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स्ट्रेस में क्या आप भी भागने लगती हैं वॉशरूम की तरफ? तो जान लें इसके पीछे की वजह 

यदि आपको भी यात्रा पर जाने से पहले या कोई अनचाही खबर मिलने पर बार-बार वॉशरूम जानने की इच्छा होने लगती है, तो इस स्थिति को स्ट्रेस पूप कहा जाता है। 
तनाव और बार-बार मोशन होना दोनों एक-दूसरे से जुडे हैं।चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 26 Aug 2022, 08:00 am IST
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क्या कुछ दिनों में बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट आने वाले हैं? क्या ऑफिस में अप्रेजल होने वाला है? घर पर कोई विशेष मेहमान आने वाले हैं? ये प्रश्न ज्यादातर को सामान्य लग सकते हैं। पर कुछ स्टूडेंट, प्रोफेशनल या होम मेकर के लिए ये सवाल बार-बार उन्हें वॉशरूम की तरफ दौड़ा सकते हैं। जी हां, आप सही पढ़ रही हैं। कुछ लोगों को कुछ विशेष बातों की जानकारी होने पर  एंग्जाइटी हो जाती है और उन्हें लूज मोशन होने लगता है। इसे स्ट्रेस लूज मोशन (Stress loose motion) या स्ट्रेस पूप (Stress poop) कहा जाता है। जानिए ऐसा क्यों होता है और तनाव आपकी शौच की आदतों को कैसे (stress effect on bowel movement) प्रभावित करता है।  

काफी पुराना है यह दिमागी मर्ज 

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन, पबमेड सेंट्रल की वर्ष 1947 में ही इस पर स्टडी हो गई थी। शोध कर्ता टी पी अल्मी और एम ट्यूलिन ने अपनी स्टडी में यह निष्कर्ष निकाला था कि तनाव में होने पर व्यक्ति की बड़ी आंत प्रभावित हो जाती है । व्यक्ति को बार-बार वॉशरूम की तरफ भागना पड़ता है। 

वर्ष 2004 में पबमेड की ही स्टडी के अनुसार,  ब्रेन के हाइपोथेलमस से कोटिकोट्रॉपिन हार्मोन रिलीज होता है। जो स्ट्रेस होने पर कोलन को सिग्नल देने लगता है। ससे इरिटेबल बाॅवेल सिंड्रोम हो जाता है। 

ज्यादा तनाव में होने पर लूज मोशन क्यों होने लगते हैं, इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने बात की एसएलए, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सैयद जफर सुल्तान रिजवी से। 

पेट में ऐंठन या सूजन का कारण बन जाता है स्ट्रेस

स्ट्रेस और एंग्जाइटी से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर, हाई ग्लूकोज लेवल, पुतली का फैलाव(dilation of pupil) , पेट में ऐंठन या सूजन(stomach cramping or bloating) या एसिडिटी भी इसकी वजह से हो सकते हैं। जब आप अप्रेजल की बात सुनती हैं या कोई दुखद समाचार सुनती हैं, तो आप तनाव में आ जाती हैं। इसके कारण आपको पेट में मरोड़ हो सकता है। मरोड़ आगे दस्त की समस्या का कारण बन जाता है।

जब आप कोई दुखद समाचार सुनती हैं, तो आप तनाव में आ जाती हैं। इसके कारण आपको पेट में मरोड़ हो सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

डॉ. रिजवी इस बात पर जोर देते हैं, कि तनाव सभी के लिए एक जैसा नहीं होता। सभी व्यक्तियों में इससे मुकाबला करने की रणनीति एक जैसी नहीं होती। कुछ लोग जल्दी इर्रिटेट हो जाते हैं, तो कुछ लोग हमेशा शांत बने रहते हैं। चिड़चिड़ापन ब्लोटिंग और डायरिया का कारण बन जाता है।

ऐसी स्थिति विशेष रूप से प्रोफेशनल और स्टूडेंट्स में अधिक देखी जाती है। जैसे ही एग्जाम के रिजल्ट आने वाले होते हैं, स्टूडेंट्स को डायरिया, कॉन्सटिपेशन और इरिटेबल बावेल की समस्याएं अधिक परेशान करने लगती हैं। 

एक-दूसरे से जुड़े हैं नर्वस सिस्टम और इंटेस्टाइन 

डॉ. रिजवी कहते हैं, हमारा तंत्रिका तंत्र (Nervous system)  और आंतें  एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं। जब हमें किसी चीज को लेकर अचानक डर लगने लगता है, तो इसकी सूचना तुरंत आंत को मिल जाती है। आंत शरीर का अत्यधिक संवेदनशील अंग होता है। इससे पेट में एसिडिक लेवल बढ़ जाता है, जो ब्लोटिंग का कारण बनता है।

तनाव से हार्मोन रिलीज ट्रिगर हो जाता है। डॉक्टर इन हार्मोन को कॉर्टिकोट्रोपिन-रिलीजिंग फैक्टर (CRF) कहते हैं, जो पेट और छोटी आंतों में मूवमेंट, या मूवमेंट को धीमा करने के लिए एंटरिक नर्वस सिस्टम को संकेत देता है। एंटरिक नर्वस सिस्टम ही ब्लड फ्लो, इम्यून सिस्टम और एंडोक्राइन ग्लैंड  फंक्शन को कंट्रोल करता है। 

हार्मोन बड़ी आंत में ज्यादा मूवमेंट को ट्रिगर करते हैं

ये हार्मोन बड़ी आंत में ज्यादा मूवमेंट को ट्रिगर कर देते हैं। यह मूवमेंट शरीर में संभावित हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए शरीर की प्रतिक्रिया भी हो सकती है। लेकिन इसका असर यह भी हो सकता है कि आपको बार-बार वॉशरूम जाना पड़ता है और लूज मोशन होने की संभावना बन जाती है।

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हार्मोन बड़ी आंत में ज्यादा मूवमेंट को ट्रिगर कर देते हैं।चित्र : शटरस्टॉक

अगली बार जब भी आपको कोई समाचार सुन कर वॉशरूम की तरफ जाने का मन करे, तो अपने दिमाग को शांत कर लें। स्ट्रेस रिलीज होते ही आपका मन भी रिलैक्स हो जाएगा और आप बार-बार वॉशरूम की तरफ भागना नहीं चाहेंगी।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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