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डायबिटीज

Published: 21 Jul 2023, 17:14 pm IST
मेडिकली रिव्यूड

मधुमेह (Sugar) या डायबिटीज (Diabetes) तेजी से बढ़ती जा रही एक स्वास्थ्य स्थिति है, जो किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। डायबिटीज के कई रूप हैं। इनमें डायबिटीज टाइप 2 (Diabetes type2) सबसे आम है। डायबिटीज ट्रीटमेंट के साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली इससे होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए, स्थिति का प्रबंधन करने में मददगार हो सकती है।

ब्लड शुगर लेवल सामान्य से अधिक होने पर डायबिटीज हो सकता है. चित्र शटरस्टॉक।

टाइप 2 मधुमेह सबसे आम रूप है, जो सभी मधुमेह के 90% से 95% मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। संयुक्त राज्य में लगभग 37.3 मिलियन लोगों को मधुमेह है, जो जनसंख्या का लगभग 11% है। आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार, भारत में 100 मिलयन से भी ज्यादा लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। दुनिया भर में लगभग 537 मिलियन वयस्कों को मधुमेह है। अनुमान के मुताबिक यह संख्या 2030 तक बढ़कर 643 मिलियन और 2045 तक 783 मिलियन हो जाएगी।

डायबिटीज मेलिटस (Diabetes Mellitus)

एक मेटाबोलिज्म डिजीज (Metabolism Disease) है, जिसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। ये कई तरह की हो सकती हैं। इनमें टाइप 1, टाइप 2, गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes), लेटेन्ट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन एडल्ट (Latent autoimmune diabetes in adults LADA) नवजात मधुमेह (Child Diabetes) आदि हैं। मधुमेह के ज्यादातर रूप आजीवन होते हैं। इन सभी रूपों को दवाओं और जीवनशैली में परिवर्तन के साथ प्रबंधित किया जा सकता है।

डायबिटीज मेलिटस और डायबिटीज इंसिपिडस (Diabetes Mellitus and Diabetes Insipidus)

मधुमेह का तकनीकी नाम मधुमेह मेलिटस (Diabetes Mellitus) है। एक और मधुमेह इंसिपिडस भी होता है। डायबिटीज इन्सिपिडस वैसोप्रेसिन (AVP) केमिकल प्रॉब्लम के कारण होती है। इसके कारण अत्यधिक प्यास (Polydipsia) और रात में बहुत पेशाब आना (Polyurea) होता है। डायबिटीज इन्सिपिडस डायबिटीज मेलिटस की तुलना में दुर्लभ है।

डायबिटीज : कारण

मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जब ब्लड ग्लूकोज बहुत अधिक होता है। अग्न्याशय या पैनक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन या बिल्कुल नहीं बना पाता, तो ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। मधुमेह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। ग्लूकोज (चीनी) मुख्य रूप से भोजन और पेय पदार्थों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट से आता है। यह शरीर की ऊर्जा का स्रोत है। ब्लड ऊर्जा के उपयोग के लिए शरीर की सभी कोशिकाओं में ग्लूकोज ले जाता है।

डायबिटीज के कारण (Causes of Diabetes)

1 हाई ब्लड ग्लूकोज (High Blood Glucose)

ग्लूकोज को ब्लड फ्लो के जरिये अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए इंसुलिन हार्मोन की जरूरत पड़ती है। यदि अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या शरीर इसका ठीक से उपयोग नहीं करता है, तो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इससे हाई ब्लड ग्लूकोज यानी हाइपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia) होता है। समय के साथ लगातार हाई ब्लड ग्लूकोज होने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- हृदय रोग, तंत्रिका क्षति और आंखों की समस्याएं।

2 हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)

गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा हार्मोन जारी करता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है। यदि अग्न्याशय इंसुलिन प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर सकता है, तो गर्भावस्था में मधुमेह विकसित हो सकता है। अन्य हार्मोन संबंधी स्थितियां जैसे एक्रोमेगाली और कुशिंग सिंड्रोम भी टाइप 2 मधुमेह का कारण बन सकती हैं।

3 शारीरिक गतिविधि की कमी (Lack of Physical Activity)

मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, आहार, हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिकी और कुछ दवाएं शामिल हैं। कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग से टाइप 2 मधुमेह भी हो सकता है, जिसमें एचआईवी/एड्स दवाएं और कॉर्टिकोस्टेरॉइड शामिल हैं। जेनेटिक म्यूटेशन से नियोनेटल डायबिटीज हो सकता है।

मधुमेह के प्रकार (Types of Diabetes)

मधुमेह कई प्रकार के होते हैं। सबसे आम हैं-टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes): इसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है। शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) के लिए सामान्य रूप से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। यह मधुमेह का सबसे आम प्रकार है। यह मुख्य रूप से वयस्कों को प्रभावित करता है, लेकिन बच्चों को भी यह हो सकता है।

