लॉग इन

World Cancer Day पर जानिए क्या सच में ग्रिल्ड और स्मोक्ड फूड्स से बढ़ जाता है कैंसर का खतरा?

स्मोक्ड और ग्रिल्ड फूड्स खासकर मीट के सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग अधिक फ्रिक्वेंटली स्मोक्ड फूड लेते हैं, उनकी बॉडी में कैंसर सेल्स जनरेट हो सकते हैं।
जानिए कैसे कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं स्मोक्ड फूड्स। चित्र- अडोबी स्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 4 Feb 2024, 14:00 pm IST
ऐप खोलें

स्मोक्ड और ग्रिल्ड फूड्स लोगों को काफी पसंद हैं, इस फ्लेवर की बहुत डिमांड है। वहीं इनसे बर्गर और सैंडविच आदि में फ्लेवर ऐड किया जाता है। हालांकि, ये जितना स्वादिष्ट है उतना ही खतरनाक हो सकता है। स्मोक्ड और ग्रिल्ड फूड्स खासकर मीट के सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग अधिक फ्रिक्वेंटली स्मोक्ड फूड लेते हैं, उनकी बॉडी में कैंसर सेल्स जनरेट हो सकते हैं। इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है (smoked food and cancer)। वर्ल्ड कैंसर डे के मौके पर हम आपको बताएंगे आखिर स्मोक्ड फूड्स किस तरह कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।

हेल्थ शॉट्स ने इस बारे में अधिक जानने के लिए मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा के मेडिकल ऑनकोलॉजी, हैमेटो ऑनकोलॉजी और BMT ऑनकोलॉजी के डायरेक्टर और हेड डॉ R.K चौधरी से बात की। डॉक्टर ने इस विषय से संबंधी कुछ जरूरी जानकारी दी हैं, तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से।

जानिए इसपर क्या है एक्सपर्ट की राय

स्मोक्ड फूड्स, विशेष रूप से मीट पीएएच (PAH) और एचसीए (HCA) जैसे कैंसर से जुड़े कंपाउंड का उत्पादन कर सकता है। जोखिम कारकों में खाना पकाने की विधि, भोजन का प्रकार और तापमान शामिल है। उच्च तापमान पर पकाए जाने पर ग्रिल्ड, चार्ड और पूरी तरह से पके हुए मीट के साथ-साथ कुछ पके हुए, भुने हुए या तले हुए पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों में भी कई प्रकार के केमिकल्स पाए जाते हैं। ये केमिकल्स आपके कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं, ऐसे में आपको खाना बनाते वक्त केमिकल्स के संपर्क में आने से बचने की कोशिश करनी है।

स्मोक्ड फूड्स किस तरह कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

अब जानते हैं ग्रिल्ड और हाई टेंपरेचर पर पके फूड्स में मौजूद केमिकल्स के बारे में (smoked food and cancer)

मीट पकाते समय दो रसायन, पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) और हेट्रोसायक्लिक एमाइन (एचसीए), स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं। जब आप मीट को ग्रिल करती हैं, तो फैट और जूस नीचे ग्रिल के ड्रिप पैन में टपकते हैं, जिससे आग की लपटें और धुआं निकलता है जिसमें पीएएच होता है। इसके बाद, यह मीट को पीएएच के साथ कोट कर देता है। पीएएच स्मोक्ड फूड्स, तंबाकू स्मोक और कार के धुएं में भी पाए जाते हैं। इस बीच, एचसीए स्वाभाविक रूप से तब उत्पन्न होता है जब आप मीट, जैसे कि बीफ, चिकन, पोर्क या मछली को उच्च तापमान पर स्मोक करती हैं।

एक्रिलामाइड एक अन्य केमिकल है जो आलू या अन्य प्लांट बेस्ड फूड्स को उच्च तापमान पर पकाने, भूनने या तलने पर स्वाभाविक रूप से विकसित होता है। एक्रिलामाइड एक केमिकल है जो तब बनता है, जब शुगर उस फूड में अमीनो एसिड के साथ प्रतिक्रिया करती है, जिसे आप पकाते हैं या भूनते हैं। एक्रिलामाइड पके हुए या तले हुए आलू, कुकीज़ और अन्य पके हुए सामान और कॉफी में पाया जाता है। पर्यावरणीय स्वास्थ्य परिप्रेक्ष्य में 2010 के एक अध्ययन के अनुसार, पीने के पानी और तंबाकू के धुएं में भी एक्रिलामाइड होता है, और जो लोग स्मोकिंग करते हैं उनके रक्त में नॉन स्मोकर्स की तुलना में एक्रिलामाइड के लिए बायोमार्कर का स्तर अधिक होता है।

क्या PAHs और HCAs कैंसर का कारण बन सकते हैं?

