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Mobility Exercises : जानिए क्यों जरूरी है फिटनेस रुटीन में मोबिलिटी एक्सरसाइज शामिल करना

शरीर की फिटनेस के लिए सबसे जरूरी है मोबिलिटी या शरीर की गतिशीलता। मोबिलिटी वर्कआउट नहीं करने पर ही शरीर कई तरह की बीमारियों से घिरने लगता है। यहां हैं एक्सपर्ट के बताये 4 मोबिलिटी एक्सरसाइज, जो शरीर को फिट रखने में मदद करते हैं।
कंधे में तनाव डेस्क पर बैठने, अधिक काम करने, तनाव और गलत पॉश्चर में सोने के कारण हो सकता है। चित्र शटरस्टॉक।
स्मिता सिंह Published: 30 Aug 2023, 11:00 am IST
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गतिशीलता या मोबिलिटी से मतलब है कि आपके जॉइंट सॉकेट के अंदर किस तरह चलते हैं। गतिशीलता के कारण ही जॉइंट्स को आस-पास के ऊतकों के साथ स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने की क्षमता देता है। इससे हमारा शरीर सुचारू रूप से मूव कर पाता है। हम अपने कंधे को चारों और घुमाना चाहते हैं। मोबिलिटी के अभाव में यह संभव नहीं हो सकता है। यह जोड़ सहित पूरे शरीर को लचीला बनाता है। लचीलेपन से ही मांसपेशियों को स्ट्रेच करने की क्षमता आ पाती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि फिटनेस के लिए इन 4 मोबिलिटी एक्सरसाइज को करना जरूरी (mobility exercises for fitness) है।

क्यों जरूरी है मोबिलिटी (Mobility)

हील एंड ग्रो फिटनेस सेंटर के ओनर और फिटनेस एक्सपर्ट राघव चौहान कहते हैं, ‘यदि लचीलापन या मोबिलिटी नहीं है, तो समय के साथ कार में अंदर जाना और बाहर निकलना, जूते पहनने के लिए झुकना या अलमारी से कुछ सामान निकालने की कोशिश करना, कपड़े फैलाना, लैपटॉप पर काम करना जैसे सरल काम करना भी कठिन हो सकता है।

गतिहीनता के कारण चलने की प्रक्रिया भी ख़राब हो सकती है। बहुत अधिक बैठने के कारण हिप्स के फ्लेक्सर्स इतने कड़े हो जाते हैं कि वे खुल नहीं पाते हैं। इसलिए चलने पर हम केवल छोटे कदम ही रख पाते हैं। उम्र बढ़ने पर चलने के दौरान पैर इधर-उधर होने की संभावना अधिक होने लगती है। इससे शरीर झुक जाता है।’
यदि मोबिलिटी एक्सरसाइज नियमित रूप से किया जाए, तो इन समस्याओं को रोकने में मदद मिल सकती है और उम्र के साथ होने वाली नेचुरल समस्या धीमी हो सकती है।

यहां हैं फिजिकल फिटनेस के लिए 4 मोबिलिटी एक्सरसाइज (mobility exercises for physical fitness) 

1. चाइल्ड पोज से डाउनवार्ड फेसिंग डॉग (child pose and downward facing) 

फर्श पर घुटने टेकें और हिप्स को एड़ियों की ओर नीचे करें। अब दोनों आर्म को फर्श पर आगे की ओर ले जाएं। धड़ को घुटनों के ऊपर और सिर को भुजाओं के बीच में आने दें। यह चाइल्ड पोज है। कुछ गहरी सांस लेने के लिए रुकें। टेबलटॉप स्थिति में आएं। वजन को आगे की ओर तब तक खिसकाएं जब तक कि कंधे कलाइयों के ऊपर न आ जाएं।

हिप्स घुटनों के ऊपर न आ जाएं। पैर की उंगलियों को नीचे पलटें और पैरों को फर्श से धकेलें, बाहों को फैलाएं ताकि हिप्स ऊपर उठ जाएं।शरीर जमीन के साथ एक त्रिकोण बनाएगा। धड़ को लंबा करते हुए कुछ गहरी सांसें लें और धीरे-धीरे घुटनों को फर्श पर छोड़ें। पैर की उंगलियों को खोलें और चाइल्ड पोज में वापस आ जाएं। कुल मिलाकर तीन बार दोहराएं।

2. फ्रॉग पोज से लेकर डीप स्क्वाट तक (frog pose to deep squat) 

पैरों को कंधों से थोड़ा चौड़ा करके खड़े रहें। इस अभ्यास के लिए पैर की उंगलियां बाहर की ओर हों। शरीर के निचले हिस्से पर तब तक बैठें जब तक कि जांघें फर्श के समानांतर न हो जाएं या जितना हो सके। वजन को आगे बढ़ाने और हाथों को सामने फर्श पर रखने से पहले एक सेकंड के लिए रुकें। घुटनों को दूर फैलाएं।

शरीर के निचले हिस्से को मोड़ें । चित्र: शटरस्‍टॉक

अपने आप को जमीन की ओर झुकाएं। यदि संभव हो तो चेस्ट को फर्श पर लाएं। यदि आंतरिक जांघों और कमर में खिंचाव अधिक है, तो जरूरत के हिसाब से आर्म्स से स्वयं को सहारा दें। पैर की उंगलियों को बाहर की ओर करके गहरे स्क्वाट में आने से पहले एक सेकंड के लिए रुकें। धीरे-धीरे चलते हुए खड़े हो जाएं। 8 से 12 बार दोहराएं

3. चेस्ट और शोल्डर ओपनर (chest and shoulder opener) 

दाहिने हाथ में डंबल या केटलबेल लेकर फर्श पर मुंह करके लेट जाएं। वजन अधिक लगता है, तो किसी हल्के कैन का उपयोग करें। दाहिना हाथ चेस्ट के ऊपर सीधा फैलाएं। बायां हाथ सिर के ऊपर कान के पास फर्श पर टिकाएं। दाहिने पैर को मोड़ें। दाहिने पैर को बाएं घुटने के बगल में फर्श पर रखें। बाएं कंधे पर रोल करें, जिससे दायां घुटना फर्श पर आ जाए। अब दाहिने पैर को फर्श पर फैलाएं। धीरे-धीरे कूल्हों को आगे की ओर घुमाएं। दाहिने घुटने को मोड़कर और हाथ को ऊपर की ओर रखते हुए वापस उसी स्थिति में आ जाएं। इसे 8 से 12 बार दोहराएं। फिर सावधानी से पीठ के बल लेट जाएं

हाथ में डंबल या केटलबेल लेकर फर्श पर मुंह करके लेट जाएं। चित्र : अडोबी स्टॉक

4 हैमस्ट्रिंग और हिप ओपनर (Hamstring and hip opener) 

घुटनों को कूल्हे की चौड़ाई के बराबर दूरी पर रखते हुए फर्श पर झुकें। दाएं पैर को आगे बढ़ाएं ताकि दाहिना घुटना दाएं एंक्ल के ऊपर रहे। दाहिनी जांघ फर्श के समानांतर रहे। आर्म्स को बगल में या हाथों को हिप्स पर रखते हुए हिप्स से दाहिने पैर पर झुकते हुए वजन को पीछे की ओर ले जाएं। इससे दाहिने पैर की उंगलियां ऊपर आ पाती हैं। संतुलन के लिए हाथों को फर्श पर रखें। इसे 8 से 12 बार दोहराएं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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