माइक्रोबायोम संतुलन है समग्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी, जानिए शरीर के विभिन्न हिस्सों पर मौजूद माइक्रोबायोम्स के बारे में
गट माइक्रोबायोम के बारे में हम सभी जानते हैं। बैक्टीरिया, वायरस और फंगस भी हमारी आंतों में रहते हैं। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि मुंह, नाक, त्वचा, फेफड़े और जनन अंगों में भी माइक्रोबायोम होते हैं। ये सभी माइक्रोबायोम हमारे स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वास्थ्य के लिए इनका संतुलन (Microbiomes balance) में होना जरूरी है।
ओरल माइक्रोबायोम (Oral Microbiome)
वर्ल्ड जर्नल ऑफ़ गैस्ट्रोएंट्रोलाजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, हमारे मुंह में बहुत बड़ी संख्या में बैक्टीरिया रहते हैं। रोगाणुओं का यह संग्रह काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट को सिंपल शुगर में तोड़ने का काम करता है। इस तरह से यह पाचन में मदद करता है, ताकि आंत आसानी से इसे अवशोषित कर सके। सभी माइक्रोबायोम की तरह ओरल माइक्रोबायोम हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने की कोशिश करता है। जब मुंह में गुड और बैड बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है, तो कैविटी, मसूड़ों की बीमारी और संक्रमण हो सकता है।
नाक का माइक्रोबायोम (Nasal Microbiome)
जर्नल ऑफ़ रेस्पिरेशन के अनुसार, नाक में मौजूद माइक्रोबायोम सांस लेने वाली हवा से कणों को फ़िल्टर करता है और गंदगी को दूर करने में मदद करता है।
पर्यावरणीय जोखिम जैसे कि वायु प्रदूषण, आनुवंशिकी या प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं के कारण नाक के माइक्रोबायोम में असंतुलन हो सकता है। ये असंतुलन क्रोनिक साइनसाइटिस, नाक की एलर्जी और श्वसन संक्रमण का कारण बन सकता है। जर्नल ऑफ़ रेस्पिरेशन की स्टडी में पाया गया कि अल्कोहल बैक्टीरिया को डी-हाइड्रेट कर सकते हैं। यह उनकी झिल्लियों से पानी निकाल देता है और वे फट जाती हैं। इसलिए अल्कोहल का सेवन करने वाले जान लें कि उनकी शराब नाक के बैक्टीरिया को खत्म करने के कारक बन सकते हैं।
स्किन माइक्रोबायोम (Skin Microbiome)
जर्नल ऑफ़ स्किन एंड स्टेम सेल में प्रकाशित शोध बताते हैं कि हमारी स्किन की सतह और इनर लाइन्स में मौजूद होते हैं माइक्रोबायोम। त्वचा के माइक्रोबायोम में बैक्टीरिया, फंगस और वायरस भी शामिल होते हैं। ये सूक्ष्मजीव त्वचा को स्वस्थ रखने और हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। त्वचा के माइक्रोबायोम में असंतुलन के कारण पिम्पल्स, एक्ने, एक्जिमा, सोरायसिस और सूजन की समस्या भी हो सकती है। कुछ बैक्टीरिया के असंतुलन से कोलेजन लेवल लो हो जाता है। कोलेजन लेवल त्वचा को युवा बनाए रखता है।
फेफड़े का माइक्रोबायोम (Lung Microbiome)
जर्नल ऑफ़ लंग, पल्मोनरी एंड रेस्पिरेटरी रिसर्च के अनुसार, फेफड़े का माइक्रोबायोम अन्य बायोम की तरह विविध नहीं होता है। इसमें मुख्य रूप से बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया मुंह और नाक से आकर फेफड़ों में अपना रास्ता बना लेते हैं। फेफड़े का माइक्रोबायोम इम्यून सिस्टम और श्वसन स्वास्थ्य में भूमिका निभाता है। फेफड़े के माइक्रोबायोम में असंतुलन के कारण संक्रमण और श्वसन रोगों जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और निमोनिया के प्रति शरीर अधिक संवेदनशील हो सकता है।
जनन अंगों के माइक्रोबायोम (Genital Microbiome)
जर्नल ऑफ़ जेनिटल सिस्टम एंड डिसआर्डर के अनुसार, महिलाओं में योनि माइक्रोबायोम और पुरुषों में पेनाइल माइक्रोबायोम भी होते हैं। महिलाओं में योनि माइक्रोबायोम मुख्य रूप से बैक्टीरिया, विशेष रूप से लैक्टोबैसिलस से बना होता है। यह माइक्रोबायोम एक एसिडिक वातावरण बनाकर योनि को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। यह हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को रोकता है और एक संतुलित माइक्रोबियल समुदाय को बढ़ावा देता है।
योनि माइक्रोबायोम में असंतुलन होने से बैक्टीरियल वेजिनोसिस और यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है। पुरुषों में पेनाइल माइक्रोबायोम जेनिटल हेल्थ में योगदान देता है। हालांकि इस पर व्यापक अध्ययन होना बाकी है। पेनाइल माइक्रोबायोम में असंतुलन से यूरीनरी ट्रैक्ट में संक्रमण जैसी स्थिति हो सकती है।
आंत माइक्रोबायोम (Gut Microbiome )
वर्ल्ड जर्नल ऑफ़ गैस्ट्रोएंट्रोलाजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, आंत माइक्रोबायोम हमारे शरीर में सबसे प्रभावशाली माइक्रोबायोम में से एक है। इसमें बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और आर्किया सहित सूक्ष्मजीव बड़ी संख्या में रहते हैं।
इससे पाचन, मेटाबोलिज्म और प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास (Microbiome boost Immune System) में मदद मिलती है। यह काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने में मदद करता है। विटामिन के और विटामिन बी सहित कई विटामिन के प्रोडक्शन में मदद करता है। यह पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है। गट माइक्रोबायोम में असंतुलन से गट इन्फ्लामेशन, ओबेसिटी, टाइप 2 डायबिटीज और मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर, जैसे डिप्रेशन और एंग्जायटी हो सकती है।
अंत में
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इन सभी माइक्रोबायोम में संतुलन होना जरूरी है।
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