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Volume Diet : बार-बार खाने की क्रेविंग बढ़ा रही है आपका वजन, तो आपको है वॉल्यूम डाइट की जरूरत, जानिए क्या है यह

अगर आप भी बिना वज़न को बढ़ाएं पेट भर कर खाना चाहते हैं, तो हेल्दी वॉल्यूम डाइट को चुनें। जानते हैं कि क्या है वॉल्यूम डाइट और इससे होने वाले फायदे भी ( benefits of volume diet)।
जानते हैं कि क्या है वॉल्यूम डाइट और इससे होने वाले फायदे भी । चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Updated: 20 Nov 2023, 15:04 pm IST
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दिनभर में लगने वाली छोटी छोटी भूख को मिटाने के लिए कार्ब्स से भरपूर डाइट लेना वज़न बढ़ने का कारण बनने लगता है। अधिक कैलोरी इनटेक से शरीर में मोटापे के अलावा कई समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है। ऐसे में अक्सर लोग खाना खाने से कतराने लगते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। अगर आप भी बिना वज़न को बढ़ाएं पेट भर कर खाना चाहते हैं, तो हेल्दी वॉल्यूम डाइट को चुनें। जो बार बार भूख लगने की समस्या को हल करके कैलोरी इनटेक को भी कम करता है। जानते हैं कि क्या है वॉल्यूम डाइट और इससे होने वाले फायदे भी ( benefits of volume diet)।

वॉल्यूम डाइट किसे कहते हैं (What is Volume diet)

इस बारे में बातचीत करते हुए डाइटीशियन और नूट्रिशनिस्ट मनीषा गोयल का कहना हैं कि कम कैलोरी इनटेक करते हुए भरपूर मात्रा में भोजन करना वॉल्यूम डाइट कहलाता है। इस तरह की डाइट में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों को सम्मिलित किया जाता है। जो कम कैलोरी में शरीर को वेटलॉस में मददगार साबित होते हैं। वॉल्यूम डाइट की खासियत ये है कि कि इससे आपको बार बार होने वाली क्रेविंग से राहत मिल जाती है और देर तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। ऐसे में डाइट में मौसमी फल, सब्जियां और सीड्स समेत कई चीजों को एड किया जाता है।

पहले जानें वॉल्यूम डाइट के फायदे (Benefits of Volume diet)

1. देर तक भूख न लगना

पानी और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपनी मील में शामिल करने से आपको देर तक भूख नहीं लगती है। इसके अलावा इनमें कैलोरी की कम मात्रा होने से वेटगेन से शरीर बचा रहता है। फाइबर रिच डाइट लेने से ओवरइटिंग की समस्या भी हल हो जाती है। इसके लिए डाइट में ओटमील, पॉपकॉर्न और खीरा व सिलेरी को शामिल कर सकते हैं।

2. वेटलॉस में मददगार

तोल मोल के खाने की जगह हाई वॉल्यूम इटिंग आपको सेटिसफाइड फूड प्रदान करता है। इससे आप भरपूर मात्रा में खाना खा सकते हैं। जो वेटगेन के खतरे से आपको बचाकर रखता है। लो कैलोरीज़ फूड का सेवन करने से दिनभर में आपका कैलोरी इनटेक सीमित रहता है। इससे शरीर में जमा होने वाली चर्बी की समस्या कम हो जाती है।

वेट लॉस में मदद करती है ‘वॉल्यूम डाइट’। चित्र- अडोबी स्टॉक

3. डाइजेशन में फायदेमंद

वॉल्यूम डाइट का सेवन करने से शरीर में फाइबर इनटेक बढ़ जाता है। जो मेटाबॉलिज्म को मज़बूती प्रदान करता है। इससे पाचनतंत्र मज़बतू बना रहता है। ब्लोटिंग, कब्ज, पेट दर्द और एसिडिटी की समस्या हल हो जाती है। लो कैलोरी फूड को पचाना आसान होने लगता है।

4. बीमारियों का खतरा टल जाना

हाई कैलोरी फूड से शरीर में डायबिटीज़, हृदय संबधी रोग और किडनी व लिवर की समस्या का खतरा बना रहता है। ज्यादा मात्रा में शुगर इनटेक वेटगेन की समस्या को बढ़ाता है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी अनियंत्रित कर देता है। फाइबर, प्रीबायोटिक्स और एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर डाइट शरीर को सेहतमंद बनाए रखती है।

इस बारे में न्‍यूट्रीशनिस्ट और फाउंडर ऑफ सीमा सिंह न्‍यूट्रीशन क्लीनिक बताती हैं कि वॉल्यूम डाइट में किन फूड्स को करें शामिल

1. हरी पत्तेदार सब्जियां

केल, पालक और लेटयूस समेत सभी हरी पत्तेदार सब्जियों को अपनी मील में शामिल करें। इससे शरीर को फाइबर, फोलेट, विटामिन, मिनरल और आयरन की प्राप्ति होती है। इसे आप सैलेड के तौर पर खा सकते हैं। लाइकोपीन और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर ग्रीन वेजिटेबल वेटलॉॅस के अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।

2. चिया सीड्स

मॉलिक्यूल जर्नल के अनुसार ओमेगा 3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर चिया सीड्स फाइबर का मुख्य स्त्रोत है। इसे मील में शामिल करके बार बार लगने वाली भूख की समस्या दूर होती है। साथ ही इससे ग्लूटन फ्री प्रोटीन और जिंक की प्राप्ति होती है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर डायबिटीज, हृदय रोगों का संकट और अवसाद से बचा रहता है।

चिया सीड्स का नियमित सेवन करने से शरीर डायबिटीज, हृदय रोगों का संकट और अवसाद से बचा रहता है।। चित्र : अडोबी स्टॉक

3. लेग्यूम्स

यूएसडीए के अनुसार एक कप पके हुए लेग्यूम्स से 15 ग्राम फाइबर और 18 ग्राम प्रोटीन की प्राप्ति होती है। जो भूख को शांत कर एपिटाइट को बनाए रखता है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कई रिपोर्ट की स्टडी के बाद इस बात को पाया गया कि वे लोग जो लेग्यूम्स खाते हैं। पास्ता और ब्रेड खाने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा संतुष्ट महसूस करते हैं।

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4. पॉपकॉर्न

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार डाइट में पॉपकॉर्न को शामिल करके शरीर में फाइबर की कमी को पूरा किया जा सकता है। इस लो कैलोरी स्नैक्स से ब्लड शुगर लेवल नियमित बना रहता है। एक रिसर्च के अनुसार पॉपकॉर्न से मिलने वाली 100 कैलोरी आलू के चिप्स से मिलने वाली 150 कैलोरीज़ की तुलना में ज्यादा संतुष्टि प्रदान करती है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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