एंटीबॉडीज भी हो सकती हैं वजन घटाने या बढ़ाने के लिए जिम्मेदार, जानिए क्या है इन दोनों का कनैक्शन
मोटापा (Obesity) सबसे चुनौतीपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इसके कारण डायबिटीज (Diabetes), हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल (High Cholesterol Level), हार्ट प्रॉब्लम (Heart Problems), जॉइंट पेन (Joint Pain) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मोटापा हमारे इम्यून सिस्टम (Immune System) पर भी प्रभाव डाल सकता है। यह एंटी बॉडी (Antibody) बनने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है।
किसी बीमारी का टीका लेने पर शरीर में एंटी बॉडी बनते हैं। ओबेसिटी (Fat Deposition) एंटीबॉडी के प्रोडक्शन और उसके फंक्शन को भी प्रभावित कर सकती है। कुल मिलाकर एंटीबॉडी और फैट के बीच कनेक्शन है (antibodies and fat connection)। इसके बारे में फिटनेस एक्सपर्ट राशिका चौधरी विस्तार से अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बता रही हैं।
आवश्यकता से अधिक कैलोरी गेन की सूचना
राशिका चौधरी के अनुसार, कभी-कभी आप जिद्दी फैट को घटाने की कई कोशिशें करती हैं, पर उन्हें हटाना आपके लिए असम्भव-सा जान पड़ता है। इसका मतलब है कि आपके शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा अधिक हो गई है। आपके शरीर को रिलैक्स मोड में अधिक होना चाहिए।
इससे आपके मस्तिष्क को अधिक सुरक्षा संकेत पाने की जरूरत है। इससे ब्रेन को यह पता चल पाएगा कि आप आवश्यकता से अधिक कैलोरी ले रही हैं। आप कैलोरी प्रतिबंधित आहार नहीं ले रही हैं। यदि आप जिद्दी फैट से जूझ रही हैं, तो यही वह समय है कि आप अपने एंटीबॉडी की जांच करवाएं।
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कैसे मोटापा प्रभावित करता है एंटीबॉडी को (antibodies and fat connection)
एंटीबॉडी के कारण मोटापे को कम करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। एक बार स्थापित होने के बाद इसे रिवर्स करना मुश्किल होता है।‘ दरअसल, प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) का एक महत्वपूर्ण मीडिएटर और कारक है एंटीबॉडी।
दूसरी ओर, मोटापा एक ऐसी स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें विभिन्न जैविक और होमोस्टैटिक प्रक्रियाएं, जैसे रीजेनरेशन, एनर्जी बैलेंस और न्यूरोएंडोक्राइन क्रिया खराब होती है या प्रभावित हो जाती हैं। वेट और फैट न्यूरोएंडोक्राइन के अनुरूप शरीर में अपना नया सेट अप बना लेते हैं।
समझिए मोटापे की स्थिति
असामान्य वसा संचय (Fat Deposition) होने पर मोटापा होता है। यह आमतौर पर अस्वास्थ्यकर जीवन शैली के परिणामस्वरूप होता है। इसमें ऊर्जा की खपत (Energy Loss) से अधिक ऊर्जा का सेवन (Energy Gain) होता है। इसके कारण विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण यह एंटी बॉडी प्रोडक्शन पर भी प्रभाव डालने लगता है।
क्या है एंटीबॉडी
एंटीबॉडी को इम्युनोग्लोबुलिन (Immunoglobulin) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक बड़ा और वाई-आकार (Y Shape Protein) प्रोटीन है, जिसका प्रोडक्शन इम्यून सिस्टम द्वारा किया जाता है। इसकी मदद से रोगजनक बैक्टीरिया और वायरस जैसी बाहरी वस्तुओं की पहचान कर और उन्हें बेअसर किया जाता है।
वास्तव में एंटीबॉडी रोगज़नक़ या पैथोजेन के एक अलग अणु को पहचानता है, जिसे एंटीजेन कहा जाता है। एंटीबॉडी प्रोटीन अलग-अलग तरह की बीमारियों से हमारी रक्षा करते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली से निकले एंटीबॉडी अवांछित पदार्थों को सिस्टम से बाहर करने के लिए उन्हें बांधते हैं।
मेटाबोलिज्म हो जाता है प्रभावित
कई अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि कुछ ख़ास तरह के एंटी बॉडी एक्टिविन टाइप 2 रिसेप्टर को ब्लाक करने से फैट मास में उल्लेखनीय कमी आती है। यह लीन मास में वृद्धि और मेटाबोलिज्म बायोमार्कर की श्रृंखला में सुधार करता है। मेटाबोलिज्म सक्रिय होने पर फैट घटने की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से होने लगती है।
हार्वर्ड हेल्थ के शोध इस बात पर जोर देते हैं कि यदि वजन घटाने के लिए आप लंबे समय से फास्ट कर रही हैं, तो वह भी आपकी एंटी बॉडी पर बुरा प्रभाव डालता है। लंबे समय तक उपवास करने से प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं का पुनर्जनन (Regeneration) हो सकता है। जब हम उपवास करना शुरू करते हैं, तो शुरुआत में शरीर सफेद रक्त कोशिकाओं से लड़ने वाली कई प्रतिरक्षा कोशिकाओं को तोड़ देता है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है।
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