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वर्बल एब्यूज भी करता है बच्चों की मेंटल-फिजिकल ग्रोथ को प्रभावित, एक्सपर्ट बता रहे हैं इसके गंभीर खतरे

वर्बल एब्यूज यानी मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करने पर बच्चे के इमोशनल के साथ-साथ फिजिकल हेल्थ पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए बच्चे का वर्बल एब्यूज से बचाव करना बहुत अधिक जरूरी है।
यदि किसी बच्चे को वर्बल एब्यूज का सामना करना पड़ता है, तो वह अपनी क्षमता के अनुकूल कार्य करने, प्रोडक्टिविटी और सार्थक रिश्ते बनाने और समाज में सकारात्मक योगदान देने के अवसर से वंचित रह जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 11 Oct 2023, 10:57 am IST
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अंजाने में या जानबूझकर हम अक्सर बच्चों को डांट-डपट कर देते हैं। कभी-कभार तो यह वर्बल एब्यूज यानी मौखिक दुर्व्यवहार (Verbal Abuse) का रूप ले लेता है। बच्चों पर वर्बल एब्यूज के प्रभाव अधिक गंभीर हो सकते हैं। यह चाइल्ड एब्यूज के सबसे अधिक नजरअंदाज किए गए रूपों में से एक है। अक्सर हम इसे जरूरी अनुशासन का नाम दे देते हैं। बच्चे अपमानित और शर्मिंदा महसूस कर सकते हैं, पर इसे व्यक्त नहीं कर सकते। वे अपने माता-पिता के साथ-साथ वर्बल एब्यूज करने वाले व्यक्ति के साथ बातचीत में भी झिझकने लग सकते हैं। इसके अल्पकालिक के साथ-साथ दीर्घकालिक परिणाम (effect of verbal abuse) भी हो सकते हैं।

प्रोडक्टिविटी और रिश्ते होते हैं प्रभावित ( Verbal Abuse affects Productivity and Relationship)

मनस्थली संस्था की फाउंडर -डॉयरेक्टर और सीनियर सायकेट्रिस्ट डॉ. ज्योति कपूर बताती हैं, किसी भी व्यक्ति के लिए मानसिक स्वास्थ्य एक जन्मसिद्ध और बहुत जरूरी अधिकार है। इस अधिकार का किसी दूसरे व्यक्ति को हनन नहीं करना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है। यदि किसी बच्चे को वर्बल एब्यूज का सामना करना पड़ता है, तो वह अपनी क्षमता के अनुकूल कार्य करने, प्रोडक्टिविटी और सार्थक रिश्ते बनाने और समाज में सकारात्मक योगदान देने के अवसर से वंचित रह जाता है।

वर्बल एब्यूज का सामना करने वाले बच्चे इन 5 तरीके से हो सकते हैं प्रभावित (Children facing verbal abuse can be affected in these 5 ways)

1. गहरा अवसाद (Depression)

बच्चों को धमकाना या उन पर चिल्लाना अंततः उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। बच्चे में हीन भावना विकसित हो सकती है और वह खुद को दूसरों से अलग रख सकता है। यदि दुर्व्यवहार बार-बार और लंबे समय तक होता है, तो बच्चा गहरे अवसाद से ग्रस्त हो सकता है।

2. मानसिक और शारीरिक प्रदर्शन का बिगड़ना (Deterioration of mental and physical performance)

डॉ. ज्योति कपूर बताती हैं, ‘कम आत्मविश्वास के साथ बच्चा खराब मानसिक और शारीरिक प्रदर्शन कर सकता है। उदाहरण के लिए यदि पेरेंट्स कहते हैं कि तुम्हारे पास स्टेमिना और पॉवर की कमी है, तो बच्चा अनुमानित खराब परिणाम सोचकर घबरा जाएगा। वह पेरेंट्स की बात सही मां लेगा और प्रयास करना छोड़ देगा।’

3. हीन भावना विकसित होना (Inferiority Complex from verbal abuse)

डॉ. ज्योति कपूर के अनुसार, जब किसी बच्चे पर लगातार चिल्लाया जाता है, तो वह यह मानने लगता है कि मेरे साथ जरूर कुछ गड़बड़ है। उसमें हीन भावना विकसित होने लगती है। उसे लगता है कि उसके दोस्त उससे बेहतर हैं। चूंकि उसे यह सुझाव दिया गया है कि वह दूसरों के बराबर नहीं है। इसलिए वह दूसरों को अपने से बेहतर मानने लगता है। वह हीन भावना का शिकार हो जाता है।

4 स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (Health Problems)

अवसाद के कारण बच्चा अधिक खा सकता है या खाना पूरी तरह से बंद कर सकता है। इससे उसे ईटिंग डिसआर्डर की संभावना बढ़ जाती है। इससे उसकी वृद्धि और बोन का विकास प्रभावित हो सकता है। मांसपेशियां और महत्वपूर्ण अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। इस तरह बच्चा समय के साथ कमजोर हो सकता है। उसके विकास में देरी हो सकती है।

ड्राय आइज के कारण बच्चे की आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

5 जीने की आशा खोना (lose hope of living)

लगातार वर्बल एब्यूज के कारण पीड़ित में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित नहीं हो सकते हैं। उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है, जो बाद में जीने की आशा खोने जैसे बुरे परिणाम भी सामने आ सकते हैं।

बच्चे के बचाव के लिए ये 3 काम करना है जरूरी (Prevention from verbal abuse)

यदि आपको लगता है कि कोई बच्चा वर्बल एब्यूज का सामना कर रहा है, तो आप उसके बचाव के लिए कुछ उपाय कर (How to prevent from verbal abuse) सकती हैं

1 बच्चे के साथ समस्या-समाधान संबंधी बातचीत करना सबसे जरूरी कदम है। अपमानजनक व्यवहार को इंगित करना और उसके परिणाम बताना ही पर्याप्त नहीं है। आपको उस व्यक्ति से बात करनी होगी, जो वर्बल एब्यूज में लिप्त हैं। उन्हें बताना होगा कि उनकी वजह से बच्चे का जीवन प्रभावित हो सकता है

बच्चे को भी सही बात बतानी होगी। उसका सेल्फ कांफिडेंस बढ़ाने के लिए उपाय करने होंगे। चित्र: शटर स्टॉक

2 साथ ही बच्चे को भी सही बात बतानी होगी। उसका सेल्फ कांफिडेंस बढ़ाने के लिए उपाय करने होंगे।

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3 ऐसा रास्ता निकालना होगा कि बच्चा परेशानी में पड़े बिना या दूसरों को चोट पहुंचाए बिना अपनी समस्या को हल कर सके।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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