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बाहरी ही नहीं, इनडोर पॉल्यूशन भी बढ़ाता है फेफड़ों के लिए जोखिम, एक्सपर्ट से जानिए कैसे रहें इससे सुरक्षित

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मृत्यु होती है। साथ ही वायु प्रदूषण के कारण व्यक्ति को खतरा सिर्फ बाहर ही नहीं बल्कि घर के अंदर मौजूद खराब गुणवत्ता वाली प्रदूषित हवा से भी है ।
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बाहर की हवा के साथ-साथ घर के अंदर की हवा भी हानिकारक है । चित्र- अडोबीस्टॉक
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देश में इन दिनों कई शहरों की हवा लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है। तमाम स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनने वाली प्रदूषित हवा फेफड़े सहित व्यक्ति के रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए भी काफी नुकसानदेह है। दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर की कई मेट्रो सिटीज़ में AQI का ‘डरावने’ स्तर तक पहुंचना, आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है।

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मृत्यु होती है। साथ ही वायु प्रदूषण के कारण व्यक्ति को खतरा सिर्फ बाहर ही नहीं बल्कि घर के अंदर मौजूद खराब गुणवत्ता वाली प्रदूषित हवा से भी है ।

प्रदूषित हवा में मौजूद हानिकारक कण व्यक्ति के रेस्पिरेटरी सिस्टम में पहुंच कर उनके फेफड़ों को प्रभावित करते है। वहीं, खराब हवा के कारण सांसों पर लगी इस हेल्थ इमरजेंसी का ‘आउटडोर पॉल्यूशन’ के साथ ‘इनडोर पॉल्यूशन’ से भी गहरा नाता है। यानि यदि आपको भी प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं से बचना हैं तो घर के अंदर भी प्रदूषण के स्तर का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।

इनडोर पॉल्यूशन से भी बढ़ती है फेफड़े की बीमारियां। चित्र- अडोबीस्टॉक

इनडोर पॉल्यूशन भी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

इनडोर एयर पॉल्यूशन के बारे में और जानकारी लेने के लिए हेल्थशॉट्स ने दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अवि कुमार से संपर्क किया।

उन्होंने बताया कि घर के अंदर वायु प्रदूषण मुख्य रूप से किचन में अपर्याप्त वेंटिलेशन, अतिरिक्त नमी, मच्छर कॉइल का अत्यधिक उपयोग, अगरबत्ती, तंबाकू उत्पादों का उपयोग और सेकेंड-हैंड धुएं के संपर्क में आने से फैलता है।

डॉ. कुमार बताते है कि घर की हवा के मुख्य पॉल्यूटेंट्स कार्बन मोनोऑक्साइड , रेडॉन और सल्फर-डाय-ऑक्साइड आदि होते है। इन सभी इनडोर पॉल्यूशन के कारण फेफड़े में समस्याएं देखने को मिलती है, जिनके लक्षणों में सांस फूलना, घरघराहट, खांसी और बलगम आना शामिल है । साथ ही डॉ. कुमार बताते हैं कि यदि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहा जाएं तो फेफड़ों की कार्यप्रणाली कम हो सकती है।

प्रदूषित हवा से फेफड़ों को बहुत खतरा

इनडोर या आउटडोर किसी भी तरह की प्रदूषित हवा में लंबे समय तक रहने से कई फेफड़े संबंधी समस्या हो सकती है, जिसमें ‘लंग कैंसर’ भी शामिल है। फेफड़ों पर वायु प्रदूषण के कारण होने वाले प्रभावों पर न्यूबर्ग डायग्नॉस्टिक के प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्रा बताते हैं कि, प्रदूषित हवा में विशेष रूप से मौजूद पीएम 2.5 के सूक्ष्म कण और जहरीली गैसें, फेफड़ो में विभिन्न समस्याओं को जन्म देती हैं।

साथ ही डॉ. मिश्रा बताते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा के कणों के संपर्क में रहने से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

खराब होती हवा की गुणवत्ता से । चित्र- अडोबीस्टॉक

‘इनडोर पॉल्यूशन’ से कैसे करें अपना बचाव

इनडोर पॉल्यूशन से खुद को स्वस्थ बनाए रखने के लिए डॉ. अवि कुमार बताते हैं कि अपनी दिनचर्या में थोड़ा बदलाव कर के और स्वस्थ आहार का सेवन करके हम इससे अपना बचाव कर सकते है। साथ ही कुछ कदम उठाकर भी आप अपने घर की हवा को सुधार सकते है।

स्वस्थ आहार का सेवन करें: इनडोर पॉल्यूशन के प्रभावों को कम करने और फेफड़े के स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन जरूरी है। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकोली, पालक और फूलगोभी, मूली, गाजर आदि स्वास्थ्यवर्धक चीज़े खाएं।

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1 घर में वेंटिलेशन बनाएं रखें : घर में हवा को अच्छा रखने के लिए ताजी हवा के संचार और प्रदूषकों को हटाने के लिए नियमित रूप से वेंटिलेशन रखें, लेकिन ध्यान रहें कि आजकल बाहर की हवा अधिक हानिकारक हैं, इसलिए लंबे समय तक घर के खिड़की-दरवाज़े खोल के न रहें।

2 एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें: हवा में मौजूद धूल, एलर्जी और तमाम हानिकारक कणों को दूर करने के लिए HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें।

3 घरेलू पौधों का करें प्रयोग : कुछ इनडोर पौधे भी प्रदूषकों को फ़िल्टर करने और वायु की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। उनका उपयोग करें।

4 हाइड्रेटेड रहें: शरीर में मौजूद तमाम तरह के विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में हाइड्रेशन बहुत मदद करता है। पानी की पर्याप्त मात्रा के कारण शरीर को टॉक्सिसिटी को बाहर निकालने में मदद मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

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कार्तिकेय हस्तिनापुरी

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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