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वयस्कों में रिश्तों और काम को भी प्रभावित कर सकता है एडीएचडी? जानिए इसे कैसे मैनेज करना है

एडीएचडी (ADHD) यानी अटेंशन-डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर, यह एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। मगर शोध बताते हैं कि वयस्क होने पर भी यह किसी के रिश्तों और काम को प्रभावित कर सकता है।
एडीएचडी सिर्फ बचपन में ही प्रभावित करता है और उम्र बढ़ने के साथ यह अपने आप नियंत्रित होने लगता है। चित्र-अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Published: 13 Jun 2023, 18:28 pm IST
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एडीएचडी एक दिमाग के विकास से जुड़ी हुई समस्या है। इसे न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। एडीएचडी में कई लत्क्षण विशेष रूप से दिखाई देते है। इसमें ध्यान लगाने में कमी, अति सक्रियता और बहुत ज्यादा आवेग की आवृत्तियां शामिल हैं। अभी तक ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि एडीएचडी सिर्फ बचपन में ही प्रभावित करता है और उम्र बढ़ने के साथ यह अपने आप नियंत्रित होने लगता है। जबकि हाल फिलहाल में आए शोध बताते हैं कि एडीएचडी वयस्क (adhd effects on adults) होने पर भी किसी के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे और कैसे करना है इसे मैनेज।

एडीएचडी की पहचान

इसका ज्यादातर पता तभी लगता है, जब बच्चा स्कूल जाने लगता है। बच्चे की कई एक्टिविटी से उसके एडीएचडी डिसऑर्डर होने का पता लगाया जा सकता है। इसमें बच्चा कुछ ऐसी एक्टिविटी करता है, जो आमतौर पर नॉर्मल बच्चे नहीं करते है। जैसे बहुत ज्यादा बोलते रहना और चुप न होना, हर समय उछलते कूदते रहना, पढ़ने में या क्लास लेने में ध्यान न लगा पाना, अपनी बारी का इंतजार न कर पाना, किसी की बात सुने बिना बीच में बोलना, किसी भी चीज में टांग आड़ाना ये लक्षण बताते हैं कि बच्चा एडीएचडी से ग्रस्त है।

एडीएचडी निश्चित रूप से वयस्क के जीवन को प्रभावित कर सकता है।

क्या वयस्कों को भी प्रभावित करता है एडीएचडी

एडीचडी के बारे में ज्यादा जानकारी दी डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव ने। डाॅ आशुतोष श्रीवास्तव सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं। डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव कहते है कि “ हां, एडीएचडी (अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) निश्चित रूप से वयस्क के जीवन को प्रभावित कर सकता है। जबकि यह अक्सर बचपन से जुड़ा होता है, एडीएचडी वयस्कता में बना रह सकता है और व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करना जारी रख सकता है।”

3 तरह का हो सकता है एडीएचडी (Types of ADHD)

इनअटेंटिव प्रेजंटेशन- इस प्रकार की विशेषता ध्यान बनाए रखने में कठिनाइयों, आसानी से विचलित होने, भूलने की बीमारी, अव्यवस्था और मानसिक ध्यान और संगठन की आवश्यकता वाले कार्यों से जूझना पड़ता है।

हाइपरएक्टिव इंपल्सिव प्रेजंटेशन- इस प्रकार की विशेषता अत्यधिक शारीरिक बेचैनी, फिजूलखर्ची, आवेगशीलता, बैठने में कठिनाई, अत्यधिक बात करना, दूसरों को बाधित करना और अपनी बारी का इंतजार करने में कठिनाई होना है।

कंबाइंड प्रेजंटेशन- इस प्रकार में असावधान और अतिसक्रिय-आवेगी दोनों लक्षणों का संयोजन शामिल है। बच्चों में ध्यान लगना में कठिनाई और काफी उछलने कूदने के लक्षण दिखाई देते है।

एडीएचडी में कुछ सामान्य लक्षण भी दिखाई देते है

असावधानी – विवरण पर ध्यान देने में परेशानी होना, लापरवाह गलतियां करना, आसानी से विचलित होना, निर्देशों का पालन करने के लिए संघर्ष करना और भुलक्कड़ होना जैसे लक्षण मुख्य तौर पर दिखते है।

