सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े दिन- प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। सर्वाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा डायग्नोज किया जाने वाला कैंसर है। वहीं इसके लक्षण बेहद कॉमन होते हैं, जिसकी वजह से ज्यादातर केस में इसका पता गंभीर स्टेज पर जाकर ही लग पाता है। इस बीमारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए 2024 के बजट में भी इस विषय पर चर्चा की गई (HPV vaccine in budget)। सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण पाने के लिए, सरकार की ओर से 9 से 14 साल तक की बच्चियों के लिए एचपीवी वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने की घोषणा की गई। वर्ल्ड कैंसर डे से पहले यह जरूरी है कि आप भी सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी वैक्सीन के बारे में सब कुछ जानें।
बजट 2024–25 में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने वुमन एंपावरमेंट और सेफ्टी पर काफी फोकस किया। वहीं उन्होंने फीमेल हेल्थ को भी प्राथमिकता दी और सर्वाइकल कैंसर प्रीवेंशन के लिए सरकार द्वारा वैक्सीन को प्रमोट करने की घोषणा की है।
2 साल पहले राष्ट्रीय टीकाकरण सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) द्वारा महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) में एचपीवी वैक्सीन को शामिल करने की सिफारिश की गई थी। 2024-25 के अपनी अंतरिम बजट स्पीच के जरिए यूनियन फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार इस घातक बीमारी से निपटने के लिए टीकाकरण को सक्रिय रूप से “बढ़ावा” देगी।
इस कमिटमेंट के बाद, फाइनेंस मिनिस्टर सीतारमण ने अपने बजट स्पीच में कहा, “हमारी सरकार सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय के रूप में 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहित करेगी।”
गवर्नमेंट की रिपोर्टों के अनुसार, भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है, इसका सर्वाइकल कैंसर के ग्लोबल बर्डन में बड़ा योगदान है। सर्वाइकल कैंसर का प्राथमिक कारण ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) है। सरकार द्वारा देश भर में कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम एवं केंद्र को लागू करने के प्रयासों के बावजूद, लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं और वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। इस कारण एचपीवी का प्रचलन अधिक बना हुआ है।
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GLOBOCAN 2020 के अनुसार, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने भारत में 123,907 नए सर्वाइकल कैंसर के मामलों और 77,348 मौतों का अनुमान लगाया है। पैप स्मीयर या एचपीवी परीक्षणों के साथ नियमित जांच से कैंसर पूर्व घावों का पता लगाया जा सकता है, जिससे की समय रहते इलाज शुरू कर इसे ठीक किया जा सके। हालांकि, भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, स्क्रीनिंग रेट बेहद कम हैं, जिसके कारण कैंसर का पता बहुत देर से चलता है। साथ ही समय रहते उचित मेडिकल ट्रीटमेंट न मिलने से महिलाओं की मौत हो जाती है।
कुछ स्टेट्स ऐसे में हैं जिन्होंने इस दिशा में पहले से सक्रिय कदम उठा रखा है। दिल्ली ने 2016 में 9-14 वर्ष की लड़कियों के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया, जिसका कवरेज रेट काफी हाई था। पंजाब, सिक्किम, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र ने पायलट कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में कुछ जिलों में स्कूल गर्ल्स के लिए फ्री एचपीवी वैक्सीन की घोषणा की है।
मिजोरम ने 10 से 12 साल की लड़कियों के लिए अपने रेगुलर वैक्सीनेशन प्रोग्राम में फ्री एचपीवी वैक्सीन को शामिल किया है। जबकि उत्तर प्रदेश ने भी एक पायलट प्रोग्राम के हिस्से के रूप में चुनिंदा जिलों में स्कूल गर्ल्स के लिए फ्री एचपीवी वैक्सीन की घोषणा की है।
हालांकि, जागरूकता और जानकारी के अभाव में इस टार्गेटेड रिजल्ट को अचीव कर पाना मुश्किल है। सबसे पहले लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की जरूरत है।
1. सेफ सेक्स : सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए सेक्स के प्रति सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। सेक्स करते हुए कंडोम का इस्तेमाल करने से HPV संक्रमण को रोका जा सकता है। इसके अलावा सेक्सुअल पार्टनर को सीमित रखें, साथ ही धूम्रपान से भी परहेज करना जरूरी है।
2. वैक्सीन है जरूरी : ऐसी कुछ वैक्सीन हैं जो एचपीवी संक्रमण से बचाव में मदद मरती हैं। उचित उमर में HPV वैक्सिन लगवाएं, ताकि इसके प्रकोप से बचा जा सके।
3. ब्रेस्टफीडिंग और प्रेगनेंसी : महिलाओं को अपने जीवन में एक बार प्रेगनेंट जरूर होना चाहिए, वहीं ब्रेस्ट फीडिंग करवाना भी बहुत जरूरी है। यह दोनों सर्वाइकल कैंसर से बचाव में आपकी मदद कर सकते हैं। इनसे सर्वाइकल कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
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