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Mother’s Day 2023 : सिंगल हैं और बच्चा गोद लेना चाहती हैं, तो समझिए भारत में क्या हैं इसके लिए नियम और सुविधाएं

अपने बच्चे की मां बनना एक बायलॉजिकल प्रक्रिया है और बहुत सारे लोग इसमें आपको सहयोग कर सकते हैं। पर बच्चे को गोद लेकर मां बनना एक गहन भावनात्मक फैसला है। इसकी तैयारी आपको खुद करनी आनी चाहिए।
अगर आप किसी बच्चे को एडॉप्ट करती हैं, तो मां और बच्चे में 25 साल का अंतर होना ज़रूरी है। चित्र: अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 12 May 2023, 17:06 pm IST
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मां बनना किसी भी दूसरे रिश्ते से बिल्कुल अलग होता है। यह आपकी आर्थिक, सामाजिक, भावनात्मक और व्यवहारिक समझ की परीक्षा हो सकता है। समय बदलने के साथ अब उन पूर्वाग्रहों में भी बदलाव आ रहा है जो मातृत्व को रिड्यूस कर दिया करते थे। लड़कियां अब बाहर निकल कर काम कर रहीं हैं, आत्मनिर्भर हैं और अपने फैसले खुद ले रहीं हैं। इन्हीं में से सुष्मिता सेन जैसी कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं जो विवाह किए बगैर मां बनना चाहती हैं। किसी बच्चे को गोद लेना न केवल उनके लिए मददगार साबित होता है, बल्कि एक ऐसे बच्चे को सुखद जीवन भी दे सकता है जो अनाथ है और अभाव में है। अगर आप भी सिंगल होते हुए भी मां बनना चाहती हैं, तो जानिए भारत में क्या है बच्चा गोद (How to adopt a child ) लेने की प्रक्रिया।

इसमें कोई दो राय नहीं कि आपको इस सफर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मगर उससे पहले कानून को जान लेना ज़रूरी है। जहां आपकी उम्र से लेकर आपके फाइनेंशियल स्टेटस को पूरी तरह से जांचा और परखा जाता है। अगर आप सिंगल हैं और एक बच्चे को एडॉप्ट करना चाहती हैं, तो आपको कुछ बातें जान लेनी चाहिए।

बच्चे को एडॉप्ट करने के लिए किन चीजों का होना ज़रूरी है

इस बारे में हेल्थशॉटस को एडवोकेट फिरदौस कुतब वानी, बता रही हैं कि एडोप्शन के लिए दो एक्ट ज़रूरी हैं। एक जुनाइन जस्टिस एक्ट और दूसरा एडोप्शन रेगुलेशन एक्ट 2017 है। जुनाइल जस्टिस एक्ट 2015 सेक्शन 57 में बच्चे के एडॉप्शन से जुड़ी सभी बातों को बताया गया है।

कोई भी महिला जो मैरिड नहीं है, वो किसी भी जेंडर के बच्चे को एडॉप्ट कर सकती है। बस उनकी उम्र 55 वर्ष से कम हाेनी चाहिए। महिलाएं किसी भी जेंडर के बच्चे को एडॉप्ट कर सकती हैं। जबकि सिंगल पुरूष लड़कियों को एडाॅप्ट नहीं कर सकते।

अगर आप किसी बच्चे को एडॉप्ट करती हैं, तो मां और बच्चे में 25 साल का अंतर होना ज़रूरी है। अगर आप 22 साल की है, तो आप 4 या 5 साल के बच्चे को गोद नहीं ले सकती। इसके अलावा इमोशनली और फाइनेंशियली हर तरीके से आपका स्टेबल होना ज़रूरी है।

बच्चे को गोद लेना न केवल मददगार साबित होता है बल्कि उसके भविष्य को उज्जवल बनाने की ओर सार्थक कदम है। चित्र: अडोबी स्टॉक

आप एक से ज्यादा बच्चे भी कर सकती हैं एडॉप्ट

किसी महिला ने अगर पहले से किसी बच्चे को एडॉप्ट किया है और वह अन्य बच्चे को भी एडॉप्ट करना चाहती हैं, तो यह जरूरी है कि उसके पास 4 बच्चों से कम होने चाहिए। अगर आपके पास पहले ही 4 बच्चे हैं, तो आप और बच्चा एडॉप्ट नहीं कर सकती। इस सूरत में अगर कोई बच्चा स्पेशल है या फिर आपके रिलेटिव का बच्चा है और उसके घर में उसे रखने वाला कोई व्यक्ति मौजूद नहीं है या उसे कोई और गोद लेने को तैयार नहीं है, तो आप उस बच्चे को एडॉट कर सकती हैं।

