एड्स (AIDS) की जानकारी ही बचाव के प्रति पहला कदम है। ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) यानि एचआईवी (HIV) एक ऐसा संक्रमण है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला कर शरीर को कमज़ोर बनाने लगता है।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एचआईवी मरीजों की तादाद तेज़ी से बढ़ रही है। आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2019 हर 1 मिनट और 40 सेकेंड के दरमियान 20 साल से कम उम्र का युवा इस बीमारी का शिकार हो रहा है। वहीं वर्ष 2020 में एचआईवी संक्रमितों की तादाद बढ़कर 2.8 मिलियन के करीब पहुंच चुकी थी। अमेरिकन हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार वे लोग जो एचआईवी से ग्रस्त हैं, वे किसी भी दवा के बिना तकरीबन 3 साल तक जिंदा रह पाते हैं। वे लोग जिन्हें एचआईवी की सही समय पर जानकारी मिल जाती है। अगर वे एआरटी का सेवन करने लगते हैं, तो ऐसे लोगों में मौत का खतरा कम हो जाता है।
दरअसल, एचआईवी शरीर की सफेद रक्त कोशिकाओं (White blood cells) को लक्षित करता है। इन्हें हेल्पर टी सेल्स के नाम से भी जाना जाता है। हांलाकि इसकी शुरूआत में शरीर में फ्लू जैसे सामान्य लक्षण (Flu like symptoms) नज़र आने लगते हैं, जिन्हें अधिकतर लोग इग्नोर भी कर देते हैं। आमतौर पर शरीर का वज़न घटना, बुखार आना, थकान महसूस होना और जेनेटिकल एरिया में अल्सर की संभावना बढ़ने लगती है। इसके अलावा त्वचा के रंग में बदलाव भी नज़र आने लगता है। इसके चलते शरीर टयूबरक्यूलोसिस यानि तपेदिक, किसी प्रकार के संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार हो जाता है।
एचआईवी-एड्स : कारण
एचआईवी के कारण व्यक्ति एड्स से ग्रसित हो जाता है। एचआईवी एक प्रकार का वायरस है और शरीर के इम्यून सिस्टम को कमज़ोर बना देता है। कई कारणों से एचआईवी वायरस मानव शरीर में प्रवेश करने लगता है।
यौन संपर्क
वायरस के बढ़ने का सबसे मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबध है। चाहे पेनिट्रेटिव वेजाइनल सेक्स हो, एनल सेक्स हो या ओरल सेक्स। बिना प्रोटेक्शन के कई लोगों के साथ सेक्स करने से एचआईवी का खतरा बना रहता है।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन
कई केसिज़ में व्यक्ति ब्लड ट्रांसफर के माध्यम से भी इस वायरस के संपर्क में आ जाता हैं। डायरेक्ट ब्लड ट्रांसफ्यूजन से संचरण का जोखिम पैदा हो जाता है। इससे शरीर में एचआईवी वायरस प्रेवश करता है। ब्लड स्ट्रीम में वायरस ट्रांसमिट होता हैं। इससे संक्रमण फैलता है।
संक्रमित सुइयों को साझा करना
संक्रमित सुइयों का प्रयोग भी इसका मुख्य कारण है। किसी भी प्रकार की सिरिंज को शेयर करने से व्यक्ति इंफेक्टेड ब्लड के संपर्क में आ सकता है। जो एचआईवी प्रसारित करने का एक कारण साबित होता है।
मां से बच्चे तक
एचआईवी वायरस गर्भवती मां से बच्चे में जन्म के दौरान या पहले या स्तनपान के दौरान भी फैल सकता है। वे माताएं जो एचआईवी पॉजिटिव है। वे गर्भावस्था या जन्म के बाद स्तनपान के माध्यम से बच्चे में एचआईवी संचारित कर सकती हैं।
शरीर के तरल पदार्थों के माध्यम से
वेजाइनल सेक्रेशन, रेक्टल सेक्रेशन, ब्रेस्ट मिल्क, रक्त, भ्रूण के आसपास एमनियोटिक द्रव और रीढ़ की हड्डी के आसपास मस्तिष्कमेरु द्रव जैसे एचआईवी संक्रमण फैलने का कारण साबित होते हैं।