अति सक्रियता – लगातार बेचैनी, अत्यधिक बात करना, बैठने में कठिनाई, फिजूलखर्ची या छटपटाहट, और लगातार सक्रिय रहने की आवश्यकता महसूस होना। बच्चे में एनर्जी की कमी नही होती है ऐसा लगता है कि बच्चे में मोटर लगी हो।

आवेग – बिना सोचे-समझे कार्य करना, बातचीत या गतिविधियों में बाधा डालना, अपनी बारी का इंतजार करने में कठिनाई, और अक्सर जोखिम भरा या आवेगी व्यवहार करना। इस व्यवहार से बच्चा काफी बिगड़ा हुआ नजर आने लगता है।

जितनी जल्दी पहचान होगी उतने बेहतर तरीके से इलाज हो सकेगा, चित्र : शटरस्टॉक

वयस्क होने के बाद भी प्रभावित कर सकता है एडीएचडी

1 ध्यान और फोकस के साथ चुनौतियां – डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव बताते हैं कि एडीएचडी वाले वयस्कों को कार्यों पर ध्यान बनाए रखने, अपने विचारों को व्यवस्थित करने और काम या जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। इससे उत्पादकता कम हो सकती है, डेडलाइन छूट सकती है और रिश्तों को बनाए रखने में मुश्किलें आ सकती हैं।

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2 आवेगशीलता और खराब आत्म-नियंत्रण – एडीएचडी वाले वयस्क आवेगी व्यवहार के साथ संघर्ष कर सकते हैं, जैसे कि बारी-बारी से बोलना, दूसरों को बीच में रोकना, या परिणामों पर विचार किए बिना आवेगी निर्णय लेना। इससे व्यक्तिगत और
व्यावसायिक संबंधों में समस्याएं आ सकती हैं।

3 समय प्रबंधन और संगठन की कठिनाइयां – डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव कहते है कि एडीएचडी वाले वयस्क अक्सर अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने, कार्यों को प्राथमिकता देने और संगठित रहने या काम के माहौल को बनाए रखने में संघर्ष करते हैं। इन कठिनाइयों से तनाव बढ़ सकता है, मिलने का समय नहीं मिल पाना और अव्यवस्था की भावना पैदा हो सकती है।

4 रिश्ते और सामाजिक कठिनाइयां – एडीएचडी वाले वयस्कों को संचार, भूलने की बीमारी, आवेग और असावधानी के साथ कठिनाइयों के कारण अपने व्यक्तिगत संबंधों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वे सामाजिक संपर्क और मित्रता बनाए रखने में भी संघर्ष कर सकते हैं।

क्या हो सकता है एडीएचडी के लिए कुछ उपचार (ADHD Treatment)

1 दवा

डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव ने बताया है कि उत्तेजक दवाएं, जैसे मेथिलफेनिडेट या एम्फ़ैटेमिन, अक्सर एडीएचडी के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए निर्धारित की जाती हैं। ये दवाएं ध्यान, फोकस और आवेग नियंत्रण में सुधार कर सकती हैं। हालांकि, दवा हमेशा स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा निर्धारित और निगरानी में ही दी जानी चाहिए।

Adhd का कई तरह से इलाज किया जा सकता है।

2 थेरेपी और काउंसलिंग हो सकती है मददगार

संज्ञानात्मक-व्यवहार चिकित्सा (सीबीटी) एडीएचडी वाले व्यक्तियों को समय प्रबंधन, संगठनात्मक कौशल और भावनात्मक संतुलन में सुधार के लिए रणनीति विकसित करने में मदद करने में फायदेमंद हो सकती है। यह कम आत्मसम्मान या चिंता जैसी किसी भी कठिनाइयों को कम करने में मदद कर सकता है।

3 जीवन शैली समायोजन

नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद का ADHD लक्षणों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होना, डिस्ट्रैक्सन को कम करना और लगातार नींद के पैटर्न को बनाना समग्र कल्याण और लक्षण प्रबंधन में योगदान कर सकता है।

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संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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