Diabetes and skin problem : हाई ब्लड शुगर बढ़ा सकता है फंगल इन्फेक्शन का जोखिम, एक्सपर्ट बता रहे हैं कारण

डायबिटीज का प्रभाव हमारी स्किन पर भी पड़ता है। ब्लड शुगर अनियंत्रित होने पर स्किन इन्फेक्शन की समस्या बढ़ सकती है। एक्सपर्ट से जानते हैं डायबिटीज के कारण होने वाली स्किन समस्याओं और उनसे बचाव के उपाय को।
diabetes and skin infection
डायबिटीज़ के कारण फोड़े (Boils) और काबुंकल यानी बहुत सारे छेदों वाले फोड़े जैसे बैक्टीरियाई स्किन डिजीज हो सकते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 14 Aug 2023, 10:47 am IST
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स्किन शरीर के आंतरिक विकारों को बता सकता है। यह बात डायबिटीज़ मेलिटस जैसी बीमारी के लिए विशेष रूप से सही बैठती है। स्किन की समस्या बार- बार दिखाई देने वाले पहले संकेत हैं, जो बताते हैं कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ की बीमारी है या नहीं। किसी व्यक्ति के डायबिटीज़ से पीड़ित होने के पहले यानी प्री-डायबिटीज़ में भी ऐसे लक्षण दिख (diabetes effect on skin) सकते हैं।

कभी न कभी स्किन संबंधी समस्याएं होती हैं 

आईसीएमआर के अनुमान के अनुसार, 13.6 करोड़ लोग या लगभग 15.3% आबादी प्री-डायबिटिक है। यह भी जानकारी है कि डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में दोनों टाइप 1 और टाइप 2 से पीड़ित मरीज़ के जीवन में कभी न कभी स्किन संबंधी समस्याएं सामने आएंगी। केवल कुछ लोगों को ही यह पता चल पाता है कि डायबिटीज़ के कारण उनकी त्वचा पर कितना गहरा असर पड़ सकता है। डॉ. बत्रा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज के फाउंडर और चेयरमैन होमियोपैथ एक्सपर्ट डॉ. मुकेश बत्रा यहां स्किन और डायबिटीज के संबंध, इसके कारण होने वाली समस्या और इससे बचने के उपाय के बारे में बता रहे हैं।

कैंडिडाएसिस फंगल इन्फेक्शन होता है सबसे ज्यादा (diabetes causes fungal infection) 

डायबिटीज का स्किन पर कितना खतरनाक प्रभाव पड़ता है, इस शोध से जानते हैं। तमिलनाडु स्थित डॉ. एम.जी.आर. मेडिकल यूनिवर्सिटी, चेन्नई, ने 200 डायबिटीज़ मरीज़ों पर एक अध्ययन किया। इसमें यह सामने आया कि 70.5% मरीज़ त्वचा संबंधी इन्फेक्शन से पीड़ित हैं। इसमें कैंडिडाएसिस (28%) सबसे सामान्य फंगल इन्फेक्शन है। डायबिटीज़ के मरीज़ों में जोक इच, एथलीट्स फुट, रिंगवॉर्म और वैजाइनल इन्फेक्शन जैसे फंगल इन्फेक्शन सबसे ज़्यादा और बार-बार होने वाले फंगल इन्फेक्शन हैं।

डायबिटिक फुट अल्सर (Diabetic Foot Ulcer)

डायबिटीज़ के कारण फोड़े (Boils) और काबुंकल यानी बहुत सारे छेदों वाले फोड़े जैसे बैक्टीरियाई स्किन डिजीज हो सकते हैं। डायबिटीज़ ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकता है। इस वजह से स्किन कमज़ोर हो जाती है। इससे बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। सामान्य रूप से डायबिटीज़ स्थानीय भाग में खुजली का कारण भी हो सकता है।

करीब 15% डायबिटीज़ मरीज़ों को डायबिटिक फुट अल्सर (Diabetic Foot Ulcer) जैसी समस्या हो जाती है। इसके कारण पैरों के तलवों पर खुले घाव हो जाते हैं। इसके अलावा, डायबिटीज़ के मरीज़ों को फुट कॉर्न (गोखरू) जैसी बीमारी होने की भी संभावना होती है। इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए ब्लड शुगर को नियंत्रित करना जरूरी है।

अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन यह सलाह देता है कि हर सप्ताह 150 मिनट की मध्यम गति की शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। इसमें एक सप्ताह में पांच बार 30 मिनट की हार्ड एक्सरसाइज या एक सप्ताह में तीन बार 50 मिनट का नियमित सक्रिय गतिविधि वाला व्यायाम शामिल करना जरूरी है।

