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क्या गठिया के दर्द से निजात दिला सकते हैं सप्लीमेंट्स? एक एक्सपर्ट से जानते हैं इसका जवाब

अर्थराइटिस यानी गठिया से जूझ रहे लोगों के लिए सूखी ठंड का मौसम और भी ज्यादा पीड़ादायक होता है। इसके कारण जोड़ों में दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि डेली रुटीन भी प्रभावित होने लगता है। तब क्या सप्लीमेंट्स में है इस समस्या का समाधान? आइए चेक करते हैं।
अधूरा पोषण कार्टिलेज को कमजोर करता है और हड्डियां जल्दी घिसने लगती हैं। चित्र : अडोबीस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 30 Jan 2024, 17:03 pm IST
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गठिया यानी अर्थराइटिस अब बड़े-बुजुर्गों की ही समस्या नहीं रहा। खराब लाइफस्टाइल और सही डाइट न होने की वजह से अब यह समस्या युवाओं में भी दिखाई देने लगी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि हड्डियों के कमजोर होने की इस समस्या का सामना अब लोग अपने 30 और 40 के दशक में भी कर रहे हैं। क्या हैं इसके कारण (arthritis causes) और इनसे कैसे बचा (Joint health supplements) जा सकता है, आइए एक एक्सपर्ट से जानते हैं।

पहले समझिए क्या है अर्थराइटिस की समस्या

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार गठिया जोड़ों, मुख्यत: घुटनों के जोड़ों में होने वाली कार्टिलेज संबंधी समस्या है। इस स्थिति में कार्टिलेज में सूजन हो जाती है, जिससे जोड़ों की मूवमेंट में परेशानी होने लगती है। असल में कार्टिलेज दो हड्डियों के सिरों पर मौजूद एक खास किस्म का कुशननुमा हिस्सा होता है। जिसके कम होते जाने पर हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती हैं। जो अंतत: जोड़ों में दर्द और सूजन का कारण बनता है। अधिकांश लोग यह समस्या सबसे पहले घुटनों में महसूस करते हैं।

पर यह घुटनों के अलावा, किसी भी जोड़, जैसे कूल्हें, टखने, कोहनी या कलाइयों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप इसके लक्षणों और कारणों के बारे में जागरुक रहें।

क्या हैं अर्थराइटिस के लक्षण (symptoms of arthritis)

1 मूवमेंट में परेशानी

किसी भी तरह के गठिया का सबसे आम संकेत है मूवमेंट में परेशानी महसूस होना। जब कार्टिलेज घिसने लगता है, तब आपकी हड्डियां ठीक तरह से मूव नहीं कर पाती। जिससे आपको संबंधित हिस्से जैसे हाथ या पैर का इस्तेमाल करने में दिक्कत आने लगती है।

2 जोड़ों में सूजन आना

गठिया होने पर अकसर जोड़ों में सूजन आने लगती है। यह घुटनों, नितंबों, कलाई और पैरों के जोड़ों में सूजन का कारण बनता है। जिससे आप इस हिस्से से ठीक तरह से काम नहीं कर पाते।

अर्थराइटिस में जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न का सामना करना पड़ता है, जिससे सप्लीमेंट्स निजात दिला सकते हैं। चित्र : एनवेदा

3 त्वचा का रंग बदलना

यह एकमात्र ऐसा लक्षण है जो त्वचा के स्तर पर नजर आता है। जोड़ों में अकड़न और सूजन के साथ ही प्रभावित हिस्से की त्वचा के रंग में बदलाव आने लगता है।

4 झनझनाहट महसूस होना

जोड़ों में सूजन और दर्द के साथ गठिया के रोगी को झनझनाहट का अनुभव भी होने लगता है। इसकी वजह कार्टिलेज के घिसने के बावजूद जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ना है। इसके बाद हड्डियों में टूटफूट का जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

डॉ सुष्मिता एआर बीएमएस, एमडी (AYU)  हैं और वे सुझाव देती हैं कि इन संकेतों को पहचान कर अर्थराइटिस के उपचार की दिशा में प्रयास करना चाहिए। मगर वे इससे पहले उन कारणों की ओर ध्यान दिलाती हैं, जो इसके जोखिम को और बढ़ा देते हैं।

क्यों बढ़ने लगी है अर्थराइटिस और रुमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या (Causes of arthritis and rheumatoid arthritis)

1 बढ़ती उम्र

ज्यादातर मामलों में अर्थराइटिस की वजह उम्र बढ़ने के कारण हड्डियों और जोड़ों का स्वभाविक रूप से कमजोर होते जाना है। इसे एज रिलेटेड अर्थराइटिस भी कहा जा सकता है। जब कार्टिलेज घिसने लगता है और जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने से उसमें सूजन होने लगती है। यह समस्या ज्यादातर 50 वर्ष की उम्र के बाद देखी गई है।

2 मोटापा

बढ़ता वजन कई और समस्याओं के साथ अर्थराइटिस का जोखिम भी बढ़ा देता है। सेंटर ऑफ डिज़ीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अकेले अमेरिका में ही मोटोप से ग्रस्त 39 मिलियन से अधिक लोग गठिया से पीड़ित हैं। अधिक वजन जोड़ों पर अपेक्षा से अधिक भार डालता है, जिससे कार्टिलेज की उम्र आधी से भी कम रह जाती है। सीडीसी का सुझाव है कि ये लोग अगर अपने वजन का दस फीसदी भी कम कर लें तो वे गठिया के जोखिम को कम कर सकते हैं।

