कभी आप खुश रहते हैं, तो कभी उदास महसूस करते है। ये सभी चीजें आपके एनवायरमेंट पर निर्भर करती हैं। जो मेंटल हेल्थ को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रिश्तों में उतार चढ़ाव आना बेहद सामान्य है। मगर उन परिस्थितियों पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करना इमोशनल ट्रिगर्स (emotional trigger) कहलाता हैं। कई बार कुछ चीजें हमारे व्यवहार को उत्तेजित कर देती हैं, तो कभी कभार हम निराश हो जाते हैं। रिश्तों में ऐसे कई मोड़ आते हैं। जब हम इस तरह के भावनात्मक ट्रिगर्स का सामना करते हैं। जानते हैं कि वो कौन से भावनात्मक ट्रिगर्स हैं, जो रिश्तों में अकेलेपन का कारण बनते हैं (emotional triggers in relationship)।
मन ही मन व्यक्ति कई तरह की उलझनों से जूझता है। अचानक किसी परिस्थिति में जब आपका माइंड और बॉडी मिलकर किसी प्रतिक्रिया को ज़ाहिर करते हैं, तो वो सिचुएशन इमोशनल ट्रिगर कहलाती है। इसमें व्यक्ति की दिल की धड़कन तेज़ और खुद पर नियंत्रण नहीं रह पाता है। भावनाओं पर नियंत्रण और उचित अभिव्यक्ति के लिए हमें इमोशनल ट्रिगर (emotional trigger) का पता होना बेहद ज़रूरी है। कई बार हंसता हुआ व्यक्ति किसी छोटी सी बात पर अजीब तरीके से रिएक्ट करने लगता है। जो उस व्यक्ति की मेंटल हेल्थ को ज़ाहिर करता है। इस स्थिति में पहुंचकर व्यक्ति कई प्रकार से व्यवहार करने लगता है।
अपने पार्टनर से आप भावनात्मक तौर पर बेहद नज़दीक होते हैं। उसकी कही गई छोटी बड़ी बात भी आपको हैरान और परेशान कर सकती है। विचारों में तालमेल न बैठने के कारण कई बार आप खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं। इसके अलावा दोस्तों के बीच जब आपकी बातों को खास तवज्जो न दी जाए और आप एकांत की तलाश करने लगें, तो वो भावनात्मक ट्रिगर (emotional trigger) की स्थिति होती है।
अपने आप को साबित करने के लिए आप कई प्रकार के प्रयास करते हैं। मगर बावजूद अगर कोई आपकी भावनाओं को न समझे और आपकी अवहेलना करने लगे। तो ऐसे में कई बार खुद पर अपना कंट्रोल खोने लगते हैं। आप दूसरों की बातों को सुनने के बाद अपना रिएक्शन दे देते हैं। जो एक प्रकार का इमोशनल ट्रिगर है। जो आत्म नियंत्रण न होने के कारण बढ़ जाता है।
इनसिक्योरिटी आपके अंदर कुछ खोने का डर पैदा कर देती है। फिर चाहे वो कोई आपकी कीमती चीज़ हो, पोज़िशन हो या रिस्पेक्ट। आप हर पल असुरक्षित महसूस करते हैं। कई बार ओवरबर्डन, तनाव और वर्कइंबैलेंस भी इस समस्या का कारण साबित होता है। जो आपके अंदर बढ़ने लगता है।
जब आपके थॉटस अन्य लोगों से मैच नहीं करते हैं, तो आप खुद को एक्सक्लूडिड फील करने लगते हैं। मन ही मन आप अपने वजूद की तलाश में निकल पड़ते हैं। भीड़ में भी अगर आपको ऐसा लगने लगे की आप सबसे अलग है, तो ये आपकी इमोशनल वीकनेस को दर्शाता है।
बार बार अवॉइड करने के बाद भी अपने पार्टनर की बहुत सी बातें और व्यवहार जब आपको परेशान करती हैं, तो कई बार अन्य लोगों के सामने खुद को खुश दिखाने लगते हैं। मगर वास्तव में आप बेहद परेशान और अकेलेपन का शिकार होते हैं।
एक ब्रेक लें और कुछ वक्त अपने लिए निकालें। ताकि आप अपने इमोशनस पर वर्क कर सकें और चीजों को हैण्डल करना आपके लिए आसान हो पाए।
इमोशनली मज़बूत होने के लिए अपने थॉटस को शेयर करें और अपनी कमियों को जानें। जो आपको भावनात्मक तौर पर मज़बूत करने में मदद करेंगी।
लोगों से मिले जुलें और इमोशनली कनेक्ट होने की कोशिश करें। आपकी पॉजिटिव एप्रोच रिश्तों को मज़बूत बनाने में मदद करती है।
इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि आप वैल्यूएबल है और आप किसी भी मायने में कमज़ोर नहीं हैं।
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