होम्‍योपैथी डायबिटीज़ के लिए वैकल्पिक चिकित्सा (Diabetes treatment in Homeopathy) 

होम्‍योपैथी वैकल्पिक चिकित्सकीय प्रणाली है। यह डायबिटीज़ और इससे संबंधित लक्षणों के निराकरण के लिए विस्तृत उपाय प्रदान करती है। एथेन्स में किए गए एक अध्ययन में जब एलोपैथी में दी जाने वाली एंटी-डायबिटिक दवाइयों के साथ-साथ होम्‍योपैथी दवाइयों को भी जोड़ा गया, तो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में इसकी कार्यक्षमता साबित हो पाई। होम्‍योपैथी उपचार प्राकृतिक पदार्थों के आधार पर किया जाता है। इसमें ऐसे व्‍यक्तिगत उपचार पर ज़ोर दिया जाता है, जो शरीर की स्वस्थ करने वाली प्राकृतिक प्रतिक्रिया को उत्तेजित करती है।

Diabetes ke karan skin infection ho sakta hai
होम्‍योपैथी  डायबिटीज़ और इससे संबंधित लक्षणों के निराकरण के लिए विस्तृत उपाय प्रदान करती है।  चित्र : अडोबी स्टॉक

फंगल इन्फेक्शन पर नियन्त्रण (Fungal Infection) 

होम्‍योपैथी इन्सुलिन ब्लड शुगर को सामान्य स्तर पर बनाए रखता है और यूरीन भी शुगर-मुक्त होती है। यह डायबिटिक फुट अल्सर और त्वचा की दूसरी समसयाओं जैसे डायबिटीज़ की विशिष्ट समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है। होम्‍योपैथी दवा एसिड क्रायसरोबिनम 6सी डायबिटीज़ के कारण होने वाले फंगल इन्फेक्शन को नियंत्रित करने में फायदेमंद हो सकती है, जबकि फोड़े यानी बॉइल्स के उपचार में साइलेशिया बेहद उपयोगी हो सकती है।

डायबिटिक पेशेंट त्वचा की देखभाल के लिए ये उपाय अपना सकते हैं

1 सबसे पहले ब्लड शुगर लेवल को सीमा के अंदर बनाए रखना जरूरी है। इससे स्किन प्रॉब्लम के जोखिम को कम किया जा सकता है।
2 डायबिटीज़ के कारण होने वाले ड्राई स्किन और खुजली की समस्या से निपटने के लिए अच्छी तरह हाइड्रेटेड रहें। पर्याप्त मात्रा में पानी या लिक्विड डाइट लें। त्वचा सूखी होने और फटने से बचाने के लिए रोज़ाना मॉइस्चराइज़र लगाएं।
3 समय-समय पर किसी भी बदलाव, घाव या इन्फेक्शन के लिए त्वचा का निरीक्षण करने पर स्किन समस्या का जल्दी पता लगता है। इससे समय पर उपचार हो सकता है
किसी भी तरह का कट लगने, खरोंच या त्वचा की अन्य समस्याओं का तुरंत उपचार कराएं।
4 डायबिटीज़ के मरीज़ों को पूरी सावधानी से अपने पैरों की देखभाल करनी चाहिए। पैरों को साफ और सूखा रखें। आरामदायक फुटवियर का इस्तेमाल करें। जांच करती रहें कि कोई घाव या कट तो नहीं है।
5 चौड़े, सपाट जूते पहनें, जो पैरों में अच्छी तरह फिट हों। जूते पहनने से पहले देख लें कि इसके अंदर कोई ऐसी चीज़ तो नहीं है, जिससे पैर को कोई क्षति पहुंच सकती है।
6 यदि स्किन की समस्या या नाखून में हुए इन्फेक्शन की समस्या खुद न सुलझा सकें, तो किसी डॉक्टर या त्वचा रोग विशेषज्ञ या डर्मेटोलॉजिस्ट के पास जाएं

periods ka bhi apki skin par asar padta hai
डायबिटीज़ के कारण होने वाले ड्राई स्किन और खुजली की समस्या से निपटने के लिए अच्छी तरह हाइड्रेटेड रहें। चित्र : शटरस्टॉक

अंत में

हमेशा योग्य होम्‍योपैथी डॉक्‍टर के मार्गदर्शन में ही होम्‍योपैथी उपचार प्राप्त करें। कोई भी व्यक्ति डायबिटीज़ के लिए उसके द्वारा ली जा रही एलोपैथिक दवाइयों के साथ-साथ होम्‍योपैथी का उपचार भी ले सकता है। डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए अपनी त्‍वचा को स्‍वस्‍थ बनाए रखने का एक और प्रभावी तरीका है, हमेशा अपने ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखना। याद रखें, रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होती है।

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