हार्ट फेल होने से बचा सकता है एट्रियल फ्लो रेगुलेटर, विशेषज्ञ बता रहे हैं इसके बारे में विस्तार से
हार्ट डिजीज के कारण हार्ट फेल्योर हो सकता है। हार्ट फेल्योर तब होता है जब किसी व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए हार्ट कुशलतापूर्वक पंप नहीं कर पाता है। फिजिकल एक्टिविटी पर हार्ट फेल्योर के प्रभाव और लक्षण और अधिक स्पष्ट रूप से दिख सकते हैं। हार्ट फेल्योर वाले रोगियों को अन्य लक्षणों के अलावा सांस की तकलीफ का भी अनुभव हो सकता है। हार्ट फेल्योर को ठीक करने में मदद कर सकती है एट्रियल फ्लो रेगुलेटर (Atrial Flow Regulator for heart failure) डिवाइस।
बाएं तरफ का हार्ट फेल्योर और इजेक्शन फ्रैक्शन (Ejection Fraction)
दिल्ली के प्राइमस सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में सीनियर कन्सल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट डॉ. विकास चोपड़ा (Dr. Vikas Chopra, Sr. Consultant Interventional Cardiologist, Primus Super Speciality Hospital) बताते हैं, ‘बाएं तरफ हार्ट फेल्योर को कम इजेक्शन फ्रेक्शन (HFREF) के साथ हार्ट फेल्योर और प्रीजर्व इजेक्शन फ्रेक्शन (HFPEF) के साथ हार्ट फेल्योर में बांटा जाता है। दोनों तरह के फेल्योर हार्ट के चैंबर (ventricle) में परिवर्तन के कारण होते हैं। इससे वे कमजोर और कठोर हो जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि हार्ट कम कुशलता के साथ ब्लड पंप कर पाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हृदय कितनी ताकत से पंप करता है। यह कभी भी वेंट्रिकल से सारा ब्लड पंप नहीं कर सकता है।’
इजेक्शन फ्रैक्शन (ejection fraction)
डॉ. विकास चोपड़ा बताते हैं, ‘इजेक्शन फ्रैक्शन ब्लड के उस प्रतिशत को बताता है, जो प्रत्येक हार्ट बीट के साथ भरे हुए वेंट्रिकल से बाहर पंप किया जाता है।इजेक्शन फ्रैक्शन की गणना करके डॉक्टर मापते हैं कि मरीजों का दिल कितना कुशल है। यह मापने के लिए इमेजिंग प्रोसेस का उपयोग किया जाता है कि लेफ्ट वेंट्रिकल से कितना ब्लड पंप होता है।’
एचएफपीईएफ (HFPEF-heart failure with preserved ejection fraction)
एचएफपीईएफ तब होता है जब हार्ट का बायां वेंट्रिकल धड़कनों के बीच सामान्य रूप से आराम नहीं कर पाता है। ऐसा वेंट्रिकल के हार्ड होने के कारण होता है।
जब हृदय पूरी तरह से आराम नहीं कर पाता, तो अगली धड़कन से पहले यह ब्लड से नहीं भर पाता। एचएफपीईएफ या डायस्टोलिक हार्ट फेल्योर के साथ ईएफ सामान्य सीमा में रहता है। हार्ट फेल्योर के लगभग आधे रोगियों में एचएफपीईएफ होता है।
एचएफआरईएफ (HFREF-heart failure with reduced ejection fraction)
एचएफआरईएफ तब होता है जब हृदय का बायां वेंट्रिकल पूरी तरह से सिकुड़ता नहीं है। यह पूरे शरीर में ब्लड को ट्रांसफर करने के लिए पर्याप्त रूप से पंप नहीं कर पाता है। इससे बाएं हार्ट की तरफ दबाव और बाएं कक्ष का आकार बढ़ जाता है, जिससे लक्षण बिगड़ जाते हैं। जिन मरीजों का ईएफ 40% से कम या उसके बराबर है उनमें एचएफआरईएफ है।
एचएफपीईएफ का इलाज (HFPEF Treatment)
डॉ. विकास चोपड़ा के अनुसार, एचएफपीईएफ या एचएफआरईएफ के इलाज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं। दवाओं के अलावा कैथेटर आधारित तकनीक जैसे कि परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन या स्टेंट), इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर, पेसमेकर या बाएं वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस, या हार्ट फंक्शन को बेहतर (Atrial Flow Regulator for heart failure) बनाने के लिए सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है।
एट्रियल फ्लो रेगुलेटर (Atrial Flow Regulator)
एट्रियल फ्लो रेगुलेटर (Atrial Flow Regulator) एक छोटा डिवाइस है, जिसका उपयोग इंटरएट्रियल शंट को खुला रखने और इसके आकार को बनाए रखने के लिए किया जाता है। डिवाइस में सेंट्रल ओपनिंग के साथ दो डिस्क हैं, जो ब्लड को फ्लो रेगुलेटर के माध्यम से प्रवाहित करने में मदद करते हैं। यह हार्ट के लेफ्ट साइड से राइट साइड की ओर ले जाने में मदद करते हैं।
किस मेटल से तैयार होती है यह डिवाइस (Atrial Flow Regulator device metal)
यह डिवाइस इलास्टिक मेटल के तारों (nitinol) से बनाया गया है। इसे एट्रियल फ्लो रेगुलेटर के आकार में बुना और ढाला जाता है। निटिनोल का उपयोग दशकों से मेडिकल डिवाइस को बनाने के लिए सुरक्षित रूप से किया जाता रहा है।
इसे विशेष डॉक्टर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट की मदद से न्यूनतम इनवेसिव ट्रांसकैथेटर तकनीक का उपयोग (Atrial Flow Regulator for heart failure) करके प्रत्यारोपित किया जाता है। कई क्लिनिकल अध्ययन और केस रिपोर्ट बताते हैं कि हाल के वर्षों में एट्रियल फ्लो रेगुलेटर और अन्य डिवाइस को सुरक्षित रूप से प्रत्यारोपित किया जा सकता है और लेफ्ट हार्ट फेल्योर वाले रोगियों के लक्षणों में सुधार किया जा सकता है।
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