प्रीडायबिटीज:

यह टाइप 2 मधुमेह से पहले का चरण है। इसमें रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक होता है। यह इतना अधिक नहीं होता है कि इसे टाइप 2 मधुमेह का दर्ज़ा दिया जा सके।

टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes)

यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अज्ञात कारणों से अग्न्याशय में इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं पर हमला कर देती है। यह उन्हें नष्ट कर देती है। मधुमेह वाले 10% लोगों में टाइप 1 होता है। यह आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है। साथ ही यह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है।

गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) :

यह गर्भावस्था के दौरान होता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के बाद चली जाती है। अगर गर्भकालीन मधुमेह है, तो जीवन में बाद में टाइप 2 मधुमेह होने का अधिक खतरा होता है।

टाइप 3 सी मधुमेह (Type 3) :

जब पैनक्रियाज ऑटोइम्यून डैमेज का अनुभव करता है। यह इंसुलिन के उत्पादन की क्षमता को प्रभावित करता है। पैनक्रियाज कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस और हेमोक्रोमैटोसिस सभी पैनक्रियाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो मधुमेह का कारण बनता है। पैनक्रियाज को हटाने पर टाइप 3 सी होता है।

वयस्कों में अव्यक्त ऑटोइम्यून मधुमेह (LADA):

टाइप 1 मधुमेह की तरह यह भी एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया का परिणाम होता है। यह टाइप 1 की तुलना में बहुत धीरे-धीरे विकसित होता है। आमतौर पर यह 30 वर्ष से अधिक आयु के होते हैं।

युवाओं की परिपक्वता-शुरुआत मधुमेह (Maturity-onset Diabetes of the young -MODY) :

इसे मोनोजेनिक मधुमेह भी कहा जाता है। यह विरासत में मिले आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है। यह शरीर को इंसुलिन बनाने और उपयोग करने के तरीके को प्रभावित करता है। यह मधुमेह 5% लोगों को प्रभावित करता है और आमतौर पर परिवारों में चलता है।

नवजात मधुमेह (Neonatal diabetes) :

यह मधुमेह का एक दुर्लभ रूप है, जो जीवन के पहले छह महीनों के भीतर होता है। यह मोनोजेनिक मधुमेह का भी एक रूप है। नवजात मधुमेह वाले लगभग 50% शिशुओं में आजीवन मधुमेह का रूप होता है, जिसे स्थायी नवजात मधुमेह कहा जाता है। अन्य आधे में शुरुआत के कुछ महीनों के भीतर यह गायब हो जाता है। बाद में जीवन में यह वापस आ सकता है। इसे ट्रांसिएंट नियोनेटल डायबिटीज मेलिटस कहा जाता है।

डायबिटीज की जटिलताएं (Diabetes Complications)

मधुमेह कई लम्बी स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है। यह मुख्य रूप से अत्यधिक या लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण हो सकता है।

हाइपरस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक अवस्था (HHS ): यह जटिलता मुख्य रूप से टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक 600 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या मिलीग्राम से अधिक होता है। इससे गंभीर डिहाइड्रेशन हो सकती है।

कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis): यह जटिलता मुख्य रूप से टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है। यदि शरीर में इंसुलिन नहीं है, तो यह ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग नहीं कर सकता है। इसलिए यह वसा को तोड़ने लगता है। यह प्रक्रिया कीटोन्स नामक पदार्थ छोड़ती है, जो रक्त को अम्लीय बना देता है। इससे सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और अनकॉनशसनेस होती है।

निम्न रक्त शर्करा (Hypo Glycemia): जब ब्लड शुगर लेवल सीमा से नीचे चला जाता है, तो हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है। गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया बहुत कम रक्त शर्करा है। यह मुख्य रूप से मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करता है, जो इंसुलिन का उपयोग करते हैं। धुंधली दृष्टि या डबल विजन, दौरे पड़ना और अन्य मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम इसके कारण हो सकती हैं।

लंबे समय तक डायबिटीज की जटिलता (Chronic Diabetes Complications)

रक्त शर्करा का स्तर बहुत लंबे समय तक बने रहने पर शरीर के ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह मुख्य रूप से रक्त वाहिकाओं, ऊतकों और तंत्रिकाओं का नुकसान करता है। इसके कारण कार्डियोवास्कुलर डिजीज का जोखिम सबसे अधिक होता है। इसके कारण दिल का दौरा, स्ट्रोक, एथेरोस्क्लेरोसिस हो सकता है। हाई ब्लड ग्लूकोज लेवल के कारण किडनी फेलियर, रेटिनोपैथी, पैर की नसों में प्रॉब्लम, बहरापन, पेरिओडोंटल डिजीज और त्वचा में संक्रमण हो सकता है।

 

