अकेले अपने दम पर बच्चाें को पालना और उन्हें बड़ा करना आसान नहीं है। खास कर जब आप तलाक लेने की प्रक्रिया में हों। यदि अपने बच्चों की पेरेंटिंग योजना पहले से बना ली जाए और उसके अनुसार निर्णय लिया जाए, तो आपके लिए यह राह काफी आसान हो सकती है। हो सकता है कि इस समय आपको कोई मदद नजर न आ रही हो, पर यहां कुछ टिप्स (Single mother parenting tips) दिए गए हैं, जो आपका सपोर्ट सिस्टम बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
अलग होने से पहले आपको अपने लिए थोड़ा हाेमवर्क जरूर कर लेना चाहिए। इसके लिए आपको सबसे पहले यह तय करना होगा कि आप अपने बच्चों के साथ दिन का कौन सा और कितना समय बिताने वाली हैं। आपकी अनुपस्थिति में उन्हें स्कूल से कौन ले कर आएगा? उन्हें माता-पिता में से किसके साथ रहना चाहिए? या अगले साल बच्चे किस स्कूल में जाएंगे? आप कोई भी निर्णय लें, वह निर्णय बच्चों के हित में हो, इसका ध्यान रखना चाहिए।
बच्चों के साथ सीमाएं और नियम स्थापित करना भी महत्वपूर्ण है। आप न केवल उन्हें जीवन का पाठ पढ़ाएं, बल्कि दूसरों का सम्मान करना भी सिखाएं। यह सबसे महत्वपूर्ण है। आप कुछ इस तरह की शिक्षा दें कि वे बड़े होकर मुश्किल हालातों से सामना कर सकें।
सिंगल पेरेंटिग के लिए योजना बनाना मुश्किल हो सकता है, खासकर जब फैमिली कोर्ट को फेस करने की हिस्ट्री रही हो। बच्चों को अपने साथ रखने और उनसे भेंट करने के अधिकारों पर लड़ाई हुई हो। दंपत्ति के बीच कुछ मुद्दों पर काफी तर्क-वितर्क होते हैं। ऐसी स्थिति में पेरेंटिंग मुश्किल हाेती है।
एक समानांतर पेरेंटिंग योजना को प्रभावी ढंग से स्थापित करने के लिए आपको अपने बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारियों और उनके सभी खर्चों का भुगतान करने की जिम्मेदारी का सामना करने से पहले अपने एक्स हसबैंड के साथ की अपनी रिलेशनशिप को याद करना होगा। अपने आप से यह भी पूछना होगा कि क्या आप चाहेंगी कि आपके बच्चे जीवन उन पहलू में भी शामिल हो जाएं, जिसमें उन्हें शामिल नहीं होना चाहिए।
ज्वाइंट पेरेंटिंग प्लान के दौरान, यह भूलना आसान है कि आप वयस्क हैं और वे बच्चे हैं। समानांतर पेरेंटिंग के लिए सबसे अच्छा रास्ता अपने बच्चों और इसमें शामिल एक्स पार्टनर के लिए नियम और सीमाएं स्थापित करना है। आपको ऐसे नियम और दिशानिर्देश बनाने होंगे, जो सभी को स्वीकार्य हों।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे आपके बच्चों के लिए जीवन आसान और सुविधाजनक हो जाएगा। यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि आप अपने बच्चों से किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा करती हैं और किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा आप अपने एक्स पार्टनर से चाहती हैं या कोई भी व्यक्ति जो उनके जीवन में शामिल है।
हो सकता है कि आपने अपने बच्चों को किसी ऐसी गतिविधि में शामिल कर चुकी हों हो, जिसमें आप नहीं चाहतीं कि आपका एक्स हसबैंड भाग ले। यदि ऐसा है, तो आपको ऐसी गतिविधि से उन दोनों को दूर रखना चाहिए। संभव है कि आपको अपने बच्चों के बिना अपनी सगाई में भाग लेना होगा। बच्चों से यह बताने का प्रयास करें कि आप केवल वही कर रही हैं, जो उनके लिए सबसे अच्छा है।
आप अपने जीवन के कुछ पहलुओं पर चर्चा करने के लिए विवश महसूस कर सकती हैं। अपने जीवन के उन हिस्सों को स्वीकार करें, जो सीमा से परे हैं। आप अपने लिए सीमाएं बनाकर अपनी रक्षा कर सकती हैं।
अपने माता-पिता के तलाक के बाद बच्चे बेहतर ढंग से जीवन में समायोजित होने के लिए मदद चाहते हैं। अपने और बच्चों के लिए एक पारिवारिक कार्यक्रम बनाएं। पेरेंटिंग योजना में लगातार समय सीमा निर्धारित करते रहें, ताकि बच्चों को पता चले कि उन्हें आपसे क्या उम्मीद करनी है। वे यह जान लें कि वे जब आपके साथ रहेंगे, तो उन्हें कितना सपोर्ट मिलेगा।
नियमों और सीमाओं का एक सेट होने से बच्चों को पता चलता है कि वे आपसे क्या उम्मीद कर सकते हैं। उन्हें क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए, यह मालूम होना चाहिए। उनके बढ़िया कार्यों के लिए उन्हें पुरस्कृत भी करें। अनुशासन को फॉलो करना बेहद जरूरी है, उन्हें यह बताएं।
बच्चों को यह समझना पड़ेगा कि उनके कार्यों का माता-पिता या पूरे परिवार पर क्या प्रभाव पड़ता है। इन नियमों को बनाने से उन्हें खुद को एक इकाई के रूप में देखने में मदद मिलती है।
सिंगल पेरेंट्स होने के नाते कभी-कभी आपको अलग-थलग और अकेला भी रहना पड़ सकता है। अधिक काम करना भी पड़ सकता है। इसलिए एक सपोर्ट सिस्टम होना जरूरी है, जो आपको तनाव को दूर करने में मदद कर सके और आपके पीछे आपको सहारा दे सके। आप अपने बच्चों के जीवन में खुद को इस हद तक न खो दें कि आपको यह भी याद न रहे कि आप कौन हैं या आप अपनी परवाह नहीं करती हैं।
अपने बच्चों के लिए क्या उचित और सर्वोत्तम है, इसके बारे में जागरूकता, नियंत्रण की भावना और ज़रूरत के समय में अपनी शक्तियों का प्रयोग करना पैरेलल पेरेंटिंग योजना स्थापित करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह सभी के लिए मददगार होता है।
पेरेंट्स के रूप में हम जानते हैं कि हमारे बच्चे हमारे जीवन में कितना महत्व रखते हैं। इसलिए उन्हें भावनात्मक और वैचारिक रूप से मजबूत करने के लिए उन्हें सुरक्षित परवरिश देनी होगी। साथ ही अपनी जरूरतों का भी ध्यान रखना होगा। इससे सभी के लिए सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
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