एचआईवी-एड्स : लक्षण
अधिकतर एड्स से संक्रमित लोगों को सक्रंमण होने के 2 से 6 सप्ताह के भीतर फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव होने लगता है। एचआईवी की चपेट में आने के बाद व्यक्ति एड्स का शिकार हो जाता है।
स्टेज1. एक्यूट एचआईवी संक्रमण
ऐसा माना जाता है कि एचआईवी संक्रमण वाले 50 से 70 फीसदी लोगों को 2 से लेकर 4 सप्ताह में फ्लू जैसी लक्षण दिखने लगते हैं। इसे एड्स की पहली स्टेज के तौर पर जाना जाता है। कई सप्ताह तक व्यक्ति इन्हीं लक्षणों के साथ रहता है। जैसे
- बार-बार बुखार का आना
- ठंड का लगना
- शरीर पर लाल चकत्ते नज़र आने लगना
- सिरदर्द की शिकायत रहना
- गर्दन पर सूजन महसूस होना
- रात को पसीना आना
- माउथ और जेनिटल अल्सर
- जोड़ों में मामूली दर्द की शिकायत
- हर वक्त थकान रहना
स्टेज 2 क्लीनिकल देरी
इस स्टेज पर वायरस कई गुना बढ़ जाता है। इस चरण को क्रोनिक एचआईवी संक्रमण कहकर पुकारा जाता है। प्रारंभिक संक्रमण से क्लीनिकल डिज़ीज़ के विकास तक समय की लंबाई अलग अलग होती है। अनुपचारित पेशेंट्स के लिए औसत समय 10 वर्ष है। प्लाज्मा में एचआईवी आरएनए के उच्च स्तर वाले रोगी लक्षणों में प्रगति करते हैं। इस स्टेज पर तेज़ी से सेक्स पार्टनर में फैलने का खतरा बना रहता है।
स्टेज 3 एड्स
वे लोग जो एचआईवी से ग्रस्त हैं और उपचार नहीं ले रहे हैं। उन लोगों का इम्यून सिस्टम धीरे धीरे कमज़ोर होने लगता है। एड्स का निदान एचआईवी संक्रमण के साथ 6 वर्ष और उससे अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति में किया जाता है। ऐसे लोगों में कुछ गंभीर लक्षण पाए जाते हैं।
- निमोनिया
- मुंह और गुदा में
- हर समय थकावट रहना
- बुखार रहना
- याददाश्त कमज़ोर होना और डिप्रेशन की समस्या
एचआईवी-एड्स : निदान
एचआईवी टेस्ट सीरम, लार और यूरिन में वायरस का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। इससे इस बात की जानकारी मिलती है कि व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है या नहीं। एचआईवी के लक्षण कई वर्षों तक दिखाई नहीं दे सकते हैं।
लैब टेस्ट
एचआईवी 1 और एचआईवी 2 एंटीबॉडी परीक्षण
एचआईवी दो प्रकार के होते हैं एचआईवी .1 और एचआईवी .2। दरअसल, एचआईवी .1 उन लोगों में पाया जाता है जिन्हें एड्स का खतरा अधिक होता है। पश्चिम अफ्रीका में एचआईवी .2 संक्रमित रोगी पाए जाते हैं। यह परीक्षण मुख्य रूप से रक्त में मौजूद वायरस और पी 24 एंटीजन की मात्रा की जांच करता है।
सीडी 4 काउंट
इस टेस्ट के ज़रिए शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की जांच की जाती है। एक स्वस्थ व्यक्ति में इसका काउंट 1000 होता है। वहीं एचआईवी पॉजिटिव में व्हाइट ब्लड सेल्स का काउंट कई बार 200 से भी कम हो जाता है।
रेपिड एंटीबॉडी स्क्रीनिंग
लार या ब्लड के ज़रिए इस टेस्ट को िकिया जाता है। रेपिड एंटीबॉडी स्क्रीनिंग का रिजल्द 30 मिनट में आ जाता है।
एंटीबॉडी टेस्ट
रैपिड टेस्ट एक इम्यूनोएसे है जिसका उपयोग स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है। ये टेस्ट एचआईवी के लिए एंटीबॉडी की तलाश के लिए रक्त या मौखिक तरल पदार्थ का उपयोग करता है।
एचआईवी-एड्स : उपचार