डायबिटीज : लक्षण

  • प्यास के कारण मुंह सूखना
  • जल्दी-जल्दी पेशाब आना
  • लगातार थकान महसूस होना
  • दृष्टि का धुंधला होना या ब्लर विजन
  • अचानक वजन घटना या बढ़ जाना
  • हाथों या पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी
  • घावों या कटने पर उनके ठीक होने में अधिक समय लगना
  • स्किन या योनि में यीस्ट इन्फेक्शन होना

डायबिटीज : निदान

डायबिटीज का निदान करने के लिए फास्टिंग में  ब्लड शुगर परीक्षण किया जा सकता है। रात का खाना खाने के बाद सुबह कुछ नहीं खाएं। फास्टिंग के दौरान ब्लड शुगर लेवल मापा जाता है। फास्टिंग के दौरान ब्लड शुगर लेवल 99 मिलीग्राम/डीएल या उससे कम है, तो यह सामान्य है।  यदि ब्लड शुगर लेवल 100 से 125 मिलीग्राम/डीएल  है, तो यह इंगित करता है कि आपको प्रीडायबिटीज है। यदि यह लेवल 126 मिलीग्राम/डीएल या इससे अधिक है, तो यह इंगित करता है कि आपको डायबिटीज है।

डायबिटीज : उपचार

हेल्थ केयर प्रोवाइडर ग्लूकोज स्तर की जांच कर डायबिटीज की सही मेडिसिन देते हैं। मधुमेह के प्रबंधन में मुख्य रूप से ब्लड शुगर लेवल पर कंट्रोल किया जाता है।

  1. ग्लूकोज मीटर और फिंगर स्टिक और निरंतर ग्लूकोज मॉनिटर के साथ बार-बार जांच करके लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। मुंह से ली जाने वाली मधुमेह दवाएं रक्त शर्करा स्तर को प्रबंधित करने में मदद करती हैं।
  2. स्वस्थ आहार चुनना मधुमेह प्रबंधन के लिए सबसे अधिक जरूरी है। भोजन रक्त शर्करा पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है। यदि इंसुलिन लेती हैं, तो खाए जाने वाले भोजन और पेय पदार्थों में कार्ब्स की गिनती करना बेहद जरूरी है। शरीर को एक्टिव रखने के लिए नियमित योग और व्यायाम भी जरूरी है।
  3. सप्ताह में 5 दिन 30 मिनट तक योगासन या एक्सरसाइज ब्लड ग्लूकोज लेवल पर नियन्त्रण रख सकते हैं। हृदय रोग के जोखिम से बचाव, वज़न प्रबंधन, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल पर नियन्त्रण डायबिटीज के प्रबंधन के लिए सबसे जरूरी है।

यह भी पढ़ें – क्या डायबिटीज में नहीं लेनी चाहिए होम्योपैथिक दवाएं? जानते हैं एक होम्योपैथिक एक्सपर्ट की राय 

डायबिटीज : संबंधित प्रश्न

क्यों होती है डायबिटीज ?

इन्सुलिन एक हॉर्मोन है, जो पैन्क्रियाज सीक्रेट करता है। जब शरीर में इन्सुलिन की कमी हो जाती है या सीक्रेट नहीं होती है, तो शरीर में कम मात्रा में इन्सुलिन पहुंचता है। इससे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा हो जाती है। यह स्थिति डायबिटीज है।

क्या डायबिटीज को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है?

इस बीमारी को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता। दवाइयों, लाइफस्टाइल और भोजन में परहेज कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

क्या डायबिटीज किडनी को भी प्रभावित करती है?

डायबिटीज के रोगियों में यूरीन के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर हाई होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे किडनी के प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है।

कौन सी डायबिटीज ज्यादा खतरनाक होती है?

शरीर में बिलकुल इंसुलिन नहीं बनने के कारण टाइप 1 डायबिटीज टाइप 2 के मुकाबले अधिक खतरनाक होती है। यह बच्चों और किशोरों में अधिक होती है।

मधुमेह या डायबिटीज के मरीज को क्या खाना चाहिए?

डायबिटीज़ के मरीज को शुगर और अन्हेल्दी वसा का सेवन नहीं करना चाहिए। सेब, संतरा, बेरीज, चेरी, एप्रिकोट, नाशपाती और कीवी जैसे फल वे हर दिन खा सकते हैं। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले कार्ब्स और हरी सब्जियां, पत्तेदार सब्जियां खा सकते हैं।

शुगर लेवल 600 होने पर क्या होता है?

टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में कभी-कभी शुगर लेवल बहुत ज्यादा हो जाता है। यदि आपका शुगल लेवल 600 या उससे अधिक हो गया है तो इससे गंभीर डिहाइड्रेशन हो सकती है। इसे हाइपरस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक अवस्था (HHS ) भी कहा जाता है। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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