World Suicide Prevention Day: मानसिक तनाव और आत्महत्या का जोखिम बढ़ा देती है इन 2 पोषक तत्वों की कमी
जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन। भारत में यह कथन सदियों से प्रचलित है। दरअसल, पोषक तत्वों को ध्यान में रखकर यह बात कही गई है। यदि भोजन में पोषक तत्वों की कमी होगी, तो उसका सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ेगा। कई पोषक तत्व जैसे कि आयरन, विटामिन डी सीधे मेंटल हेल्थ को प्रभावित करते हैं। कई शोध और विशेषज्ञ इस और इशारा करते हैं कि यदि भोजन में पोषक तत्वों की कमी हो, तो स्ट्रेस, डिप्रेशन यहां तक कि आत्महत्या के विचार (Suicidal Thought) भी आ सकते हैं। आत्महत्या के विचार तो कमजोर मस्तिष्क की ही निशानी है। इसलिए इससे बचाव के लिए हर वर्ष 10 सितम्बर को सुसाइड्ल प्रिवेंशन डे मनाया जाता है। सबसे पहले जानते हैं इस ख़ास दिवस (World Suicide Prevention Day) के बारे में।
वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide prevention day 2023- 10 September)
दुनिया भर में प्रति वर्ष 7 लाख से अधिक आत्महत्या होती है। सुसाइड्ल प्रिवेंशन डे या विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (Suicide prevention day) आत्महत्या का विचार नहीं लाने के प्रति लोगों को जागरूक करता है। यह हर वर्ष 10 सितंबर को मनाया जाता है। यह 2003 से दुनिया भर में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आत्महत्या को रोकने का प्रयास कर रहा है।
इसके लिए विश्वव्यापी प्रतिबद्धता और कार्रवाई प्रदान करने के लिए हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है। इसके लिए इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (WFMH) संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के साथ मिलकर काम करती है।
पोषक तत्वों की कमी से तनाव और अवसाद (stress and depression)
विशेषज्ञ मानते हैं कि पोषक तत्वों की कमी से तनाव और अवसाद बढ़ता है। समस्या गंभीर होने पर व्यक्ति के मन में आत्महत्या का विचार भी आने लगता है। वास्तव में बहुत कम लोग पोषण और अवसाद के बीच संबंध के बारे में जानते हैं। जबकि पोषण संबंधी कमी शारीरिक के साथ-साथ मानसिक बीमारी के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है। आमतौर पर अवसाद को पूरी तरह से जैव रासायनिक आधारित या भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ माना जाता है। इसके विपरीत पोषण अवसाद की शुरुआत के साथ-साथ इसकी गंभीरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अवसाद की चिकित्सा में कई पोषक तत्वों से भरपूर भोजन को खाने पर भी जोर दिया जाता है।
मूड को प्रभावित करता है (nutrient deficiency for mental disorder)
सीनियर साइकोलॉजिस्ट और अनन्या फाउंडेशन की डायरेक्टर डॉ. ईशा सिंह कहती हैं, ‘खान-पान की आदत आम तौर पर मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है। यदि हम पोषक तत्वों की कमी वाले जंक फूड, एडेड शुगर वाले प्रोडक्ट लगातार खाते हैं, तो हमें इसकी आदत पड़ सकती है। लंबे समय में यह स्ट्रेस और डिप्रेशन बढ़ा सकता है।
दूसरी ओर इससे शरीर का वजन बढ़ जाता है। यह खुद को देखने, कपड़े पहनने और अपने बारे में अच्छा महसूस करने के तरीके को भी प्रभावित करने लगता है। इससे तनाव और अवसाद बढ़ सकता है। अवसाद के कारण लोग गलत निर्णय भी ले सकते हैं। महिलाओं में यह मूड को प्रभावित कर देता है। यह सुस्ती को भी बढ़ा सकता है।
मानसिक विकारों वाले रोगियों में पोषक तत्वों की कमी
सायकिएट्रिस्ट टी. एस. सत्यनारायण राव और एम. आर. आशा की टीम ने मानसिक विकारों वाले रोगियों में पोषक तत्वों की कमी पर शोध किया। इसके निष्कर्ष को इंडियन सायकियेट्री जर्नल में भी प्रकाशित किया गया। टी. एस. सत्यनारायण राव ने माना अवसाद एक विकार है, जो उदासी, घबराहट, एंग्जाइटी, भूख न लगना, खुश करने वाली गतिविधियों में रुचि की कमी को बढ़ा देता है।
यदि समय पर चिकित्सीय हस्तक्षेप नहीं किया जाए, तो यह विकार आत्महत्या के विचार आने का कारण भी बन सकता है। मानसिक विकारों वाले रोगियों में सबसे अधिक कमी ओमेगा -3 फैटी एसिड, बी विटामिन, मिनरल्स और अमीनो एसिड की देखी गई। ये सभी न्यूरोट्रांसमीटर को सही रूप से फंक्शन करने में मदद करते हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid for mental disorder)
अध्ययन से यह बात सामने आ गई कि मछली का अधिक सेवन करने वाली आबादी में मानसिक विकारों की घटनाओं में कमी देखी गई। मछली में गुड फैट ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty Acid) मुख्य रूप से पाया जाता है। मस्तिष्क गुड फैट से बना हुआ है। एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन एक से दो ग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड लेना चाहिए।
मानसिक विकार वाले रोगियों के लिए 9.6 ग्राम तक सुरक्षित और प्रभावी है। मस्तिष्क उच्चतम स्तर के लिपिड वाले अंगों में से एक है। फैटी एसिड से बने मस्तिष्क लिपिड झिल्ली के फंक्शनल घटक हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि ग्रे पदार्थ में 50% फैटी एसिड होते हैं, जो प्रकृति में पॉलीअनसेचुरेटेड होते हैं। लगभग 33% ओमेगा -3 आहार के माध्यम से लिया जा सकता है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंबी-कॉम्प्लेक्स विटामिन (Vitamin B for stress and depression)
पोषण और अवसाद एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। न्यूरोसाइकिएट्री जर्नल के बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन के सप्लीमेंट 1 वर्ष के लिए सामान्य अनुशंसित आहार भत्ता से 10 गुना अधिक पुरुषों और महिलाओं दोनों के मूड में सुधार किया। इसके अलावा विटामिन बी 12, फोलेट कैल्शियम क्रोमियम, आयोडीन आयरन, लिथियम, सेलेनियम, जिंक भी तनाव और अवसाद को कम कर आत्महत्या के विचार को रोक देते हैं।
यह भी पढ़ें :- Iron build up in brain : ब्रेन में ज्यादा मात्रा में मौजूद आयरन बढ़ा सकता है अल्जाइमर और डिमेंशिया का जोखिम