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पश्चिम बंगाल में छोटे बच्चे हो रहे हैं एडिनोवायरस से बीमार, फेफड़ों में सूजन ला सकता है यह खतरनाक वायरस

सर्दी और खांसी जैसे आम लक्षणों को दर्शाने वाला एडिनोवायरस इन दिनों तेज़ी से बढ़ रहा है। 5 साल से छोटे बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में लेने वाले इस संक्रमण के कारणों से लेकर बचाव तक जानें सब कुछ इस रिपोर्ट में।
जानिए क्या है एडिनोवायरस जिससे छोटे बच्चे हो रहे हैं बीमार। चित्र एडॉबीस्टॉक।
ज्योति सोही Updated: 23 Oct 2023, 09:07 am IST

पश्चिम बंगाल में एडिनोवायरस (adenovirus) के मामलों में तेजी आई है। हाल ही में मिली सूचना के मुताबिक श्वसन संबंधी इस संक्रमण से जूझ रहे एक छह महीने के बच्चे और ढाई साल की बच्ची की मौत हो गई है। दो महीने में राज्य में अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि कई और संक्रमित होने का अनुमान है। दरअसल, जाती हुई सर्दियों के दौरान इस तरह के संक्रमणों में इजाफा हो जाता है। मौसम में आने वाले बदलावों के चलते शरीर कई प्रकार के संक्रमणों की चपेट में आने लगता है। इन्हीं संक्रमणों की श्रृंखला में शामिल है एडिनोवायरस (adenovirus)। जिसके लक्षण तो आम खांसी जुकाम जैसे होते हैं, मगर यह कई मामलों में गंभीर रूप भी धारण कर लेता है।

डब्‍ल्‍यूएचओ (WHO) को अब तक पांच कॉटिनेंट के 35 देशों ने मिस्‍ट्री हेपेटाइटिस या लिवर में सूजन के 1,010 से ज्यादा मामलों की जानकारी दी है। लगभग आधे से अधिक मामले यूरोप में पाए जाने की बात कही जा रही है। मिस्‍ट्री हेपेटाइटिस के जो मामले सामने आए थे। जांच से इस बात का पता चला है कि इसका संबंध एडिनोवायरस से हो सकता है।

क्या है एडिनोवायरस?

एडिनो वायरस संक्रमण का एक ग्रुप है, जो शरीर में माइल्ड से गंभीर इंफेक्शन का कारण साबित हो सकता है। दरअसल, ये वायरस बॉडी के रेसपिरेटरी सिस्टम पर अटैक करता है। इस संक्रमण के लक्षण भी सामान्य सर्दी जुकाम या फ्लू के समान दिखते हैं। ज्यादातर मामलों में एडिनोवायरस के लक्षण हल्के होते हैं, जिन्हें उपचार से ठीक किया जा सकता है।

एडिनोवायरस से ग्रस्त बच्चों में हाईग्रेड फीवर पाया जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

एडिनोवायरस लक्षणों के बारे में बात करते हुए एमबीबीएस, चाइल्ड एंड न्यू बॉर्न स्पेशलिस्ट डॉ अभिषेक नायर कहते हैं, एडिनोवायरस से ग्रस्त बच्चों में हाईग्रेड फीवर पाया जाता है। इसके अलावा बच्चों को एपिटाइट कमज़ोर हो जाता है। उनका कुछ भी खाने का मन नहीं करता। साथ ही उल्टी, रैशेज होना और आंखों के चिपकने जैसे लक्षण पाए जाते हैं।

इस वायरस में तीसरे दिन जाकर शरीर इस संक्रमण को पहचान पाता है। फिर उसके बाद 7वें दिन पर जाकर शरीर में इसकी एंटीबॉडी तैयार होने लगती है। इसके चलते बच्चे को 8 से 10 दिन तक बुखार रहता है। ज्यादातर बच्चों को इस वायरस से बाहर निकलने में 10 दिन से लेकर 14 दिन तक का समय लगता है। आठ साल से कम उम्र के बच्चों में इसका जोखिम ज्यादा होता है।

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एडिनोवायरस के बारे में क्या कहती है रिसर्च

एनसीबीआई के मुताबिक एडेनोवायरस संक्रमण का ज्यादातर खतरा 6 महीने से लेकर 2 साल की उम्र तक के बच्चों में होता है। इसके अलावा 5 से लेकर 9 साल के बच्चों में भी इसके लक्षण पाए जाते हैं।

