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50 की उम्र के बाद पेरेंट्स में बढ़ सकता है पेरिफेरल आर्टरी डिजीज का खतरा, जानिए क्या हैं ये

उम्र के साथ शरीर में बढ़ने वाली दर्द की समस्याएं पेरिफेरल आर्टरीज डिज़ीज़ का संकेत हो सकती हैं। जानें बॉडी में पेरिफेरल आर्टरीज डिज़ीज़ के जोखिम को कम करने का तरीका।
जानते हैं कि पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (peripheral artery disease) क्या है और इससे कैसे करें बचाव। चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 28 Oct 2023, 15:00 pm IST
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अधिकतर लोगों का यही मानना है कि उम्र के साथ शरीर में कई बदलाव आने लगते हैं। मगर हर बदलाव उम्र बढ़ने का संकेत हो। ये ज़रूरी तो नहीं, जी हां अगर आपके पेरेंटस को भी 50 की उम्र के बाद चलने फिरने में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन और बॉडी पोस्चर में बदलाव नज़र आने लगे। तो उन्हें सतर्क होने की आवश्यकता है। क्यों कि ये पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के लक्षण भी हो सकते हैं। जानते हैं कि पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (peripheral artery disease) क्या है और इससे कैसे करें बचाव।

कैसे बढ़ने लगता है ये रोग पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (peripheral artery disease)

पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (peripheral artery disease) यानि परिधीय धमनी रोग उस समस्या को कहते है जब पैर की कोई आर्टरी धीरे धीरे ब्लॉक हो जाती है। दरअसल, इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के हाथों और पैरों में रक्त प्रवाह एचित तरीके से नहीं हो पाता है। इससे चलते फिरने के दौरान दर्द का अनुभव होने लगता है। आमतौर पर 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में ये समसया पाई जाती है।

इस बारे में बातचीत करते हुए इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, कार्डिएक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, सीनियर कंसलटेंट डॉ वनिता अरोड़ा ने कई बातों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आर्टरीज पूरी बाडी को ब्लड सप्लाई करने का काम करती है। अगर उनमें ब्लॉकेज हो जाती है तो उन्हें पेरिफेरल आर्टरीज डिज़ीज़ कहा जाता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल डिपॉज़िट बढ़ने से ब्लॉकेज का खतरा बढ़ने लगता है। इसके अलावा वे लोग जो डायबिटीज के शिकार है। उन्हें भी इस तकलीफ का सामना करना पड़ता है। एक्सपर्ट के अनुसार ज्याद स्मोकिंग करने से भी इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है।

एक्सपर्ट के अनुसार ज्याद स्मोकिंग करने से भी इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

जानते हैं पेरिफेरल आर्टरीज डिज़ीज़ के लक्षण

1. झंझनाहट महसूस होना

पेरिफेरल आर्टरीज डिज़ीज़ से ग्रस्त लोगों को हाथों और पैरों में झंझनाहट महसूस होने लगती है। इससे उनके हाथ और पैर सुन्न हो जाते हैं। इसके चलते उन्हें हर काम को करने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। ब्लड सप्लाई न हो पाने से शरीर की आर्टरीज़ में ब्लॉकेज़ बढ़ने लगती है।

2. दर्द की शिकायत

वे लोग जो इस समस्या से ग्रस्त होते हैं। उनके हाथों और खासतौर से पैरों में दर्द रहने लगता है। इसके चलते उन्हें चलने फिरने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। पूरी तरह से न चल पाने के कारण उनकी बॉडी बेन्ड भी होने लगती है। डायबिटीज़ के शिकार लोगों में इसका जोखिम बढ़ जाता है।

3. पैरों में सुन्नपन का रहना

इस समस्या के कारण पैरों में सुन्नपन बना रहता है। पोषक तत्वों की कमी और रक्त प्रवाह के नियमित न होने के चलते पैरों में कुछ भी महसूस नहीं होता है। इसके अलावा सूजन की समस्या भी रहती है। पैरों के सुन्न होने से उठने बैठने और चलने फिरने में परेशानी होती है। ऐसे लोगों को वॉक या एक्सरसाइज़ की सलाह नहीं दी जाती है।

पैरों के सुन्न होने से उठने बैठने और चलने फिरने में परेशानी होती है। चित्र: शटरस्टॉक

4. एओटा में तकलीफ

एओटा वो सबसे बड़ी आर्टरी है, जो हार्ट से निकलती है। कई बार इसके कारण भी पशेंटस को तकलीफ हो सकती है। इसकी वॉल में कमज़ोरी आने से इस रोग का खतरा बढ़ने लगता है। अगर ये वॉल ब्रेक होती है, तो शरीर में खून की सप्लाई बाधित हो जाती है। इससे जान का जोखिम बढ़ने लगता है।

पेरिफेरल आर्टरीज डिज़ीज़ का जोखिम कैसे करें कम

1. स्मोकिंग न करें

लगातार स्मोकिंग करने से छोटी से छोटी आर्टरीज़ में दर्द रहता है। इसके अलावा शरीर में ब्लॉकेज भी बढ़ने लगती है। नियमित तौर पर धूम्रपान करना शरीर के लिए नुकसान दायक रहता है। इससे फेफड़ों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचना है। जो सांस संबधी समस्याओं को भी बढ़ाता है।

2. डायबिटीज़ को नियंत्रित करें

इस रोग की रोकथाम के लिए वे लोग जो लॉग टर्म से डायबिटीज़ के शिकार है। उन्हें ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने की आवश्यकता है। इससे पेरिफेरल आर्टरीज़ डिजीज के जोखिम को कम किया जा सकता है। ऐसे में मीठा और अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट चीजों का सेवन करने से बचें। दरअसल, कार्बोहाइड्रेट को हमारी बॉडी ब्लड शुगर में बदल देती है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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