क्या है एडॉप्शन की प्रक्रिया

एडवोकेट फिरदौस बताती हैं कि सिंगल मदर को सबसे पहले वेबसाइट पर जाकर खुद को रजिस्टर करना पड़ेगा। उसमें सभी ज़रूरी कागजात़ को जमा करना पड़ेगा। देश में कई स्पेशलाज़्ड एडोप्शन एजेंसीज़ हैं, उनके नुमांइदे आपके घर विज़िट कर सकते हैं। हर तरीके की तफ्ततीश के बाद सभी डाक्यूमेंट्स की जांच की जाएगी। उसके बाद जो बच्चे एडॉप्शन के लिए एलिजिबल हैं, उनका प्रोफाइल आप तक पहुंचाया जाएगा।

बच्चे को एडॉप्ट करते वक्त कुछ बातों का खास ख्याल रखें। चित्र: अडोबी स्टॉक

एडॉप्शन में कितना वक्त लगता है

एडॉप्शन कमेटी 20 दिन का वक्त लेती है, जिसमें इस बात की छानबीन की जाती है, कि कौन सा बच्चा किस पेंरेंट के साथ सही से रह पाएगा। इन सब चीजों को मैच किया जाता है। आपके पास 48 घंटों का समय होता है कि आप उसे एक्सेप्ट कर लें। अगर पेरेंट्स बच्चे को एक्सेप्ट कर लेते हैं, तो कोर्ट के सामने एक पीटीशन फाइल की जाती है। इसमें स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी और पेरेंट दोनों कोर्ट के सामने आते हैं। ये कार्रवाई एक्सेप्टेंस के 10 दिन के भीतर करनी होती है।

कोर्ट की तरफ से ऑर्डर पास किया जाता है। दो साल तक उस फैमिली या मां को फॉलो भी किया जाता है कि वो बच्चे को सही प्रकार से रख पा रहे हैं या नहीं। आप सड़क से उठाकर, या किसी लावारिस बच्चे को बिना सूचना के गोद नहीं ले सकतीं। अगर आपको रास्ते में कोई बच्चा मिल जाता है, तो आप 1908 पर कॉल करके उसकी सूचना चाइल्ड प्रोटेक्शन एजेंसी तक पहुंचा सकती हैं।

बच्चा गोद लेने पर भी आप ले सकती हैं मातृत्व अवकाश

अगर बच्चा एक साल या उससे छोटा है, तो मैटरनिटी लीव एक्ट 1961 के हिसाब से वर्किंग मदर को 135 दिन का अवकाश मिलता है। वहीं इस एक्ट में अमेंडमेंट कर मैटरनिटी बेनिफिट्स एक्ट 2017 लाया गया। इसके तहत वर्किंग महिलाओं को मिलने वाली 12 सप्ताह की मेटरनिटी लीव को 26 सप्ताह में तब्दील कर दिया गया। इसमें सिर्फ बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं ही शामिल नहीं हैं, बल्कि बच्चे को पहली बार एडॉप्ट करने वाली महिला को भी ये अधिकार दिया गया।

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बच्चों को एडोप्ट करने के अलावा उनके साथ अच्छी बॉडिंग भी बहुत ज़रूरी है। चित्र: अडोबी स्टॉक

बेबी एडॉप्शन फीस

इसके अलावा बेबी एडॉप्शन के लिए एजेंसी को फीस का भुगतान करना पड़ता है। कागज़ात बनने से लेकर एप्लीकेशन देने तक हर जगह फीस है। होम स्टडी एक्सपेंसिस भी देने पड़ते हैं।

ध्यान रखें

बच्चा गोद लेने से पहले आपको अपने आप को भावनात्मक रूप से तैयार करना है। एक ऐसा बच्चा आपके घर आ रहा है, जिसकी जरूरतें, आदतें आपके परिवार से बिल्कुल अलग हो सकती हैं। अकेले रहना एक अलग दुनिया है, जबकि बच्चे के साथ आपको अपने रुटीन, लाइफस्टाइल और व्यवहार में काफी कुछ बदलना पड़ सकता है।

सबसे जरूरी बात गर्भावस्था में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव नई मां को बच्चे के स्वागत के लिए तैयार करते हैं। आपको अपने आप को इन सबके लिए स्वयं तैयार करना है। बच्चे की देखभाल, उसके साथ बॉन्डिंग बनाने के लिए आप किताबें पढ़ें या प्रोफेशनल की मदद लें।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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