जानवरों पर किए गए अध्ययन में, कृंतकों (rodents fed diets) को पीएएच और एचसीए की उच्च खुराक वाले आहार खिलाने से कई अलग-अलग प्रकार के कैंसर विकसित हुए। उदाहरण के लिए, कार्सिनोजेनेसिस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में, कृंतकों को उनके आहार में एचसीए मिलाने से ब्रेस्ट कैंसर और कोलन कैंसर विकसित होने की संभावना अधिक थी।

बेहद नकारात्मक होते हैं और इससे आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

मनुष्यों में इन रसायनों का अध्ययन करना विशेष रूप से कठिन है, क्योंकि किसी व्यक्ति के दैनिक भोजन सेवन के बारे में प्रश्नावली के आधार पर पीएएच या एचसीए की सटीक मात्रा का पता लगाना कठिन है। साथ ही, पीएएच और एचसीए का स्तर मीट के प्रकार, खाना पकाने की अवधि और खाना पकाने के तापमान के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। अंत में, जिस तरह से आपका शरीर इन केमिकल्स को मेटाबॉलिक करता है, या आपके वातावरण में इन रसायनों के संपर्क में आने का तरीका किसी और से भिन्न हो सकता है। कुछ लोगों में, यह संभवतः कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।

यह भी पढ़ें: जॉन्डिस और खराब ओरल हाइजीन का संकेत हो सकता है जीभ का पीला पड़ना, जानिए इससे कैसे निपटना है

हालांकि, आपको ग्रिल्ड फूड्स से पूरी तरह से परहेज करने की आवश्यकता नहीं है, इसके बजाय जो अधिक बार ग्रिल करते हैं, जैसे कि सप्ताह में एक या दो बार, पीएएच और एचसीए के संपर्क को कम करने के लिए सब्जियों, फ़ॉइल पैकेट में पकाई गई मछली, या कम वसा वाले मीट सहित विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का चयन करें।

क्या एक्रिलामाइड से कैंसर हो सकता है?

एक्रिलामाइड को पहली बार 2002 में खाद्य पदार्थों में पहचाना गया था, और यह शायद कोई नया रसायन नहीं है, तब से इसके स्वास्थ्य प्रभावों के अध्ययन में तेजी आई है।

अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें

कस्टमाइज़ करें
सेहत के लिए हानिकारक है. चित्र शटरस्टॉक।

एफडीए के अनुसार, जानवरों पर किए गए अध्ययन में एक्रिलामाइड के उच्च स्तर को कई प्रकार के कैंसर का कारण माना गया है। किसी व्यक्ति के आहार में एक्रिलामाइड के सेवन के स्तर का अनुमान लगाना कठिन हो सकता है। वहीं खाद्य पदार्थों में एक्रिलामाइड का स्तर खाना पकाने के तापमान, खाना पकाने की अवधि, स्टोरेज और अन्य चीजों के आधार पर भिन्न हो सकता है।

जानें खाद्य पदार्थों में कैसे कम कर सकते हैं इन केमिकल का प्रभाव

ऐसी किसी भी चीज की कोचिंग न करें जो आपके फूड्स को जला सकती हैं।
मीट और अन्य खाद्य पदार्थों को प्री कुक करें, ताकि इसे कम समय के लिए ग्रिल करना पड़े।
मीट को इस तरह मैरीनेट करें, की इसपर इन केमिकल्स के प्रभाव को कम करने के लिए एक प्रोटेक्टिव लेयर तैयार हो जाए।

यह भी पढ़ें: सर्वाइकल कैंसर से बचाव का इफेक्टिव तरीका है एचपीवी वैक्सीन, 2024 बजट में हुई इसे प्रमोट करने की घोषणा

अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख