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बाेलने के तरीके को भी प्रभावित कर सकता है सिजोफ्रेनिया, यहां जानिए क्या होता है बदलाव

सिज़ोफ्रेनिया से ग्रस्त लोग डिसऑर्गनाइज्ड स्पीच की समस्या से जूझते हैं। उनकी बातें अन्य लोगों को समझ नहीं आ पाती हैं। अब एआई मॉडल बताएगा सिजोफ्रेनिया में होने वाले कम्युनिकेशन संबंधी बदलाव
अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल न रखने के कारण ये समस्या किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बनी सकती है। चित्र : एडॉबीस्टॉक
ज्योति सोही Updated: 18 Oct 2023, 10:05 am IST
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स्किज़ोफ्रेनिया अथवा सिज़ोफ्रेनिया (schizophrenia) एक ऐसा मनोवैज्ञानिक डिसऑर्डर है। जो दुनिया भर में लगभग 24 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज हर क्षण किसी असमंजस यानि कंफयूजन में रहते है। इस तरह की पर्सनैलिटी को स्प्लिट पर्सनैलिटी भी कहा जाता हैं। वे सोशली तौर पर पूरी तरह से कट जाते हैं और अकेलापन उन्हें भाने लगता है। सिज़ोफ्रेनिया (schizophrenia) न्यूरल प्रोसेस में पाई जाने वाली असामान्यताओं से संबधित है। जो कॉगनीटिव मैप रिप्रेजेनटेशन प्रोसेस का समर्थन करते हैं। इससे स्मृति से अवधारणाओं को जोड़ना शामिल है। ये एक न्यूरोकॉग्निटिव हाइपोथीसिज़ का परीक्षण करते हैं। (schizophrenia effect on speech)

एआई से पता चलेंगे सिजोफ्रेनिया के संकेत (Signs of schizophrenia) 

ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार आर्टिफिशल इंटेलिजेंस ने कुछ ऐसे टूल्स विकसित किए हैं, जिनकी मदद से किसी व्यक्ति की स्पीच से सीज़ोफ्रनिया को चिह्नित किया जा सकता हैं। विचारों और भाषा में पाई जाने वाली गड़बड़ी और आपसी तालमेल न होने से इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। पीएनएएस में प्रकाशित शोध का मकसद इस बात को समझना था। कैसे भाषा का ऑटोमेटिड एनालिसिस डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को मनोवैज्ञानिक स्थितियों का निदान और आकलन करने में मदद कर सकता है।

सिजोफ्रेनिया में दिखाई देते हैं ये संकेत

अलग अलग तरह की आवाज़ सुनने का आभास या भ्रम होना

ऐसी चीजों के बारे में सोचना जिनका वास्तविकता से कोई संबध नहीं है

विचार और भाषा में तालमेल का न बैठना

अजीबोगरीब व्यवहार करना

जीवन में उत्साह की कमी महसूस होना और डेली एक्टिविटीज़ में कोई इंटरस्ट न ले पाना

सिज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। चित्र : शटरस्टॉक

सिज़ोफ्रेनिया आपकी स्पीच को कैसे प्रभावित करता है

एनसीबीआई के अनुसार सिज़ोफ्रेनिया (schizophrenia) से ग्रस्त लोग डिसऑर्गनाइज्ड स्पीच की समस्या से जूझते हैं। उनकी बातें अन्य लोगों को समझ नहीं आती हैं। वे बात करते वक्त विषय बदल देते हैं। साथ ही उनकी बात आपको आसानी से समझ नहीं आ पाती है। वे पूछे गए सवालों से संबधित जवाब देने की जगह अन्य विषयों से जुड़ी बातें करने लगते हैं। वे हर वक्त भ्रम की स्थिति में रहते हैं।

एआई मॉडल बताएगा सिजोफ्रेनिया में होने वाले कम्युनिकेशन संबंधी बदलाव

एआई लैंग्वेज मॉडल एक नेचुरल मॉडल है जो टेक्स्ट डेटासेट के हिसाब से वर्ड सीक्वेंस तैयार करते हैं। लोगों में चैटजीपीटी और बार्ड सबसे ज्यादा लोकप्रिय मॉडल है। वर्बल फ्लूएंसी टास्क में न्यू एआई टूल्स का इस्तेमाल किया गया।

इसमें 52 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें 26 सिज़ोफ्रेनिया से ग्रस्त थे। जब कि 26 लोग बिल्कुल ठीक थे। इस वर्बल टास्क में प्रतिभागियों को 5 मिनट में जानवरों की श्रेणी से संबंधित या फिर अंग्रेजी के पी अक्षर से शुरू होने वाले ज्यादा से ज्यादा शब्दों का नाम देने के लिए कहा गया। उनके दिए गए उत्तरों की जांच के लिए एआई मॉडल का प्रयोग किया गया। जांच के दौरान इस चीज़ को नोटिस किया गया कि लोग कितने समय में उत्तर दे पा रहे हैं। इसमें पाया गया कि स्किज़ोफ्रेनिया वाले लोगों की तुलना में सामान्य प्रतिभागियों के दिए गए उत्तर एआई मॉडल के अनुमान के अनुसार थे।

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प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज पत्रिका में छपे इस रिसर्च के अनुसार एआई मॉडल ने आसानी से नियंत्रित प्रतिभागियों और सिज़ोफ्रेनिया वाले लोगों के बीच मौखिक प्रतिक्रियाओं में ध्यान देने योग्य अंतर को देखा।

जानते हैं ये किस प्रकार से हमारी जिंदगी के विकास में बाधा बन सकता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

कैसे दिखाई देता है सिजोफ्रेनिया का स्पीच पर प्रभाव

अकसर लोग यह जानना चाहे हैं कि क्या स्किज़ोफ्रेनिया (schizophrenia) से ग्रस्त लोग सामान्य रूप से बात कर पाते हैं? वास्तव में सामान्य या हल्के सिजोफ्रेनिया (schizophrenia) को पहचान पाना मुश्किल होता है। मगर सिजाेफ्रेनिया के गंभीर स्तर से प्रभावित लोगों को विचारों को व्यवस्थित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जब आप उनसे बात करते हैं, तो वे उसका उत्तर देने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। वे बातचीत के दौरान पूरी तरह से डिस्टरैक्टिड होते हैं। बातचीत के दौरान वो पूर्ण रूप से अव्यवस्थित नज़र आते हैं।

सिज़ोफ्रेनिया को लैक ऑफ स्पीच क्यों कहा जाता है?

सिज़ोफ्रेनिया (schizophrenia) से ग्रस्त लोग एलोगिया के शिकार होते हैं। दरअसल, एलोगिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति तनाव में रहता है और उसकी स्पीच में असमानताएं और अस्पष्टता पाई जाती हैं। ऐसे लोग बातचीत करने में कतराने लगते है और असपष्ट वाणी के कारण वे बोलना बंद कर देते हैं।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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