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Mumps outbreak : केरल में फैल रही है मम्स की समस्या, जानिए इससे कैसे बचा जा सकता है

मौसम में बदलाव के साथ जो समस्याएं बढ़ने लगती हैं, उनमें से मम्स भी एक समस्या है। यह ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करती है और बच्चों में बहुत तेजी से फैलती है।
जिस प्रकार इस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, इस पर समय रहते नियंत्रण पाना बहुत जरूरी है। चित्र : एडॉबीस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 13 Mar 2024, 17:21 pm IST
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कनफेड यानी की मंप्स एक गंभीर संक्रमण है, जो आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है। ये एक बेहद गंभीर समस्या है, जिस पर समय रहते ध्यान देना बहुत जरूरी है। केरल में अचानक मंप्स के मामले तेजी से बढ़ना शुरू हो गए हैं (munps cases in kerala)। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल इन द स्टेट के अनुसार मार्च में इस वायरस संक्रमण के 2505 केस देखने को मिले हैं। वहीं 2024 के पिछले दो महीनों में लगभग 11467 केस सामने आए हैं। मम्स के बढ़ते मामलों ने न केवल केरल, बल्कि भारत के सभी स्टेट्स के नागरिकों को चिंतित कर दिया है। जिस प्रकार इस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, इस पर समय रहते नियंत्रण पाना बहुत जरूरी है। जानते हैं इससे बचाव के कुछ बेसिक और जरूरी (Tips to prevent mumps) उपाय।

मम्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए हेल्थ शॉट्स ने इससे बचाव के तरीके जानने के लिए फॉर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम की इनफेक्शियस डिजीज कंसल्टेंट डॉ नेहा रस्तोगी पांडा से बात की। एक्सपर्ट ने समस्या के बारे में बताते हुए इससे बचाव के कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं, जिन पर ध्यान देकर इस संक्रमण को आगे फैलने से रोका जा सकता है।

क्या है कनफेड़

कनफेड़ एक ऐसी बीमारी है जो वायरस द्वारा फैलती है। ये आमतौर पर चेहरे को दोनों तरफ के ग्लैंड को प्रभावित करती है। इन ग्लैंड को पैरोटाइड ग्लैंड कहते हैं, जो सलाइवा का निर्माण करते हैं। इस संक्रमण की स्थिति में ग्लैंड में सूजन आ जाती है और काफी ज्यादा दर्द महसूस होता है। कनफेड़ से मेनिनजाइटिस, ऑर्काइटिस, एन्सेफलाइटिस और बहरापन जैसी अन्य परेशानियां हो सकती हैं। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले सलाइवा की छोटी बूंदों से फैलता है। इसलिए इसके प्रति जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है।

यह श्वसन या संक्रमित लार के सीधे संपर्क से फैलता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

क्यों अचानक फैल रही है कनफेड़ की समस्या

मार्च महीने में ही केरल में मम्स के दो हजार से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं। जबकि पिछले चौबीस घंटे में मम्स से पीड़ित बच्चों की संख्या सौ से ऊपर है। मम्स यानी कनफेड़ का प्रमुख कारण मम्स वायरस है। बदलते मौसम में इस वायरस का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है। यह किसी इंफेक्टेड व्यक्ति द्वारा छींकने-खांसने पर निकलने वाले तरल पदार्थ से फैल सकता है। ये एक ऐसा वायरस है, जो कई घंटों तक सतह पर पड़े रहने के बावजूद जिंदा रहता है। वहीं जब कोई इनके संपर्क में आता है, तो व्यक्ति मंप्स वायरस से संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा, इंफेक्टेड व्यक्ति के जूठे बर्तन, बॉटल आदि पर लगे सलाइवा के संपर्क में आने से भी वायरस आगे फैल सकता है।

