मोटापा आपके लिवर के लिए भी है खतरनाक, बढ़ा जाता है नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का जोखिम
लिवर के बारे में ब्रेन या हार्ट की तरह अक्सर चर्चा नहीं की जाती है। लिवर रोजमर्रा की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मेटाबोलिज्म, पाचन, इम्युनिटी और समग्र रूप से शरीर को स्वस्थ रखने में भूमिका निभाता है। लिवर के बारे में जानकारी कम होने के कारण लोग इसे स्वस्थ रखने के उपाय नहीं कर पाते हैं। आमतौर पर अल्कोहल को लिवर खराब करने वाले कारक के रूप में देखा जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इन दिनों नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के मामले में बहुत अधिक वृद्धि देखी जा रही है। इसलिए लिवर हेल्थ के बारे में जागरूकता (Non Alcoholic Fatty liver disease) जरूरी है। लिवर के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए ही वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है।
वर्ल्ड लिवर डे (World Liver Day 2024)
19 अप्रैल को हम वर्ल्ड लिवर डे या विश्व लिवर दिवस मनाते हैं। यह शरीर के कई महत्वपूर्ण काम करता है। बाइल प्रोडक्टशन लिवर का प्रमुख काम है। बाइल या पित्त पाचन के दौरान वसा को तोड़ने में मदद करता है। यह ब्लड से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और आवश्यक विटामिन का भंडारण करता है।वर्ल्ड लिवर डे 2024 की थीम (World Liver Day 2024 theme) है- ‘सतर्क रहें, नियमित लीवर जांच कराएं। फैटी लीवर रोगों को रोकें’। इन दिनों फैटी लिवर खासकर नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर के बारे में जानना जरूरी है।
क्या है फैटी लिवर (Fatty liver)
अधिक कैलोरी खाने से लिवर में फैट जमा होने लगता है। लीवर वसा को सामान्य रूप से प्रोसेस और ब्रेकडाउन नहीं कर पाता है। इसके कारण बहुत अधिक वसा जमा हो जाती है। लोगों में मोटापा, डायबिटीज या हाई ट्राइग्लिसराइड्स जैसी कुछ स्थिति है, तो उनमें फैटी लीवर विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Alcoholic Fatty liver disease)
बड़ी मात्रा में शराब पीने से लीवर में वसा का निर्माण हो सकता है। इसे अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज कहा जाता है। इसके लक्षण तो आमतौर पर पता नहीं चलते हैं, लेकिन बहुत अधिक अल्कोहल कई अन्य तरह की समस्या पैदा करने लगता है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Non Alcoholic Fatty liver disease)
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का कारण तो अब तक नहीं जाना जा सका है। जोखिम कारकों में मोटापा, गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी, हाई कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 डायबिटीज हैं। अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं होते। कुछ लोगों को थकान, दर्द या वेट लॉस का अनुभव हो सकता है। समय के साथ लीवर में सूजन और घाव (liver cirrhosis) हो सकता है।
क्यों बढ़ रहे हैं नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के मामले (Non Alcoholic Fatty liver disease)
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड में लैब ऑपरेशंस चीफ (मुंबई) डॉ. मौमिता मिश्रा बताती हैं, इन दिनों नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके कारण बाद में नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस और लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने की भी संभावना होती है। लीवर कैंसर भी हो सकता है।
अधिकांश मामलों में लोगों में तब तक कोई लक्षण नहीं दिखता जब तक कि एनएएसएच या सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी नहीं हो जाये। इंडियन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन में प्रकाशित विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, 9% से 32% भारतीय आबादी नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज से पीड़ित है।
यहां हैं नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के 5 कारण (Non Alcoholic Fatty liver disease causes)
1. मोटापा (Obesity)
डॉ. मौमिता मिश्रा के अनुसार, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के सबसे आम कारणों में से एक है। मोटापा फैटी लीवर के मामलों की संख्या बढ़ाने का प्रमुख कारण बन रहा है। स्कूल देज में बढ़ा हुआ वजन एडल्ट एज में एनएएफएलडी का खतरा बढ़ा देता है। पिछले साल चेन्नई में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, मोटे लोगों में एनएएफएलडी विकसित होने का खतरा 23.09 गुना अधिक होता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (अमेरिका) के आंकड़ों के अनुसार, 75% अधिक वजन वाले लोगों और 90% गंभीर रूप से मोटे लोगों में फैटी लीवर होता है।
2. टाइप 2 डायबिटीज और इंसुलिन रेसिस्टेंस (Type 2 Diabetes and Insulin resistance)
दुनिया भर में मौजूदगी वाली एक और क्रोनिक डिजीज आमतौर पर फैटी लीवर का कारण बनती है। टाइप 2 मधुमेह वाले लगभग एक तिहाई से दो तिहाई लोगों में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज हो सकता है।
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कस्टमाइज़ करें3. हाई ट्राइग्लिसराइड और हाई कोलेस्ट्रॉल (High triglycerides and high cholesterol)
मोटापा, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और जंक फूड के सेवन के कारण नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं।
4. हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
बहुत अधिक तनाव, शहरी जीवनशैली, स्मोकिंग आदि न केवल हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का कारण बन रहे हैं, बल्कि फैटी लीवर डिजीज की पहले से ही बढ़ती संख्या में भी योगदान दे रहे हैं।
5 मेटाबोलिक सिंड्रोम या सिंड्रोम एक्स (Metabolic syndrome or Syndrome X)
इन चारों स्थितियों को मिलकर मेटाबोलिक सिंड्रोम या सिंड्रोम एक्स कहा जाता है। यह फैटी लीवर का सबसे आम कारण है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज को मेटाबॉलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज भी नाम दिया गया है।
सिंड्रोम एक्स के अलावा, अचानक वजन कम होना, लंबे समय तक कुपोषण, कुछ दवाएं और येलो फास्फोरस और पेट्रोकेमिकल्स जैसे पर्यावरणीय टॉक्सिन भी फैटी लीवर डिजीज का कारण बन सकते हैं। मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध के बढ़ते प्रसार के कारण बच्चों में भी एनएएफएलडी विकसित होने का जोखिम होता है।
क्या है उपचार (Non Alcoholic Fatty liver disease treatment)
लीवर में वसायुक्त परिवर्तन को उलटने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है। फैटी लीवर के कारणों को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग दवाएं उपलब्ध हैं। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाली दवाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेनी चाहिए। जीवनशैली में बदलाव, स्वस्थ आदतें, धूम्रपान छोड़ना और सबसे महत्वपूर्ण वेट मैनेजमेंट से भी एनएएफएलडी को मैनेज किया जा सकता है।
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