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Frida Kahlo Birthday : जानिए इस मैक्सिकन पेंटर के बारे में, जिसने शारीरिक अक्षमता को नहीं बनने दिया बाधा

फ्रीडा काहलो कमाल की स्त्री थीं। जिंदगी भर जितनी दुर्घटनाओं का सामना उन्होंने किया, वह किसी को भी गहरे अवसाद में धकेल सकती हैं। पर यह मेक्सिकन पेंटर अपने ब्रश और रंगों से खेलती रही। जिंदगी जीने के उनका हौंसला आज भी दुनिया भर के लिए प्रेरणा स्रोत है।
मैक्सिकन पेंटर फ्रीड काहलो का जीवन बहुतों के लिए प्रेरणा है। चित्र : अडोबी स्टॉक
योगिता यादव Updated: 6 Jul 2023, 16:07 pm IST
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गूगल ने आज फ्रीडा काहलो (Frida Kahlo) को उनके जन्मदिन (Frida Kahlo’s Birthday) पर डूडल बनाकर याद किया है। घनी-जुड़ी आईब्रो और बालों में फूलों के गुच्छे लगाने वाली यह मैक्सिकन पेंटर अपने आउटलुक के कारण तो आकर्षित करती ही हैं, उनका जीवन भी कम प्रेरक नहीं है। अकसर शारीरिक दुर्घटनाएं किसी भी व्यक्ति को मानसिक आघात देकर उसका आत्मविश्वास छीन लेती हैं। पर फ्रीडा ने यह साबित कर दिखाया कि कोई भी दुर्घटना एक व्यक्ति की जिजीविषा और हौंसले से बड़ी नहीं हो सकती।

कौन थीं फ्रीडा काहलो

फ्रीडा काहलो मैक्सिकों की जानी-मानी चित्रकार रहीं हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1907 को मैक्सिको सिटी में हुआ था। चटख रंगों वाली अपनी अनूठी पेंटिंग्स के कारण उन्होंने दुनिया भर का ध्यान खींचा। उनके बनाई 143 पेंटिंग्स में से 55 सेल्फ पोर्ट्रेट्स हैं, जिन्हें उन्होंने अपने बेडरूम में खुद को मिरर में देखते हुए बनाया। उन्होंने अपनी उम्र का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपने साथ, अपने रंगों, अपनी पेंटिंग्स और अपने कमरे में गुजारा।

हालांकि उनके चित्र मैक्सिकन सोसायटी, कल्चर, जेंडर, क्लास और जाति के प्रश्नों को भी अभिव्यक्त करते हैं। मैक्सिकों को लेकर अपने प्रेम और विचारों के कारण वे बाद में मैक्सिकन कम्युनिस्ट पार्टी से भी जुड़ीं।

पोलियो और लॉन्ग स्कर्ट

फ्रीडा की लॉन्ग स्कर्ट उनका स्टाइल स्टेटमेंट थी। लड़कियां अब भी उनके इस स्टाइल को फॉलो करती हैं। जबकि वास्तविकता यह थी कि वे 6 वर्ष की उम्र में पोलियो (Polio) की शिकार हो गईं थीं। जिसके कारण उन्होंने 9 महीने तक बिस्तर पर रहना पड़ा। पोलियो के कारण उनकी दाईं टांग और पैर बाई की तुलना में कमजोर, छोटी और पतली हो गई। पर फ्रीडा फिर से खड़ी हुई और चलना शुरू किया।

एक्सीडेंट के बाद फ्रीडा ने अपने आपको पूरी तरह पेंटिंग को समर्पित कर दिया। चित्र : अडोबी स्टॉकवे अपने पिता के सबसे ज्यादा नजदीक थीं, जिन्होंने इस बीमारी के बाद फिर से खड़े होने और शारीरिक रूप से सक्रिय होने में फ्रीडा की मदद की। उस समय जब लड़कियाें के लिए एक्सरसाइज करना अच्छा नहीं माना जाता था, उनके पिता ने उन्हें एक्सरसाइज करवाईं, सॉसर खेलना और स्विमिंग सिखाई। वे मेडिकल स्कूल जाने वाली एक ब्रिलिएंट स्टूडेंट रहीं। अपनी दोनों टांगों के आकार के अंतर को ढांपने के लिए उन्होंने लॉन्ग स्कर्ट को अपना स्टाइल बनाया। उनका यही स्टाइल लड़कियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

