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मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ाने के साथ वजन भी करती है कम, यहां हैं 5 फैट बर्निंग मेटाबोलिक स्ट्रेच

आपकी थाइज, आर्म्स और बैक साइड के कुछ हिस्साें में फैट डिपोजिशन बहुत ज्यादा होता है। जिससे वहां स्टिफनेस बढ़ जाती है और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आपको मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग अपने वर्कआउट रुटीन में शामिल करनी चाहिए।
मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग करने से न केवल आपका मेटाबोलिज्म बढ़ता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 12 Mar 2024, 10:41 am IST
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यदि आप मानते हैं कि स्ट्रेचिंग (stretching) केवल लचीलेपन (flexibility) को बढ़ाने और तनावग्रस्त मांसपेशियों को राहत देने के लिए काम करती है, तो शायद आप मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग से परिचित नहीं हैं। स्ट्रेचिंग का यह रूप आपको दो तरीके से लाभ पहुंचाता है। यह आपके शरीर में लचीलापन तो बढ़ाती ही है, साथ ही आपके आपके वजन को भी कम करने में मदद करती हैं।

मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग करने से न केवल आपका मेटाबोलिज्म बढ़ता है, बल्कि गहन शक्ति वाले व्यायाम सेशन को करने के लिए सहनशक्ति भी बढ़ती है। ये सभी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज मांसपेशियों को सक्रिय करने में मदद करती है। बेहतर संकुचन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और फैट बर्न होता है।

क्या है मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग (Metabolic stretching)

मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग एक प्रकार का व्यायाम है, जो स्ट्रेचिंग मूवमेंट को हाई इंटेंसिटी इंटर्वल ट्रेनिंग (HIIT) या रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के लिए की जाती है। नॉर्मल स्ट्रेचिंग पूरी तरह से लचीलेपन और गति में सुधार के लिए काम करती है। जबकि मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग का उद्देश्य लचीलेपन में सुधार करते हुए चयापचय दर को बढ़ाना, कैलोरी बर्न करना और लीन मांसपेशियों का निर्माण करना है।

इस तरह की एक्सरसाइज में काफी मूवमेंट शामिल होती हैं, जो एक साथ कई मांसपेशी समूहों को टार्गेट करती हैं। जिसमें अक्सर कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शामिल होती है। इसका अभ्यास अगर आप रोज करते हैं, तो वजन कम करने के साथ-साथ आप अपने मेटाबॉलिज्म में भी सुधार कर सकते हैं।

स्ट्रेचिंग से मिलेगी राहत। चित्र: शटरस्टॉक

ये 5 मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग करेगी आपका वजन कम करने में मदद (5 metabolic stretching to lose weight)

1 पैर को घुमाना (Leg Swings)

इस स्ट्रेच को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और संतुलन के लिए किसी मजबूत वस्तु को पकड़ लें। कूल्हे के जोड़ की गति पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक पैर को नियंत्रित गति में आगे और पीछे घुमाएं। कूल्हों और हैमस्ट्रिंग को वार्म अप करने और लचीलेपन में सुधार करने के लिए प्रत्येक पैर पर 10-15 स्विंग करें।

2 आर्म को गोल घूमाना (arms rotate)

अपनी भुजाओं को कंधे की ऊंचाई पर सीधा फैलाएं। अपनी भुजाओं से छोटी गोलाकार गति करें, धीरे-धीरे इन गोलों का आकार बढ़ाएं। 10-15 सेकंड के बाद, भुजाओं को गोलाकार घुमाने की दिशा उलट दें। यह व्यायाम कंधों और पीठ के ऊपरी हिस्से को ढीला करने में मदद करता है, जिससे वे अधिक हार्ड वर्कआउट के लिए तैयार होते हैं।

3 खड़े होकर साइड स्ट्रेच करना (Standing Side Stretch)

अपने पैरों को हिप्स की चौड़ाई में खोलकर खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को ऊपर की ओर फैलाएं। अपनी उंगलियों को आपस में मिलाएं और अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर दबाएं। अपने शरीर के विपरीत दिशा में स्ट्रेच महसूस करते हुए धीरे से एक तरफ झुकें। 15-30 सेकंड तक रुकें, फिर इसके लिए साइड्स को बदल लें।

4 लंजिंग हिप फ्लेक्सर स्ट्रेच (Lunging Hip Flexor Stretch)

लंजेज़ स्थिति में एक पैर आगे की ओर और दूसरा पैर अपने पीछे फैलाकर इस स्ट्रेचिंग की शुरूआत करें। अपने शरीर को सीधा रखते हुए अपने पिछले घुटने को ज़मीन की ओर झुकाएं। पिछले पैर के कूल्हे के सामने वाले हिस्से में स्ट्रेच महसूस करें। 15-30 सेकंड तक इस स्थिति में रुकें, फिर साइड्स को बदल लें। यह स्ट्रेच आपके कूल्हे के फ्लेक्सर्स को खोलने में मदद करता है, जो लंबे समय तक बैठने से टाइट हो सकते हैं।

इस तरह की एक्सरसाइज में काफी मूवमेंट शामिल होती हैं चित्र शटरस्टॉक।

5 हैमस्ट्रिंग में गतिशीलता के साथ स्ट्रेच (Dynamic Hamstring Stretch)

अपने पैरों को कूल्हे के बराबर अलग करके खड़े हो जाएं। अपने दाहिने पैर को आगे बढ़ाएं और पैर को सीधा रखते हुए अपने दाहिने पैर को मोड़ें। कूल्हों से आगे की ओर झुकें, दोनों हाथों से अपने दाहिने पैर की ओर पहुंचें।

अपनी पीठ को सीधा रखें और छाती ऊपर उठाएं। पहले वाली स्थिति पर लौटें और दूसरी तरफ भी इसी तरह से दोहराएं। प्रत्येक पैर पर 10-15 बार इसे रिपीट करें। यह स्ट्रेच हैमस्ट्रिंग की फ्लेक्सिबिलिटी को बेहतर बनाने में मदद करता है।

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ध्यान रहे

ये सभी मेटाबोलिक स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज आपके शरीर को वॉर्मअप करने, उसमें लचीलापन बढ़ाने और उन खास हिस्साें में फैट बर्न करने में मददगार हैं। मगर यह ध्यान रखें कि आपको अपने शरीर पर अचानक ज्यादा बोझ नहीं डालना है। धीरे-धीरे शुरुआत करें और समय के साथ गति बढ़ाते जाएं।

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संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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