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Biohacking for fitness : फिटनेस फ्रीक नहीं, अब बायोहैकर्स बनिए, जानिए क्या है ओवरऑल वेलनेस की ये नई टर्म

अमेरिका सा आया शब्द बायोहैकिंग इन दिनों फिटनेस फ्रीक की जुबान पर हैं। बायोहैकिंग में पूरे शरीर के बायो को समझा जाता है। इसके अनुसार, फिटनेस गट हेल्थ, इमोशनल हेल्थ, कॉग्निटिव हेल्थ और इम्युनिटी से भी जुड़ा है। इन सभी से जुडी किसी भी तरह की अस्वस्थता व्यक्ति के फिटनेस को प्रभावित कर सकती है।
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बायोहैकिंग में पूरे शरीर के बायो को समझना और उसे स्वस्थ रखना जरूरी है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 7 Apr 2024, 09:30 am IST
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इन दिनों अमेरिका में फिटनेस के लिए बायोहैकिंग शब्द का खूब प्रयोग किया जाता है। अमेरिका से यह शब्द भारत आ गया है और अब यहां धीरे-धीरे प्रचलित हो रहा है। बायोहैकिंग शब्द किसी भी तरह का फैड फिटनेस नहीं है। यह अप्रोच पूरी तरह शरीर को ध्यान में रखकर लगाया जाता है। बायोहैकर वह व्यक्ति है, जो शरीर को बेहतर और अधिक कुशलता से कार्य करने के लिए शरीर के बायो यानी उसके विज्ञान पर काम करता है। बायोहैकिंग का लक्ष्य पोषण, नींद, दिमाग, हृदय, आंत की फिटनेस होती है। साथ ही, स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले किसी भी अन्य जीवनशैली कारकों पर ध्यान देकर समग्र कल्याण में सुधार (Biohacking for fitness) करना भी होता है।

समझिये कैसे काम करता है बायोहैकिंग (How does Biohacking work)

हमारी आंतें पूरी तरह से हमारी जीवनशैली से प्रभावित होती हैं। हम क्या खाते हैं, हम कितनी बार एक्सरसाइज करते हैं, हमारे तनाव का स्तर और हमारे हार्मोन भी आंतों को प्रभावित करते हैं। इसीलिए ओवरऑल हेल्थ के लिए एक्सरसाइज और गट हेल्थ दोनों पर ध्यान देना जरूरी है।
इसमें पोषण के साथ-साथ माइंडफुलनेस भी महत्वपूर्ण हैं। बायोहैकिंग में पूरे शरीर के बायो को समझना और उसे स्वस्थ रखना जरूरी है। इसमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिटनेस, इम्यूनो फिटनेस, इमोशनल बैलेंस, संज्ञानात्मक तीक्ष्णता और एनर्जेटिक एफिशिएंसी भी शामिल हैं।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिटनेस (Gastrointestinal fitness)

गट हेल्थ का अधिकांश हिस्सा पोषण और दिमाग को आराम देने से आता है। व्यायाम के माध्यम से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिटनेस में सुधार लाया जा सकता है। आंत को स्वस्थ बनाने के लिए उचित स्ट्रेचिंग, रेसिस्टेंस ट्रेनिंग और हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग बेहतरीन वर्कआउट रूटीन भी किया जा सकता है। ध्यान भी जरूरी है।

इम्यूनो फिटनेस (Immunity fitness)

80% से अधिक प्रतिरक्षा प्रणाली आंत में रहती है। प्रतिरक्षा प्रणाली और आंत, इन दोनों के बीच एक मजबूत संबंध है। गट हेल्थ की मजबूती से शरीर को संक्रमण से लड़ने और बीमारी से बचने में मदद मिलती है। डेली एक्सरसाइज पेट को स्वस्थ बनाए रखने और बीमार होने से बचाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। छोटी-मोटी बीमारी जैसे कि पेट में दर्द या सिर में दर्द या सर्दी होने पर उन्हें व्यायाम करना जारी रखने की सलाह दी जाती है। जब बुखार या फ्लू के लक्षण हों, तभी वर्कआउट करने की बजाय आराम करने की सलाह दी जा सकती है।

जब बुखार या फ्लू के लक्षण हों, तभी वर्कआउट करने की बजाय आराम करने की सलाह दी जा सकती है।चित्र : अडोबी स्टॉक

इमोशनल बैलेन्स (Emotional balance)

तनाव मानसिक और शारीरिक रूप से हम पर गंभीर प्रभाव डालता है। व्यायाम करने से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शारीरिक गतिविधि मस्तिष्क को एंडोर्फिन जारी करने, भावनात्मक तनाव दूर करने, नींद में सुधार करने और एंग्जायटी और अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। हर दिन कम से कम तीस मिनट तक किसी न किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधि में भाग लें।

कॉग्निटिव एक्विटी (Cognitive acuity)

आंत न केवल मस्तिष्क को प्रभावित करती है, बल्कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी आंत को प्रभावित करता है। आंत के स्वास्थ्य में सुधार और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिएएक्सरसाइज करना जरूरी है। इससे तनाव कम होता है और माइक्रोबायोम पर तनाव के नकारात्मक प्रभावों का मुकाबला होता है। एक्सरसाइज स्ट्रेस प्रबंधन के लिए फायदेमंद है। यह एक प्राकृतिक मूड बूस्टर है, जो इसे अप्रत्यक्ष रूप से गट माइक्रोबायोम हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है।

एनर्जेटिक एफिशिएंसी (Energetic Efficiency)

गट माइक्रोबायोम भोजन के पाचन और अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि हम पोषक तत्वों को ठीक से पचा या अवशोषित नहीं कर रहे हैं, तो हमें अपने रोजमर्रा के जीवन के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलेगी। प्रति सप्ताह कम से कम छह दिन कार्डियोवस्कुलर व्यायाम करने से शरीर ऊर्जा के लिए ईंधन का उपयोग करने के तरीके में सुधार करना शुरू कर देगा। इसके कारण बेहतर वर्कआउट होता है, हृदय रोग कम होता है और कुल मिलाकर स्वास्थ्य बेहतर होता है।

बेहतर वर्कआउट से हृदय रोग कम होता है और कुल मिलाकर स्वास्थ्य बेहतर होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

अंत में

हम सभी प्रतिदिन व्यायाम करने, अधिक सब्जियां खाने या माइंडफुलनेस का अभ्यास कर सकते हैं, लेकिन सबसे पहले अपने शरीर के बायो यानी विज्ञान को समझना जरूरी है। जब हम यह समझने में सक्षम हो जाएंगे कि हमारे शरीर और आंत के अंदर क्या हो रहा है, तो हम बाहरी परिणाम प्राप्त करने में बेहतर तरीके से सक्षम हो सकते हैं। आंत के अच्छी तरह काम करने और स्वस्थ जीवनशैली से फिटनेस के लक्ष्य (biohacking for fitness) प्राप्त करने में आसानी होगी।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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