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यूरोप में फैल रहा है पैरट फीवर, जानिए क्या हैं इस बुखार के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

पैरट फीवर मनुष्यों को होने वाला रेस्पिरेटरी डिजीज है। यह संक्रमित पक्षियों और पोल्ट्री के संपर्क में आने से होता है। पर क्या इससे किसी व्यक्ति की मौत भी हो सकती है? आइए समझने की कोशिश करते हैं।
पैरट फीवर एक रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है, जो क्लैमाइडिया परिवार के बैक्टीरिया के कारण होता है। चित्र- शटर स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 19 Mar 2024, 16:44 pm IST
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मौसमी बुखार के अलावा, कई अन्य तरह के बुखार बड़ी आबादी को समय-समय पर प्रभावित करते रहते हैं। मंकी फीवर, एवियन फ़्लू के अलावा कई अन्य तरह के पैथोजेन्स से भी बुखार हो जाते हैं। पशु-पक्षियों से इनका संक्रमण मनुष्यों तक पहुंचते हैं। इन दिनों यूरोप में पैरट फीवर (Parrot fever) तेजी से फ़ैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यूरोप में सिटाकोसिस नामक एक दुर्लभ बैक्टीरियल इन्फेक्शन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे ही पैरट फीवर कहा जाता है। यह (Parrot fever) ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्वीडन और नीदरलैंड सहित कई यूरोपीय देशों में फैल गया है।

क्या है पैरट फीवर (what is Parrot fever)

पैरट फीवर एक रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है, जो क्लैमाइडिया परिवार के बैक्टीरिया के कारण होता है। यह जंगली और पालतू दोनों तरह के पक्षियों को संक्रमित करता है। अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, मनुष्यों में बीमारी का संचरण मुख्य रूप से संक्रमित पक्षियों के सूखे ओरल ड्रॉप्स और सीक्रेशन से होता है। ओरल ड्रॉप्स और सीक्रेटिव सब्स्टांस धूल कणों में मिल जाते हैं, जो सांस लेने से मनुष्यों के स्वसन तंत्र तक पहुंच जाते हैं।
आमतौर पर पक्षी के काटने और उनकी चोंच के मुंह से संपर्क के माध्यम से लोग संक्रमित हो सकते हैं। मानव-से-मानव में संचरण संभव है, लेकिन दुर्लभ है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि पैरट फीवर का कारण बनने वाला बैक्टीरिया मुर्गे तैयार करने या खाने से फैलता है।

समझें सिटकोसिस को (Psittacosis)

सिटाकोसिस (Psittacosis) पक्षियों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसके परिणामस्वरूप संक्रमित होने वाले लोगों में फ्लू जैसी बीमारी या गंभीर निमोनिया हो सकता है। यह रोग क्लैमाइडिया सिटासी (Chlamydia psittaci) नामक पैरासाइट के कारण होता है। तोते और अन्य पक्षी इस जीव के करियर हो सकते हैं और मनुष्यों में बीमारी फैला सकते हैं।

सिटाकोसिस से संक्रमित होने वाले लोगों में फ्लू जैसी बीमारी या गंभीर निमोनिया हो सकता है। चित्र : अडॉबी स्टॉक

सबसे अधिक जोखिम किन लोगों को है (Parrot fever risks)

पैरट फीवर से पीड़ित होने का सबसे अधिक जोखिम उन लोगों को होता है, जो पक्षियों और पोल्ट्री के साथ काम करते हैं और उनके संपर्क में आते हैं। इनमें पेट ओनर, पोल्ट्री एम्प्लॉई और एनिमल डॉक्टर हो सकते हैं। साथ ही एवियरी और पालतू पशु-पक्षियों की दुकान के मालिक शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2023 के बाद से पैरट फीवर के अधिकांश मामलों में जंगली और घरेलू पक्षियों के संपर्क में आने की सूचना मिली है।

क्या हैं पैरट फीवर के लक्षण (Parrot fever Symptoms)

पैरट फीवर के लक्षणों में बुखार और ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और सूखी खांसी शामिल हैं। अधिकांश संक्रमित लोगों को बैक्टीरिया के संपर्क में आने के पांच से 14 दिनों के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ लोग अधिक गंभीर जटिलताओं का अनुभव कर सकते हैं। उन्हें अस्पताल में दाखिल करने की आवश्यकता होती है। उन्हें निमोनिया, एंडोकार्डिटिस, हेपेटाइटिस और नसों या मस्तिष्क की सूजन हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होती हैं।

कैसे किया जाता है उपचार (Parrot fever treatment)

पैरट फीवर के मरीजों का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है और वे आमतौर पर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। डॉक्सीसाइक्लिन या टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक क्लैमाइडिया सिटासी के खिलाफ प्रभावी हैं। ये एंटीबायोटिक्स आमतौर पर दो से तीन सप्ताह के पीरियड के लिए ओरली लिया जा सकता है।

जरूरी हाइजीन रूल का पालन करने से पैरट फीवर से बचाव किया जा सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या होना चाहिए बचाव का तरीका (Parrot fever Prevention)

जरूरी हाइजीन रूल का पालन करने से पैरट फीवर से बचाव किया जा सकता है। पक्षियों को संभालने या उनके पिंजरों को साफ करने के बाद अच्छी तरह से हाथ धोना, पक्षियों के पंखों या उनके मुंह से निकले ओरल ड्रॉप्स से बचाव करना भी उपाय हो सकते हैं। पक्षियों के आसपास के धूलकण को सांस नली में जाने से बचाव करना इस बुखार के ट्रांसमिशन को रोकने में मदद कर सकता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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