इन पांच तरह के हॉर्मोन्स में उतार-चढ़ाव आने से बढ़ सकता है वजन, एक्सपर्ट बता रहे कैसे
नियमित जीवन शैली की गतिविधियां जैसे कि शारीरिक स्थिरता, गलत खान-पान, तनाव आदि दिन प्रतिदिन लोगों को मोटापे का शिकार बना रही हैं। हालांकि, वेट मैनेजमेंट में इन चीजों के अलावा आपका हार्मोन एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यदि हॉर्मोन्स संतुलित नहीं रहते, तो आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है, वहीं कई लोगों में वजन तेजी से घटने लगता है। हालांकि, आज हम बात करेंगे मोटापे के लिए जिम्मेदार कुछ सामान्य हॉर्मोन्स के बारे में। तो चलिए जानते हैं आखिर वे कौन से हार्मोन हैं, जो वजन बढ़ने का कारण बनते हैं।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पिंपरी, पुणे के कंसलटेंट फिजिशियन प्रसाद कुवालेकर से बात की। डॉक्टर ने कुछ ऐसे सामान्य हार्मोन के नाम बताएं हैं जिनमें उतार-चढ़ाव आने से वेट गेन को सकता है।
ये 5 हॉर्मोन्स बन सकते हैं वेट गेन का कारण (Hormones that causes weight gain)
1. मोटापा और लेप्टिन
लेप्टिन फैट सेल्स द्वारा उत्पादित किया जाता है और हमारे ब्लड फ्लो में स्रावित होता है। लेप्टिन किसी व्यक्ति की खाने की इच्छा को कम करने के लिए उसके मस्तिष्क के विशिष्ट केंद्रों पर कार्य करके भूख को नियंत्रित रखने का कार्य करता है। साथ ही शरीर में फैट स्टोरेज के प्रतिबंधन को भी सुनिश्चित करता है।
लेप्टिन फैट द्वारा निर्मित होता है, इसलिए मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति में लेप्टिन का स्तर सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में अधिक होता है। हालांकि, लेप्टिन के उच्च स्तर के बावजूद, मोटावे से ग्रस्त लोग लेप्टिन के प्रभावों के प्रति उतने संवेदनशील नहीं होते हैं। परिणामस्वरूप, वे भोजन के दौरान और बाद में संतुष्टि महसूस नहीं कर पाते। ऐसे में व्यक्ति ओवर ईटिंग करता है जिसकी वजह से वेट का खतरा बना रहता है।
2. मोटापा और इंसुलिन
इंसुलिन, पेनक्रियाज द्वारा निर्मित एक हार्मोन है जो कार्बोहाइड्रेट के नियमन और फैट मेटाबोलिज्म के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इंसुलिन मांसपेशियों, और फैट टिश्यू में ब्लड से ग्लूकोज (चीनी) को उत्तेजित करता है। रोजमर्रा के कामकाज के लिए ऊर्जा की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए और परिसंचारी ग्लूकोज के सामान्य स्तर को बनाए रखने के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
ओबेसिटी से ग्रसित व्यक्ति में, कभी-कभी इंसुलिन सिंग्नल खो जाते हैं और टिश्यू ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं रह जाते हैं। इससे टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का विकास हो सकता है।
3. मोटापा और सेक्स हार्मोन
शरीर में फैट का वितरण मोटापे से संबंधित स्थितियां जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक और गठिया के कुछ रूपों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे पेट, कूल्हे और जांघ पर जमे फैट की तुलना में हमारे पेट के आसपास जमी चर्बी बीमारी के लिए अधिक जोखिम कारक है। एस्ट्रोजन और एण्ड्रोजन शरीर में फैट वितरण को तय करने में मदद करते हैं। एस्ट्रोजेन महिलाओं में ओवरी द्वारा बनाए गए सेक्स हार्मोन हैं। वे प्रत्येक पीरियड साईकल में ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
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पुरुष और मेनोपॉज के बाद महिलाओं के ओवरी में एस्ट्रोजन का उत्पादन सीमित हो जाता है। इसके बजाय, अधिकांश एस्ट्रोजेन उनके शरीर में फैट में उत्पादित होते हैं। जैसे-जैसे मनुष्य की उम्र बढ़ती है, ये स्तर धीरे-धीरे कम होते जाते हैं। फर्टिलिटी की उम्र में महिलाएं अपने निचले शरीर (‘नाशपाती के आकार’) में फैट स्टोर करती हैं, वृद्ध पुरुष और मेनोपॉज के बाद की महिलाओं में पेट के आसपास के क्षेत्र में फैट जमा होता है (‘सेब के आकार’)। अध्ययनों से पता चला है कि एस्ट्रोजन की कमी से वजन काफी तेजी से बढ़ता है।
4. मोटापा और ग्रोथ हार्मोन
हमारे ब्रेन में पिट्यूटरी ग्लैंड ग्रोथ हार्मोन का उत्पादन करती है, जो व्यक्ति की ऊंचाई को प्रभावित करता है और हड्डी एवं मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है। ग्रोथ हार्मोन मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है (वह दर जिस पर हम ऊर्जा के लिए ग्लूकोज को जलाते हैं)। रिसर्च में पाया गया है कि अधिक वजन वाले व्यक्ति में ग्रोथ हार्मोन का स्तर सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में कम होता है।
5. इन्फ्लेमेटरी फैक्टर और मोटापा
मोटापा फैट टिश्यू के भीतर निम्न-श्रेणी की पुरानी सूजन से जुड़ा हो सकता है। अत्यधिक फैट स्टोरेज के कारण फैट सेल्स के भीतर तनाव प्रतिक्रियाएं बढ़ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप फैट सेल्स और फैट टिश्यू के भीतर प्रतिरक्षा कोशिकाओं से इन्फ्लेमेटरी कारक मुक्त हो जाते हैं।
नोट : यह सभी हॉर्मोन्स एक दूसरे से अलग हैं और इन सभी को संतुलित रखने के लिए आपको अलग-अलग गतिविधियों एवं खान-पान पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। हॉर्मोन्स के संतुलन को बनाए रखने के लिए खुद को सक्रिय रखना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा अपने नियमित डाइट में स्वस्थ व संतुलित भोजन लेने का प्रयास करें, ऐसा करने से आपको बेवजह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
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