लॉग इन

Keto diet side effects : इन 6 कारणों से सेहत के लिए अच्छा नहीं हैं लंबे समय तक कीटो डाइट लेना

कहीं वेट लॉस के लिए कीटो डाइट तो नहीं अपना रहीं, पहले जान लें शरीर पर लॉन्ग टर्म में कीटो के प्रभाव। हो सकती है सेहत संबंधी समस्याएं।
यह आहार लो कार्ब डाइट होने के कारण वजन घटाने में काफी उपयोग किया जा रहा है। चित्र : शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Updated: 18 Oct 2023, 10:12 am IST
ऐप खोलें

आजकल कीटो डाइट काफी ट्रेंड कर रहा है और वेट मैनेज करने के लिए बहुत से लोग इसे आजमा रहे हैं। कीटो डाइट ईटिंग पैटर्न है जिसमें अधिक मात्रा में फैट, संतुलित मात्रा में प्रोटीन और बहुत कम मात्रा या न के बराबर कार्बोहाइड्रेट लिया जाता है। कीटो डाइट में मटन, चीज, अंडा, चिकन, नट्स, एग, सीफूड और सीड्स शामिल हैं। हालांकि, इसे कैंसर, ओवरी सिंड्रोम और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से निजात के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। परंतु सवाल यह उठता है कि क्या कीटो डायट असल में हेल्दी है या नहीं? इस ईटिंग पैटर्न को आप एक सीमित समय के लिए फॉलो कर सकती हैं, परंतु इसे एक लंबी अवधि के लिए अपनाना विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ावा दे सकता है।

कीटो डाइट में हमारे शरीर को कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते। वहीं शरीर को कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है, ऐसे में लंबे समय तक कार्बोहाइड्रेट नहीं मिलने पर बॉडी नकारात्मक प्रतिक्रिया प्रकट कर सकती है। ऐसे में यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि लंबे समय तक कीटो डाइट फॉलो करने से किन स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

डाइटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर गुरमीत गुंजल ने लंबे समय तक कीटो डाइट फॉलो करने के कुछ साइड इफेक्ट (Keto diet side effects) बताए हैं जिनकी जानकारी सभी को होनी चाहिए। यदि आप कीटो डाइट पर हैं, तो इसे जरूर पढ़ें या आप इसे फॉलो करने का सोच रही हैं तो भी आपको इसके बारे में जानना चाहिए।

शरीर पर लॉन्ग टर्म में कीटो के प्रभाव। चित्र : एडॉबीस्टॉक

यहां जाने लंबे समय तक कीटो डाइट फॉलो करने के नुकसान

1. शरीर में पोषण की कमी हो जाती है

कीटो डाइट में लोग कुछ खाद्य पदार्थ तक सीमित रह जाते हैं। आवश्यक फल और सब्जियों का सेवन न करने से शरीर में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिसके कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर मसल्स बिल्ड करने के लिए शरीर को उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की आवश्यकता होती है। वहीं कीटो डाइट के दौरान आयरन, विटामिन, मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

2. हार्ट संबंधी समस्याएं

कीटो डाइट में हम कार्बोहाइड्रेट को पूरी तरह से डाइट से बाहर कर देते हैं य बहुत ही सीमित मात्रा में इसका सेवन करते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलॉजी द्वारा किए गए एक रिसर्च के अनुसार लो कार्ब डाइट एट्रियल फाइब्रिलेशन के खतरे को बढ़ा देती है। इसके अलावा इस स्थिति में दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। ऐसे में लंबे समय तक कीटो डाइट फॉलो करने वाले लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक होने का खतरा 5 गुणा तक अधिक होता है।

कीटो डाइट में फैट फूड्स को प्रथम प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में केवल फैट फूड का सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे शरीर में फैट बढ़ता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है। सभी को कीटो डाइट के पहले डाइटिशियन की उचित सलाह लेनी चाहिए साथ ही हृदय रोगियों को इससे जितना हो सके उतना बचना चाहिए।

यह भी पढ़ें : G-20 में राष्ट्राध्यक्षों को परोसा जा रहा है ये ख़ास ‘भारतीय डेज़र्ट’, जानिए क्या है ये बरसों पुरानी हेल्दी रेसिपी

3. किडनी पर पड़ता है नकारात्मक असर

हाई फैट एनिमल फूड्स जैसे की मीट, अंडा, चीज कीटो डाइट में शामिल होने वाले खाद्य पदार्थ हैं। इन सभी में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा नहीं पाई जाती। इन खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन किडनी स्टोन के खतरे को बढ़ावा देता है। इसके अलावा एनिमल फूड्स का हाई इंटक आपके खून और यूरिन को अधिक एसिडिक बना देते हैं। साथ ही साथ यूरिन में कैल्शियम की मात्रा को भी बढ़ावा देता है। यह सभी स्थितियां किडनी संबंधी बीमारियों के खतरे को बढ़ा देती हैं।

किडनी से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। चित्र : शटरस्टॉक

4. हड्डियों की सेहत प्रभावित होती हैं

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कीटो डाइट फॉलो करने वाले व्यक्ति की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसके लिए बोन मिनिरल डेंसिटी की कमी जिम्मेदार होती है। वहीं लंबे समय तक कीटो डाइट पर रहने पर हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

5. पाचन क्रिया पर पड़ता है नकारात्मक असर

आवश्यक पोषक तत्व एवं फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि क्विनोआ, बिन्स, दाल, फल, ब्राउन राइस आदि को कीटो डाइट में शामिल नहीं कर सकते, क्योंकि इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पाई जाती है। इस स्थिति में कीटो डायट फॉलो कर रहे व्यक्ति के शरीर में फाइबर की कमी होने से पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कि कब्ज और डायरिया की स्थिति देखने को मिल सकती है।

वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए

बीएमआई चेक करें

इसके अलावा शरीर को हाइड्रेटिंग फ्रूट्स और फूड नहीं मिल पाते, जिसकी वजह से बॉडी डिहाइड्रेटेड हो जाती है। डिहाइड्रेशन पाचन संबंधी समस्याओं का एक बहुत बड़ा कारण है, इसलिए यदि आप कीटो डाइट फॉलो कर रही हैं, तो हाइड्रेशन का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

6. दिखाई दे सकते हैं कीटो फ्लू के लक्षण

कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट का इंटक बेहद कम होता है, जिसे कुछ लोगों का शरीर अडॉप्ट नहीं कर पाता। कार्बोहाइड्रेट बॉडी को ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ईटिंग पैटर्न में बदलाव आने से आपको फ्लू के लक्षण का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि सर दर्द, चक्कर आना, थकान महसूस होना, जी मचलना, कब्ज आदि। वहीं कीटो डाइट में डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस का खतरा भी बना रहता है।

यह भी पढ़ेंइन 4 डोसा रेसिपीज के साथ अपने ब्रेकफास्ट को बनाएं हेल्दी और इंटरेस्टिंग

अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख