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वर्कआउट की कमी और सिडैंटरी लाइफस्टाइल इन 4 कारणों से हो सकता है आपकी सेहत के लिए खतरनाक

एक्सरसाइज़ की कमी के चलते लोगों को कई प्रकार की बीमारियां अपनी चपेट में ले रही है। जानते हैं सिडैंटरी लाइफस्टाइल से हमारे शरीर को किन समस्याओं का जोखिम उठाना पड़ सकता है।
सूरज की रोशनी हमारी सर्कैडियन रिदम को प्रभावित करती है। चित्र: अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Updated: 21 Jul 2023, 09:30 am IST
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शरीर को हेल्दी रखने के लिए भोजन के साथ साथ फिटनेस का ख्याल रखना भी ज़रूरी है। वर्क प्रेशर और सिटिंग जॉब्स के चलते लोग घंटों तक बिना हिले लगातार काम करते है। इस प्रक्रिया को सिडैंटरी लाइफस्टाइल (Sedentary lifestyle) यानि गतिहीन जीवनशैली कहा जाता है। आज के इस दौर में लोग बड़ी तादाद में इस समस्या से घिरे हुए हैं। एक्सरसाइज़ की कमी के चलते लोगों को कई प्रकार की बीमारिया अपनी चपेट में ले रही है। जानते हैं कि इससे हमारे शरीर को किन समस्याओं का जोखिम उठाना पड़ सकता है।

एनसीबीआई के मुताबिक दुनियाभर में 15 साल और उससे ज्यादा उम्र की एक तिहाई आबादी ज़रूरत के मुताबिक शारीरिक एक्टिविटीज़ नहीं कर पा रहे हैं। कोरिया के लोग जहां 8.3 घंटे गतिहील रहते हैं, तो वहीं अमेरिकी आबादी 7.7 घंटे तक सिडैंटरी लाइफस्टाइल को जीती है। ऑफिस वर्क बढ़ने और एक्सरसाइज़ के लिए जगह की कमी के चलते सिडैंटरी लाइफस्टाइल का चलन बढ़ने लगा है। इसके अलावा टीवी और अन्य गैजेटस लोगों को गतिहीन बना रहे हैं। इसके चलते कई स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने लगी हैं।

रिसर्च के मुताबिक व्यक्ति का गतिहीन व्यवहार लिपोप्रोटीन लाइपेस एक्टिविटी, मसल्स ग्लूकोज और प्रोटीन ट्रांसपोर्टर एक्टिविटीज़ को कम करने का काम करता हैं। लिपिड से जहां मेटाबॉलिज्म खराब होता है, तो वहीं कार्बोहाइड्रेट की मात्रा मेटाबॉलिज्म को कम कर देता है।

सिडैंटरी लाइफ स्टाइल के चलते हो सकती है दिक्कतें

1. शरीर में लचीलेपन की कमी

अगर आपकी जिंदगी पूरी तरह से गतिहीन है यानि आप कोई फिजिकल एक्टीविटी नहीं कर रहे हैं, तो इससे शरीर के लचीलेपन में कमी आ जाती है। ब्लड फ्लो नियमित रूप से नहीं हो पाता है। इसके चलते शरीर के अंगों में ऐंठन, दर्द और सूजन की शिकायत रहती है। लगातार कई घंटों तक बैठे रहने से उसका प्रभाव हिप फ्लेक्सर्स और पीठ के निचले हिस्से पर पड़ने लगता है। इससे शरीर कमज़ोर होने लगता है।

ब्लड फ्लो नियमित रूप से नहीं हो पाता है। इसके चलते शरीर के अंगों में ऐंठन, दर्द और सूजन की शिकायत रहती है। चित्र ; शटरस्टॉक

2. ऑस्टियोपिरोसिस का खतरा

लॉन्ग वर्किंग आवर्स के चलते बॉडी के मसल्स में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है। दरअसल, बैठे रहने से शरीर का वज़न बढ़ने लगता है और उसका प्रभाव घुटनों औश्र अन्य ज्वाइंटस पर पड़ने लगता है। अगर आप गतिहीन जीवन शैली का हिस्सा है, तो ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा हमेशा बना रहता है।

3. वज़न का बढ़ना

इन दिनों लोग अपने वज़न को कम करने के लिए कई प्रकार की डाइटस को फॉलो करने लगे है। उनका असर तब तक आपकी बॉडी पर नहीं दिख सकता, जब तक आप सिटिंग कम नहीं करते हैं। घंटों स्क्रीन के सामने बैठने से आपके मसल्स पर उसका प्रभाव पड़ता है। इसके चलते शरीर में कैलोरीज़ भी जमा होने लगती है। नतीजन बाजूओं, थाइज़ और बैली पर फैट जमा होने लगता है।

जानिए कौन सी आदतें बनती हैं वज़न बढ़ने का कारण। चित्र : शटरस्टॉक

4. मेटाबॉलिज्म कम होना

सिडैंटरी लाइफ स्टाइल का अर्थ है कि एक ऐसी गतिहीन जीवन शैली जिसमें हमारा शरीर कोई भी एक्टिविटी नहीं करता है। ऐसे में बॉडी में जमा हो रही कैलोरीज़ बर्न नहीं हो पाती है। इसके चलते शरीर में फैट बर्न करने की क्षमता घटने लगती है। इसका प्रभाव मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है, जिससे उसका स्तर घटने लगता है।

सिडैंटरी यानि गतिहीन लाइफस्टाइल से बचने के लिए इन उपायों को जीनव का हिस्सा बनाएं

लंच ब्रेक के बाद कुछ देर तक टहलने के लिए निकलें।

हर 30 मिनट के बाद कुछ देर के लिए डेस्ट को छोड़कर ज़रूर उठें।

पब्लिक ट्रासपोर्ट में बैठकर जाने की बजाय खड़े होकर ही जाएं

वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए

बीएमआई चेक करें

घर में अधिकतर वक्त काम काज करने में बिताएं जैसे कुकिंग, गार्डनिंग और साफ सफाई।

फोन पर बात करते वक्त अवश्य घूमें। इससे आपको वॉक करने का मौका मिल जाता है।

स्टैण्डिंग डेस्क पर काम करना प्रैफर करें।

खाना खाने के बाद कुछ देर तक अवश्य टहलें। बैठने से मोटापा बढ़ने का खतरा रहता है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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