एक्सीडेंट से मिले दर्द को बनाया पेंटिंग का सब्जेक्ट (Frida Kahlo Accident)

फ्रीडा जब 19 वर्ष की थीं, उस समय अपने बॉयफ्रेंड के साथ एक यात्रा कर रहीं थीं। इस यात्रा में वे वुडन बस में सवार थीं, जिसके भयंकर हादसे में परखच्चे उड़ गए। इस एक्सीडेंट में स्टील की एक हेंड रेल उनके हिप्स में दाखिल होकर को स्पाइन और पेल्विक एरिया को घायल करते हुए दूसरे हिस्से तक निकल गई। इस ट्रेजिक एक्सीडेंट ने उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसका असर उनकी इमोशनल और साइकोलॉजिकल हेल्थ पर भी पड़ा।

उपचार के लिए तीन हफ्तों तक हॉस्पिटल में रहने के बाद वे वापस घर लौटीं गंभीर शारीरिक, भावनात्मक दर्द के साथ। यह हादसा इतना गंभीर था कि उन्हें तीन महीने तक फुल बॉडी कास्ट पहननी पड़ी। पर यह फ्रीडा थीं, जिन्हें परेशानियां हरा नहीं सकती थीं। दुर्घटना से पहले तक वे डॉक्टर बनना चाहती थीं। पर हादसे से मिले दर्द ने उन्हें पेंटिंग पर फोकस कर दिया।

वे अपने कमरे में अपनी व्हील चेयर पर बैठे हुए ही पेंटिंग्स बनाती रहतीं थीं। कला जगत में उनके सेल्फ पोर्टेट्स (Self Portraits) की काफी चर्चा होती है। जिन्हें उन्होंने अपने आप को शीशे में देखते हुए बनाया था। फ्रीडा काहलो ने एक बार कहा था कि मैं ज्यादातर समय अकेली रहती हूं। अपनी पेंटिंग के लिए मैं ऐसा विषय हूं, जिसे मैं सबसे ज्यादा जानती हूं।

गर्भपात के दर्द को उतारा कैनवास पर (Painting after miscarriage)

19 वर्ष की उम्र में हुई बस दुर्घटना के कारण फीडा के कई भीतरी अंगों को भी नुकसान हुआ था। जिसके कारण उनका यूट्रस गर्भ को संभालने में सक्षम नहीं रह गया था। वे अपने बच्चे को लेकर बहुत भावुक थीं। पर एक के बाद दूसरे गर्भपात ने उन्हें भावनात्मक रूप से गहरा आघात दिया।

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मां बनने की ख्वाहिश और गर्भपात के दर्द को उन्होंने अपनी पेंटिंग हैनरी फोर्ड हॉस्पिटल पेंटिंग में व्यक्त किया। जिसमें वे अस्पताल के बिस्तर पर निर्वस्त्र लेटी हैं और बहुत सारी चीजें उनके आसपास तैर रहीं हैं। ये सभी उनकी नसों से जुड़ी हैं, जिनमें एक नन्हा शिशु भी है। इस तरह की बोल्ड पेंटिंग बनाना उस समय किसी भी मैक्सिकन पेंटर के लिए आसान नहीं था।

और अंत में
फ्रीडा का जीवन भले ही दुर्घटनाओं से भरा रहा। पर उन्होंने अपनी आत्मनिर्भरता, अस्मिता और सपनों से कभी समझौता नहीं किया। एक कलाकार के तौर पर वे अपने पति से अलग अपने निजी स्टूडियो में काम करतीं थीं। मैक्सिकन आर्ट, कल्चर और पहचान के लिए लोग उनके प्रयासों के दीवाने हैं।

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योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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