भारत में सदियों से यह कहावत प्रसिद्ध रहा है-अति सर्वत्र वर्जयेत। किसी भी चीज़ की अधिकता खराब होती है। चाहे वह आवश्यक पोषक तत्व (Essential Nutrients) ही क्यों न हो। शरीर और दिमाग को तंदुरुस्त रखने के लिए हम आयरन इंटेक (Iron Intake) पर ध्यान देते हैं। हाल में एक शोध के निष्कर्ष इसी ओर इशारा करते हैं। जिस तरह हार्ट में कैल्शिफिकेशन होने लगता है, ठीक उसी तरह मस्तिष्क में भी आयरन बिल्ड अप होने लगता है। यह आयरन बिल्ड अप मस्तिष्क रोग अल्जाइमर और डिमेंशिया में सेल डेथ का कारण बनता है। क्या इसका मतलब हम यह निकालें कि आयरन की अधिकता मस्तिष्क के लिए हानिकारक (iron build up in brain) होती है? आइये इससे पहले जानते हैं कि शोध क्या कहता है?
अमेरिका के ओरेगॉन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (America) के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक नया अध्ययन सामने आया है। इसके निष्कर्ष जर्नल एनल्स ऑफ न्यूरोलॉजी में भी ऑनलाइन प्रकाशित किए गए। यह बताता है कि कोशिका मृत्यु (cell death) का एक रूप जिसे फेरोप्टोसिस (Ferroptosis) कहा जाता है। यह कोशिकाओं में आयरन बिल्ड अप (Iron Build up in Brain) के कारण होता है।
अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामलों में माइक्रोग्लिया कोशिकाओं (Microglia Cells) को नष्ट कर देता है। यह मस्तिष्क की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Brain Immunity) में शामिल एक प्रकार की कोशिका है। शोधकर्ताओं ने मनोभ्रंश पीड़ित रोगियों (Dementia Patient) के पोस्टमार्टम के दौरान मस्तिष्क के ऊतकों (Brain Tissues Test) की जांच करते हुए अध्ययन किया था।
आयरन बिल्ड अप कोग्निटिव डिक्लाइन को बढ़ा देता है (Iron Build up increases cognitive decline)।
इसके माध्यम से कोशिका मृत्यु के एक नए रूप फेरोप्टोसिस की पहचान की गई। इस प्रक्रिया में आयरन के जमा हो जाने के कारण माइक्रोग्लिया कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं। ये कोशिका मस्तिष्क प्रतिरक्षा कोशिका हैं। मस्तिष्क के ऊतकों का विश्लेषण करने पर पता चला कि आयरन युक्त माइलिन को साफ करने का प्रयास करते समय माइक्रोग्लिया नष्ट हो गए थे। यह डिमेंशिया में संज्ञानात्मक गिरावट (cognitive decline) की प्रगति को बढ़ा देता है।
फार्मास्यूटिकल जर्नल के अनुसार, अब तक हम आयरन की कमी को कई रोगों के लिए जिम्मेदार मानते आये हैं। इसकी कमी से ब्रेन का मोटर फ़ंक्शन, इमोशनल हेल्थ प्रॉब्लम और सोशल बिहेवियर को प्रभावित होता है। लेकिन बहुत अधिक आयरन भी मस्तिष्क को प्रभावित करने लग जाते हैं। ब्रेन में आयरन जमा होने (Iron Build Up in Brain) से संज्ञानात्मक कार्य प्रभावित हो जाते हैं।
इससे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। यह विशेष रूप से अल्जाइमर रोग का कारण बन सकता है। शोध के अनुसार आयरन लेवल अधिक होने से स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ जाता है। यह ब्लड क्लॉट या किसी अन्य बाधा के कारण (iron build up in brain) हो सकता है।
न्यूट्रिशन रिव्यु जर्नल के मुताबिक, मस्तिष्क के भीतर सबसे अधिक ट्रांजिट आयरन मेटल का होता है। यह न्यूरोट्रांसमीटर सिंथेसिस, न्यूरॉन्स के माइलिनेशन और माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन सहित कई सेलुलर प्रक्रियाओं के लिए बहुत अधिक जरूरी है। जीवन के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण प्रतिक्रियाओं के लिए फेरस और फेरिक आयरन के बीच रेडॉक्स चक्र का उपयोग किया जाता है।
यही केमिकल ऑक्सीजन के साथ हानिकारक प्रतिक्रिया करता है, जो ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ाता (Iron for Oxidative Stress) है। इसलिए मस्तिष्क में आयरन को रेगुलेट करने की विशेष प्रक्रिया होती है। जब आयरन अनियमित हो जाता है, तो इसकी अधिकता और कमी दोनों ही स्थितियां मस्तिष्क के लिए हानिकारक (iron build up in brain) होती हैं।
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