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3 खराब लाइफस्टाइल

एक ऐसी जीवनशैली जिसमें आप शारीरिक गतिविधियां न के बराबर कर रहे हैं, वह आपके लिए गठिया का जोखिम बढ़ा देती है। असल में हमारा शरीर एक मशीन की तरह है। इसे ठीक से काम करने के लिए एक व्यवस्थित जीवनशैली की जरूरत होती है। जिसमें शारीरिक गतिविधियां भी शामिल हों। सीडेंट्री लाइफस्टाइल शरीर में अकड़न बढ़ाकर आपको आलसी बनाता है। जिससे आप मोटे होने लगते हैं और यह गठिया के लिए जिम्मेदार सबसे बड़े कारणों में से एक है।

4 पोषक तत्वों की कमी

डॉ सुष्मिता एआर बताती हैं कि एक मील या एक पूरे दिन की मील में हमें वह सभी पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिनकी हमारी हड्डियों को जरूरत होती है। जबकि अतिरिक्त शारीरिक गतिविधि करने वाले लोगों जैसे एथलीट्स या जिम जाने वाले लोगों को भी अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है। जब यह नहीं मिल पाता, तो हड्डियां कमजोर होकर घिसने लगती हैं।

5 अन्य कारक

अन्य कारणों में वे महत्वपूर्ण चीजें शामिल हैं, जिनके लिए संभवत: आप सबसे कम जिम्मेदार हैं। ये हैं लिंग और पारीवारिक इतिहास। शोध बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अर्थराइटिस जोखिम ज्यादा होता है। जबकि कुछ मामलों में पारीवारिक इतिहास भी गठिया के जोखिम को बढ़ा देता है।

क्या सप्लीमेंट्स अर्थराइटिस से बचाव कर सकते हैं? (joint health supplements)

डाॅ सुष्मिता सबसे पहले पोषण की आपूर्ति पर बल देती हैं। वे कहती हैं कि आजकल का खानपान बहुत सारे केमिकल्स और टॉक्सिन्स से भरा होता है। जोड़ों के स्वास्थ्य के बारे में बात करें, ताे इसके लिए जरूरी कंपोनेंट है सायनोवायल फ्लूइड। यह जोड़ों को पोषण प्रदान करता है और कार्टिलेज को स्वस्थ रखता है। जॉइंट सपोर्ट सप्लीमेंट्स में यही मुख्य तत्व होता है। ताकि कार्टिलेज की हेल्थ को दुरुस्त किया जा सके।

जॉइंट सपोर्ट टेबलेट्स में वे सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद हैं, जो कार्टिलेज रीजनरेशन में मददगार हो सकते हैं। चित्र : एनवेदा

एजिंग या लाइफस्टाइल से होने वाले कार्टिलेज डीजनरेशन को रोकने में यह कंपोनेंट मददगार साबित होता है।

एनवेदा की जॉइंट सपोर्ट टेबलेट्स में कार्टिलेज और सायनोवायल फ्लूइड के पुनर्निर्माण के लिए जरूरी प्रोटीन मौजूद होता है। इनमें हाइड्रोलाइज्ड कोलेजन टाइप 2, ग्लूकोसामाइन एचसीएल, कैल्शियम साइट्रेट, कैल्शियम एस्कॉर्बेट और मिथाइलसल्फोनील- (एमएसएम) का मिश्रण होता है, जो जोड़ों की सूजन को कम करने, जोड़ों की ग्रीसिंग को बढ़ाने और कार्टिलेज को प्रोटेक्शन देने का काम करता है।

कोलेजन टाइप 2 कार्टिलेज का प्राथमिक हिस्सा है, जो दो हड्डियों के जोड़ों की रक्षा करता है। अकसर उम्र के साथ, शरीर अपना प्राकृतिक उत्पादन कम कर देता है। इसलिए कोलेजन के साथ ओरल डोज लेने से जोड़ों के स्वास्थ्य में सुधार होता है। कोलेजन टाइप 2 ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर कार्टिलेज को प्रोटेक्शन देता है। जिससे जाॅइंट हेल्थ में सुधार होता है।

पोषण शरीर की प्राथमिक आवश्यकता हैं। इन्हें सही मात्रा में लेना अपरिहार्य है। पर इसके साथ ही उन चीजों से बचना भी जरूरी है जो आपके जोड़ों की सेहत को प्रभावित करती हैं और अर्थराइटिस का जोखिम बढ़ाती हैं। इसलिए सही आहार और सप्लीमेंट्स के साथ-साथ हेल्दी लाइफस्टाइल और एक्टिव रहना भी जरूरी है।

किसी भी तरह के सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना आवश्यक है। आप नि:शुल्क परामर्श के लिए Nveda डॉक्टर से उनकी वेबसाइट पर भी संपर्क कर सकते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह लेख एनवेदा द्वारा प्रायोजित है। इस लेख में दी गई जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है, और इसे डॉक्टर की सलाह नहीं माना जाना चाहिए। व्यक्तिगत जानकारी के लिए कृपया अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श अवश्य करें।)

टीम हेल्‍थ शॉट्स

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