के तरीकों पर काम करने की आवश्यकता होती है, इसके लिए आप मैडिटेशन कर सकती हैं या चाहें तो खुले वातावरण में कुछ समय बिताएं। इसके अलावा समय से सोने का प्रयास करें। असमय नैप न लें और खुदको शारीरिक रूप से सक्रीय रखें जिससे की नींद प्राप्त करने में आसानी होगी।

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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