इन लक्षणों के साथ बच्चों में दिखाई देता है मम्स

हाई फीवर, भूख न लगना, सिर दर्द होना, थकान, सुस्ती, कमजोरी और दर्द महसूस होना, सामान्य रूप से अस्वस्थ महसूस करना। इनके साथ ही पैरोटिड ग्लैंड में सूजन आना और गालों के निचले हिस्से का सूज जाना भी इसके लक्षण हैं। जिसके कारण पैरोटिड ग्लैंड में तेज दर्द का अनुभव होता है। खाते वक्त किसी चीज को चबाने और निगलने में भी व्यक्ति को दर्द और असुविधा महसूस हो सकती है। कभी-कभी सूजन इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि बच्चे को बात करते हुए भी दर्द महसूस होने लगता है।

जानें क्या है कनफेड़ से बचाव का तरीका (how to prevent mumps)

1. वैक्सीन जरूर लगवाएं

एमएमआर वैक्सिनेशन कनफेड़ से बचाव का एक सबसे अच्छा तरीका है। मीसल्स, मम्स और रुबेला (MMR) वैक्सीन के दो डोज इससे बचाव के सबसे प्रभावी तरीके हैं। अगर आप बच्चों को इससे बचाना चाहती हैं, तो उन्हे इन वैक्सीन के जरूरी डोज जरूर दिलवाएं। पर फिर भी कुछ माइल्ड लक्षण नजर आ सकते है, इसलिए इनसे बचाव के अन्य तरीकों पर ध्यान देना भी बेहद महत्वपूर्ण है।

जानते हैं इससे बचाव के कुछ बेसिक और जरूरी (Tips to prevent mumps) उपाय। चित्र : एडॉबीस्टॉक

2. चीजों को शेयर न करें

ऐसी चीज़ें दूसरो के साथ शेयर न करें जिन पर सलाइवा लगी हो, वहीं दूसरों की चीजों के इस्तेमाल से भी खुदको वंचित रखें। जैसे की पानी की बोतल और कप, आदि को शेयर करने से बचें।इन चीजों को खुदके साथ कैरी करें ताकि आप इन चीजों से खुदका बचाव कर सकें।

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3. छींकते या खांसते वक्त सावधानी बरतें

खांसते और छींकते वक्त किसी भी कपड़े या रुमाल की मदद से अपने मुंह को ढकें। वहीं टिशु का इस्तेमाल सबसे अच्छा रहेगा। टिशु में छींकें और इन्हे लपेट कर डस्टबिन में डाल दें। इससे सलाइवा ट्रांसफर नहीं होगी और संक्रमण का खतरा भी सीमित रहेगा।

4. भीड़भाड़ वाले इलाकों में न जाएं

बीमारी की स्थिति में घर पर रहने का प्रयास करें। इससे दूसरों तक संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है। वहीं इससे आप भी अन्य चीजों से संक्रमित नहीं होंगी, क्युकी इस दौरान इम्यूनिटी कमजोर होती है और कोई भी चीज आपको जल्दी संक्रमित कर सकती है।

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बहुत से पेरेंट्स को काफी देर से इसका अंदाजा होता है, पैर असल में उनका बच्चा संक्रमित होता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

5. पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखें

अपने हाथ को साबुन और पानी से धोएं। जब कहीं बाहर जाएं या किसी बाहरी वस्तु को छुएं, अपने हाथ को अच्छी तरह से साफ करना न भूलें। ऐसे में यदि किसी तरह की बैक्टीरिया या जर्म आपके हाथों के संपर्क में आ जाती है, तो वे निकल जाएंगी और संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

6. घरेलू साफ-सफाई का ध्यान

अपने घर की सतह को साफ रखें। सतह पर तरह तरह के बैक्टीरिया और जर्म आ जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में नियमित रूप से बाल्टी, स्पंज, सफाई स्प्रे बोतल और रबर के दस्ताने की मदद से फर्श को अच्छी तरह से साफ करें। बच्चे अक्सर सतह के संपर्क में आते हैं, जिससे उन्हें संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है। बच्चों को इन चीजों के प्रति जागरुक करना भी जरूरी है।

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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