कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन : जानिए कैसे हमारा शरीर कर सकता है इससे मुकाबला
सभी देश बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम चला रहे हैं। ऐसे में कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) के नए वेरिएंट चिंता का कारण बन गए हैं। ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका से नए वेरिएंट सामने आ रहें हैं और कयास लगाए जा रहे हैं कि कोरोना के टीके नये स्टेन पर पूरी तरह से प्रभावी नहीं हैं। हाल ही में सामने आई नई रिपोर्ट्स ने कोरोना वायरस के नये स्टेन के बारे में जानकारी दी है और ये चिंता का विषय बन गया है।
हमारी इम्युनिटी संक्रमण से लड़ने में अहम भूमिका निभाती है और शरीर में मौजूद B और T सेल्स किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में सक्षम माने जाते हैं।
आइये जानते हैं कि एंटीबॉडीज क्या हैं और ये इम्युनिटी बढ़ाने में कैसे मदद करती हैं-
एंटीबॉडीज को आप बॉडी का फर्स्ट लाइन ऑफ़ डिफेन्स भी कह सकते हैं और यही SARS-CoV-2 संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये बड़े, वाई-आकार के प्रोटीन सेल्स होते हैं, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा वायरस को पहचानने और “बेअसर” करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
एंटीबॉडी क्यों महत्वपूर्ण हैं और इसका कोविड-19 के टीके से क्या संबंध है?
एंटीबॉडी न केवल बीमारी से लड़ती हैं, बल्कि संक्रमण को भी पूरी तरह से रोकती हैं। कोरोनावायरस वैक्सीन के निर्माण ने मुख्य रूप से कोरोनावायरस स्पाइक प्रोटीन को पहचानने और पैथोजन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। लेकिन, इसके लिए आमतौर पर बड़ी संख्या में एंटीबॉडीज की आवश्यकता होती है।
सभी एंटीबॉडी समान नहीं होतीं, लेकिन वे हमें संक्रमणों से बचाने के लिए एक-दूसरे की मदद करती हैं। इसलिए कोरोना वायरस के टीके का लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा एंटीबॉडी बनाना।
क्या एंटीबॉडी हमारे संक्रमण के खिलाफ एकमात्र हथियार हैं?
नहीं, हमारी बॉडी में B और T सेल्स भी मौजूद होते हैं, जो एंटीबॉडी की तरह ही काम करते हैं और संक्रमण के लड़ने में हमारी मदद करते हैं। शरीर में ये दोनों सेल्स एंटीजेन्स का काम करते हैं और संक्रमित हो चुके सेल्स को नष्ट करते हैं।
हालांकि, पिछले संक्रमण या टीकाकरण से उत्पन्न एंटीबॉडी कम प्रभावी हो सकती हैं। यही एंटीबॉडी की प्रकृति और कार्य है। यदि एंटीबॉडी रोग से लड़ने में कम प्रभावी हो जाते हैं, तो टी कोशिकाएं COVID-19 के खिलाफ एक अतिरिक्त हथियार प्रदान कर सकती हैं।
शोधकर्ता अब क्लिनिकल डेटा के माध्यम से ऐसे संकेतों की तलाश में हैं जो T कोशिकाओं को स्थायी प्रतिरक्षा प्रदान कर सकें।
एंटीबॉडी, बी और टी कोशिकाओं के बीच क्या अंतर है? वे SARS-CoV-2 संक्रमण से लड़ने में कैसे मदद करते हैं?
एंटीबॉडीज: ये एक वायरल संक्रमण के कुछ दिनों के भीतर हमारी इम्युनिटी प्रोसेस के रूप में उत्पन्न होते हैं। ये हर वायरस के लिए अलग-अलग होते हैं।
बी सेल्स : इन्हें मेमोरी सेल्स भी कहा जाता है क्योंकि ये हर संक्रमण को याद रखते हैं और अगर हमारा शरीर वापस संक्रमण की चपेट में आता है, तो ये उससे लड़ने में मदद करते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंटी सेल्स- ये एक संक्रमण को साफ करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन्हें वॉरियर्स भी कहा जाता है, क्योंकि ये संक्रमित हुए सेल्स को ढूढ़कर उन्हें नष्ट करते हैं। हालांकि, SARS-CoV-2 के खिलाफ हर व्यक्ति का शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है।
इस महामारी ने शोधकर्ताओं के बीच संपर्क को बढाया है। डीएनए परीक्षणों का उपयोग करना, जो अब नियमित हो गए हैं, यह नए वेरिएंट को उजागर करेगा। साथ ही, जल्दी ही ऐसी वैक्सीन सामने आ सकती हैं जो कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन के मुताबिक़ सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
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