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Delay Period : प्रेगनेंसी के अलावा 5 कारण, जो पीरियड में देरी या पीरियड मिस होने का कारण बनते हैं

समय पर पीरियड शुरू न होने का सबसे आम कारण गर्भावस्था माना जाता है। जबकि अनहेल्दी और बिजी लाइफस्टाइल में और भी कई वजहों से पीरियड में देरी हो सकती है।
अनियमित पीरियड साइकिल की समस्या की रोकथाम के लिए विटामिन बी 12 का सेवन आवश्यक है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 22 Aug 2023, 10:01 am IST
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यदि पीरियड शुरू होने में देरी होती है, तो ज्यादातर मामलों में प्रेगनेंसी को जिम्मेदार ठहराया जाता है। वजन में बहुत अधिक बदलाव, हार्मोनल अनियमितताएं और मेनोपॉज की तरफ बढ़ता साइकल भी इसके कारणों में से एक हो सकता है। यदि एक या दो महीने से अधिक पीरियड में देरी की समस्या होती है, तो यह एमेनोरिया की समस्या हो सकती है। यदि यह समस्या लगातार हो रही है, तो गायनेकोलोजिस्ट से मिलना जरूरी है। फिलहाल एक एक्सपर्ट से जानते हैं कि किन किन कारणों (causes of delay period) से पीरियड में देरी हो सकती है।

कितने दिनों की देरी चिंता की वजह नहीं (Period Delay)

जिस दिन माहवारी शुरू होती है से लेकर अगली माहवारी के पहले दिन तक को एक पीरियड साइकल माना जाता है। सामान्य पीरियड साइकल लगभग 28 दिनों का होता है। हालांकि एक सामान्य चक्र 38 दिनों तक का भी हो सकता है। यदि आपकी पीरियड साइकल इससे अधिक लंबा है या सामान्य से अधिक लंबा है, तो इसे पीरियड में देरी (Period Delay) माना जाता है।

यहां हैं कुछ कारण, जो पीरियड में देरी के कारण हो सकते हैं

1 थायराइड में गड़बड़ी (thyroid Disorder for period delay)

गायनेकोलोजिस्ट और सोशल साइट इन्फ्लूएंसर डॉ. रिद्धिमा शेट्टी अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, ‘थायराइड पीरियड साइकल को नियंत्रित करने में मदद करता है। बहुत अधिक या बहुत कम थायराइड हार्मोन पीरियड साइकल को बहुत हल्का, भारी या अनियमित बना (imbalance of the Hormones) सकता है। थायराइड डिजीज के कारण मासिक धर्म कई महीनों या उससे अधिक समय तक रुक सकते हैं, इस स्थिति को एमेनोरिया कहा जाता है।’

बहुत अधिक या बहुत कम थायराइड हार्मोन पीरियड साइकल को  अनियमित बना  सकता है।  चित्र : अडॉबी स्टॉक

2 हाई प्रोलैक्टिन लेवल (hyperprolactinemia for delay period)

डॉ. रिद्धिमा शेट्टी बताती हैं, ‘ब्रेन के पिटउइटेरी ग्लैंड से सीक्रेट होता है प्रोलैक्टिन हॉर्मोन। प्रोलैक्टिन हार्मोन स्तनपान, ब्रेस्ट टिश्यू के विकास और दूध उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं। ब्लड में प्रोलैक्टिन का सामान्य से अधिक स्तर पीरियड में देरी कर सकता है। 50-100 एनजी/एमएल के बीच हाई प्रोलैक्टिन लेवल अनियमित अनियमित पीरियड और इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कुछ दवा, इन्फेक्शन यहां तक कि स्ट्रेस भी प्रोलैक्टिन हॉर्मोन के सीक्रेशन को बढ़ावा देता है।’

3 हीमोग्लोबिन का लो लेवल (Anemia for delay period)

डॉ. रिद्धिमा शेट्टी के अनुसार, हीमोग्लोबिन का लो लेवल एंडोमीट्रियल ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है। इससे पीरियड शुरू होने में देरी हो सकती है। लो हीमोग्लोबिन के कारण शरीर में आयरन कम हो जाता है, जो पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण एनीमिया हो जाता है, जो मासिक धर्म चक्र में देरी या अनियमितताओं का कारण बन सकता है। यदि लगातार दो से अधिक पीरियड साइकिल में देरी या अनियमित पीरियड का अनुभव हो रहा है, तो समस्या को समझने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है

4  अत्यधिक मोटापा या पोषण की कमी (Obesity can cause delayed Period)

अधिक वजन या मोटापा मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। यदि वजन अधिक है, तो शरीर अतिरिक्त मात्रा में एस्ट्रोजन का उत्पादन करने लग सकता है। यह महिलाओं में प्रजनन प्रणाली को नियंत्रित करने वाले हार्मोनों में से एक है। एस्ट्रोजन की अधिकता सीधे तौर पर पीरियड को प्रभावित कर सकती है। यह उसे रोकने का कारण (causes of period delays) भी बन सकती है। पोषक तत्वों की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। क्योंकि शरीर में बहुत अधिक बदलाव आने पर इस साइकल पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है

अधिक वजन या मोटापा मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

5 फीवर और इन्फेक्शन (Infection and Fever cause delay Periods)

किसी प्रकार का संक्रमण मासिक धर्म को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं कर सकता है। लेकिन इसके कारण होने वाला फीवर, यूटीआई के कारण पीरियड डिले (causes of delay period) हो सकता है। यूटीआई के कारण शरीर पर पड़ने वाला तनाव पीरियड को प्रभावित कर सकता है। साथ ही यदि आपकी स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल है, तो तनाव कोर्टिसोल प्रोडक्शन बढ़ा देते हैं। इससे पीरियड में देरी हो जाती है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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