वहीं डॉक्टरों ने मार्च की शुरूआत के साथ एडिनोवायरस के मामलों में रोकथाम होने की बात कही है। वे मानते हैं कि संक्रमित बच्चों में 80 फीसदी तक एडिनोवायरस पाया जा रहा है। इसके अलावा कुछ मामले ह्यूमन मेटावायरस और पैरेन्फ्लुएंजा के मिल रहे हैं। एक साल या उससे कम उम्र के बच्चों में एडिनोवायरस का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

नया नहीं है एडिनोवायरस

एडिनोवायरस संक्रमण से बच्चों में रेसपिरेटरी इंफेक्शन का खतरा 10 फीसदी तक रहता है। स्टडी में ऐसा पाया गया है कि 10 साल की उम्र तक अधिकांश बच्चों में कम से कम एक बार एडिनोवायरस संक्रमण होता है। 75 फीसदी कन्जक्टीवाइटिस केस एडिनोवायरस के कारण होते हैं। वहीं साल 2016 में, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी ने अनुमान लगाया कि दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में दस्त के लगभग 75 मिलियन एपिसोड एडिनोवायरस संक्रमण के कारण हुए थे।

रिसर्च की मानें, तो अब तक करीबन 50 तरह के एडिनोवायरस की पहचान हो चुकी है। यूं तो ये वायरस सालभर रहता है। मगर सर्दियाें के अंत और वसंत की शुरूआत में इससे संक्रमित होने वाले मरीजों की तादाद में इज़ाफा होने लगता हैं। कुछ मामलों में यह गंभीर भी हो सकते हैं।

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बच्चें हो जाते हैं कमजोर। चित्र : शटरस्टॉक

पहचानिए एडिनोवायरस के सामान्य लक्षण

सामान्य सर्दी या फ्लू
बुखार
गले में खराश और दर्द
तीव्र ब्रोंकाइटिस यानि लंग्स के एअरवेज़ में सूजन,
निमोनिया
गुलाबी आंखे
पेट में दर्द और उल्टी आना
डिहाइड्रेशन रखना
104 डिग्री के करीब बुखार रहना
सांस लेने में तकलीफ होना

बच्चों को एडिनोवायरस से बचा सकते हैं ये सेफ्टी टिप्स

1 हाथों को अच्छी तरह से धोएं

बच्चे अक्सर खेल के दौरान हाथ धोए बगैर खाना शुरु कर देते हैं। ऐसे में दो साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को खाना खाने से पहले हाथ धोने कि हिदायत दें। लिक्विड सोप करीबन 20 सेंकेड तक हाथों को मनकर धोएं। ताकि सभी संकमणों से मुक्ति मिल पाए।

2 उन्हें चेहरा छूने से बचाएं

अगर आपके हाथ गंदे हैं या आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, तो हाथों को तुरंत धोएं। धोए बिना उन्हें आंख, नाक और मुंह में लगाने से बचें। इससे संक्रमण आसानी से आपकी ओकर आकर्षित होने लगेंगे।

3 पीडित लोगों के नज़दीक न जाएं

अगर कोई व्यक्ति या बच्चा इस संक्रमण से दो चार हो रहा है, तो उसके नज़दीक जाने से बचें। ये वायरस छूने या खांसने से फैलता है। इस संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा खुद को ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचाएं।

यदि आपके बच्चे को यह संक्रमण है तो उसे दूसरों बच्चों से दूर रखें। खासतौर से स्कूल या पार्क में जहां, बच्चों का समूह होता है, वहां भेजने से बचें।

4 सामाजिक दूरी है जरूरी

काेविड में हम सामाजिक दूरी के महत्व को समझ ही चुके हैं। अगर आपका बच्चा एडिनोवायरस से ग्रस्त है, तो घर पर ही रखें। लोगों से ज्यादा मिलने-जुलने न दें। कुछ भी खाने से पहले और बाद में हाथों को धोना जरूरी है। बाहर का खाना खाने और खाना दूसरों के साथ शेयर करने से भी बचें। इससे संक्रमण का खतरा तेज़ी से बढ़ता है। इस्तेमाल किए गए टिशू या रूमाल को इधर-उधर रखने की जगह जेब में ही रखें।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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