अब तक एचआईवी का कोई इलाज नहीं है। मगर इस वायरस से बचाव के लिए कई प्रभावी उपचार हैं जो वायरस वाले अधिकांश लोगों को स्वस्थ और लंबा जीवन जीने में सक्षम बनाते हैं।
एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी यानि एआरटी
यह एचआईवी संक्रमण और एचआईवी संचरण के सभी चरणों में एचआईवी से संबंधित रुग्णता को कम करता है। ये शरीर में सीडी 4 गिनती को बनाए रखता है और एड्स को रोकता है। अधिकांश लोग उपचार शुरू करने के छह महीने के भीतर दैनिक एचआईवी उपचार लेते हैं। इनमें नाक स्प्रे और इनहेलर के साथ रीक्रिएशनल दवाएं भी शामिल हैं
एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी चार किस्म की होती हैं
- एंट्री इनहिबिटर
- इंटीग्रेज इनहिबिटर
- प्रोटीज इनहिबिटर
- फ्यूजन इनहिबिटर
दवाओं के माध्यम से
यह दवाओं के दो या दो से अधिक विभिन्न वर्गों को जोड़ती है। यह मल्टीड्रग प्रतिरोध के खिलाफ एक संयोजन चिकित्सा है। इसमें व्यापक स्पेक्ट्रम, मोनोथेरेपी में उपयोग की जाने वाली दवाओं की तुलना में अधिक शक्ति और प्रतिरोधी जीवों की संख्या में कमी जैसे संभावित लाभ हैं। डोल्यूटेग्रेविर, टेनोफोविर, एमट्रिसिटाबिन और राल्टेग्राविर, टेनोफोविर व एमट्रिसिटाबिन .को डॉक्टर की सलाह के बाद ही लें।
एचआईवी-एड्स : संबंधित प्रश्न
एचआईवी किस प्रकार से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर हो जाता है?
ये रोग एक से दूसरे व्यक्ति में शरीर के फ्लूइड के ज़रिए ट्रांसफर हो जाता है। फिर चाहे ब्लड हो, प्री इजेकुलेट हो, वेजाइनल सिक्रीशन हो या रेक्टल सिक्रीशन। ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने लगता है। इससे ब्लड संक्रमण को ट्रांसमिट करता है। जो गंभीर समस्या का रूप ले लेता है।
क्या लेसबियन और एलजीबीटी बिरादरी के लोग भी एड्स का शिकार हो जाते हैं।
जी हां इन लोगों में भी एचआईवी होने की संभावना रहती है। इंटरकोर्स के अलावा लेस्बियन सेक्स के द्वारा भी एचआईवी के फैलने को जोखिम बना रहता है। वहीं एनल सेक्स से भी एचआईवी फैलने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में सेक्स पार्टनर चुनने से पहले सावधान रहें और सेक्स से पहले पार्टनर से खुलकर बात करें।
महिलाओं में एड्स के क्या लक्षण पाए जाते है
वे महिलाएं जो एचआईवी की समस्या से ग्रस्त होती है। उन्हें कमज़ोरी, थकान और बार बार बुखार होने की शिकायत रहती है। इसके अलावा शरीर पर लाल चकत्ते नज़र आने लगते हैं और एपिटाइट कमज़ोर हो जाता है। इससे भूख कम लगने लगती है। इसके अलावा पीरियड साइकल भी प्रभावित होती है।
एचआईवी के उपचार के दौरान अन्य दवाओं का सेवन सेफ है
दवाओं का सेवन एचआईवी इंफे्क्शन की तीव्रता पर निर्भर करता है। कई बार दो दवाओं को एक साथ लेने से शरीर में रिएक्शन का खतरा रहता है। ऐसे में दवाओं के दौरान टाइम गैप तय करना ज़रूरी है। वहीं अगर ज्यादा इन्फेक्टेड हैं, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही कोई भी दवा खाएं ।
किन कारणों से एचआईवी का खतरा बढ़ जाता है।
वे लोग जो एक से अधिक पार्टनर के साथ असुरक्षित तरीके से सेक्स करते हैं। उनमें इस बीमारी का खतरा सबसे अधिक बढ़ने लगता है। इसके अलावा वे लोग जो ड्रग्स इंजेक्ट करने वाले व्यक्ति के उपकरणों का प्रयोग करें। उसमें भी इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है।