निगेटिव इमोशन्स आपकी फिटनेस और मूड को भी करते हैं प्रभावित, जानिए इनसे कैसे डील करना है
“नेगेटिव इमोशंस यानी की नकारात्मक भावनाएं” हम सभी कभी न कभी इसका शिकार जरूर होते हैं। ऐसा तब होता है जब हमारे लिए अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना मुश्किल हो जता है और हम सभी केवल नकारात्मकता की ओर आकर्षित होते रहते हैं। यदि ऐसी भावनाएं लगातार लंबे समय तक बनी रहती हैं, तो इसका असर हमारे शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलता है। ऐसे में आप सभी के लिए ये समझना बेहद जरूरी है, की आपकी भावनाएं किस प्रकार आपके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। यदि अभी भावनात्मक रूप से परेशान रहती हैं, तो आपको इस लेख को जरूर पढ़ना चाहिए (how to deal with negative emotions)।
पहले जानें क्या हैं नकारात्मक भावनाएं
नकारात्मक भावनाओं को किसी भी भावना के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो आपको दुखी करते हैं। इन भावनाओं से घिरने के बाद आप खुद को और दूसरों को नापसंद कर सकती हैं, और इससे आपकी आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान और सामान्य जीवन संतुष्टि भी कम हो जाती है।
नकारात्मक भावनाएं जैसे की घृणा, क्रोध, ईर्ष्या और दुःख। फिर भी, सही संदर्भ में, ये भावनाएं पूरी तरह से स्वाभाविक हैं। नकारात्मक भावनाएं जीवन के प्रति हमारे उत्साह को कम कर सकती हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उन्हें कितने समय तक अपने ऊपर हावी होने देते हैं और उन्हें व्यक्त करने का कौन सा तरीका चुनते हैं।
जानें नकारात्मक भावनाएं शारीरिक स्वास्थ्य को किस तरह से प्रभावित कर सकती हैं:
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तब उत्पन्न होती हैं, जब नकारात्मक भावनाएं वर्तमान समय की प्रतिक्रिया के बजाय पास्ट में अनुचित रूप से रहने या निरंतर चिंता के कारण होती हैं। न्यूरोटिसिज्म, जिसे नकारात्मक भावनाओं का अनुभव करने और आक्रामक, शत्रुतापूर्ण या गुस्से वाले व्यवहार पैटर्न प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, हार्ट डिजीज, अस्थमा और हाई ब्लड प्रेशर जैसे कई शारीरिक स्वास्थ्य परिणामों के लिए एक जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है।
डिप्रेस्ड व्यक्ति अक्सर नकारात्मक भावनाओं से घिरे होते हैं, जो उनके मेंटल हेल्थ को क्षतिग्रस्त करता है और इसका प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर नजर रूप से पड़ता है। इस स्थिति में सेल्यूलर समस्याएं भी हो सकती हैं। इसमें एंटीजन के प्रति कम लिम्फोसाइट प्रतिक्रिया शामिल है, जो प्राकृतिक किलर (एनके) सेल गतिविधि में कमी का कारण बनती है, और व्हाइट ब्लड सेल्स को बनने से रोकता है।
उन्हेल्दी इमोशंस जैसे मनोवैज्ञानिक कारकों के परिणामस्वरूप प्रतिरक्षा विकृति, शरीर में सूजन वाले रसायनों के उत्पादन के माध्यम से उम्र बढ़ने, हृदय रोग, ऑस्टियोपोरोसिस, टाइप 2 डायबिटीज, गठिया, कुछ प्रकार के कैंसर और यहां तक कि कमजोरी के लिए इंटरनल ऑर्गन को प्रभावित कर सकती है। किसी नकारात्मक प्रभाव की प्रतिक्रिया तीव्र और दीर्घकालिक तनाव, एनिमिटी और डिप्रेशन दोनों को हार्ट हेल्थ के लिए स्वतंत्र जोखिम कारक माना जाता है।
अब जानें नकरात्मक भावनाओं को मैनेज करने के टिप्स (how to deal with negative emotions)
1. अपनी भावनाओं को समझें
सबसे पहले अपनी भावनाओं को समझने का प्रयास करें। आप क्या महसूस कर रही हैं, आपको किस बात से परेशानी है इसपर मंथन करें। नकारात्मक भावनाओं से भागना आपको उसके और करीब ला सकता है। अपने अंदर झांके और उन स्थितियों को पहचानें जो आपके जीवन में तनाव और नकारात्मक भावनाएं पैदा कर रही हैं। भावना के स्रोत और आपकी प्रतिक्रिया को देखने से आपको इससे उबरने में आसानी होगी।
2. जो आपके बस में है उसे बदलें
एक बार जब आप अपनी भावनाओं और उनके कारण को बेहतर ढंग से समझ लेती हैं, तो आप समस्या के समाधान के लिए कदम उठाना शुरू कर सकती हैं। अपने कुछ तनाव ट्रिगर को कम करने या समाप्त करने से नकारात्मक भावनाएं कम महसूस होंगी।
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3. अपनी भावनाओं को स्वीकार करें
नकारात्मक भावनाओं को स्वीकार करना सीखना भी इन कठिन भावनाओं को मैनेज करने का एक प्रभावी तरीका है। एक्सेप्टेंस का अर्थ है यह स्वीकार करना कि हम भयभीत, क्रोधित, दुखी या निराश महसूस कर रहे हैं। इन भावनाओं से बचने या दबाने की कोशिश करने के बजाय, इनपर काम शुरू करें। अगर आप दुखी हैं तो लोगों से बात करें, उनसे अपनी भावनाओं को डिस्कस करें। या खुदको बेहतर महसूस करवाने के लिए अपनी किसी पसंदीदा जगह घूमने जाएं।
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कस्टमाइज़ करें4. उचित समय के लिए आराम करें
पढ़ने, घूमने या किसी दोस्त से बात करने जैसी हैपनिंग एक्टिविटीज से आपको नेगेटिव इमोशंस से ध्यान हटाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा खुदको आराम दें, प्रयाप्त नींद लें, इससे आपको बेहतर महसूस होगा। पूरे दिन नकारात्मकता से घिरे रहना बेहद मुश्किल हो सकता है, और इसका असर शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इन सभी परेशानियों से बचने के लिए नेगेटिव इमोशंस पर काम करना जरूरी है।
5. एक्सरसाइज करें
एरोबिक एक्टिविटीज आपके स्ट्रेस हार्मोंस के स्तर को कम करती है और आपको नकारात्मक भावनाओं से बेहतर ढंग से निपटने में मदद कर सकती है।
6. पास्ट को समझें
लगातार नकारात्मक घटनाओं के बारे में सोचते रहने से आपकी प्रेजेंट समय की खुशियां छिन जाती हैं और आपको बुरा महसूस होता है। ऐसे में पास्ट की घटनाओं के बारे में कम से कम सोचने का प्रयास करें। यदि कुछ याद आ रहा हो तो उसे नजरंदाज करने की कोशिश करें।
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