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World Liver Day : लिवर खराब होने का आज भी सबसे बड़ा कारण है शराब, एक्सपर्ट से जानिए इसके संकेत

सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों का लाइफस्टाइल लगातार बदल रहा है और शरीर के अंदरूनी अंग इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। शराब भी इसी तरह लिवर को बर्बाद कर रही है।
सावन में शराब का सेवन आपको पूरी तरह से बिमार कर सकता है। चित्र : शटरस्टॉक
योगिता यादव Updated: 23 Oct 2023, 09:17 am IST
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समय बहुत तेजी से बदल रहा है। कल तक जिसे ऐब समझा जाता था आज वही पार्टी कल्चर है। पर आपका शरीर और उसके भीतरी अंगों की कार्य प्रणाली नहीं बदली है। उनके काम करने का तरीका अब भी वही है, जो आपके जन्म के समय या आपके पूर्वजों के समय रहा होगा। बदलते समय और खराब होते लाइफस्टाइल ने इन अंगों की कार्य क्षमता को प्रभावित जरूर किया है। जिसके कारण लोग बहुत कम उम्र में बहुत सारी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इनमें लिवर संबंधी बीमारियां भी शामिल हैं। शराब के बढ़ते चलन और अत्यधिक खपत ने आपके लिवर (Alcohol consumption effect on liver) को बर्बाद कर दिया है। आज वर्ल्ड लिवर डे के उपलक्ष्य पर आपको यह एक बार फिर से जान लेना चाहिए कि शराब का अत्यधिक इस्तेमाल अब भी लिवर डिजीज (Early signs liver damage from alcohol) का सबसे बड़ा कारण है।

लिवर स्वास्थ्य और अत्यधिक शराब के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानने के लिए हमने बात की डॉ. शुभम वत्स्य से। डॉ शुभम फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद में सलाहकार – गैस्टोएंट्रोलॉजी हैं।

हर साल 2 लाख से ज्यादा लोग बन रहे हैं काल के ग्रास 

डॉ शुभम बताते हैं, “भारत में लिवर की बीमारियां तेज़ गति से बढ़ रही हैं और 20 से 30 फीसदी वयस्क इससे प्रभावित हैं। इसकी वजह से मरने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। इस बीमारी की वजह से हर वर्ष 2,68,580 लोगों की मौत होती है, जो कुल मौतों में से 3.17 फीसदी है।”

दुनिया भर में लिवर की वजह से 20 लाख से ज़्यादा मौतें होती हैं और भारत की इसमें 18.3 फीसदी हिस्सेदारी है।

लिवर से जुड़ी बीमारियों के प्रमुख कारणों में हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E) , हेप्टोबिलियरी (hepatobiliary) और पैनक्रिएटिक एस्केरिएसिस (pancreatic ascariasis), हाइडेटिड (hydatid) बीमारियां शामिल हैं।

नॉन एल्कहोलिक लिवर डिजीज भी बढ़ रहीं हैं 

लिवर की बीमारियों का एक प्रमुख कारण एल्कोहॉल है, जो लिवर सिरॉसिस के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। लेकिन बीते वर्षों में नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या में जबरदस्त तेज़ी देखने को मिली है। यह कहा गया है कि वर्ष 2035 तक एनएएफएलडी, लिवर सिरॉसिस के सबसे सामान्य कारण के तौर पर एल्कोहॉल को भी पीछे छोड़ देगा।

खराब लाइफस्टाइल आपके लिवर के लिए समस्याएं बढ़ा रहा है। चित्र : शटरस्टॉक

इस संख्या में आई तेज़ी का मुख्य कारण जीवनशैली के निष्क्रिय जीवनशैली में बदलने और खानपान की खराब आदतें हैं। जिनकी वजह से मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्याएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। उपचार न होने पर एनएएफएलडी लिवर फाइब्रॉसिस, लिवर सिरॉसिस और लिवर कैंसर का रूप भी ले सकता है।

पहचानिए क्या हो सकते हैं लिवर की बीमारियों के शुरुआती लक्षण (early signs liver damage from alcohol)

1 खाना देखने का भी मन नहीं करता 

भूख खत्म हो जाने या खाने की इच्छा न होने जैसे लक्षण लिवर की सूजन या हेपेटाइटिस के शुरुआती चरणों में देखने को मिलते हैं। मरीज़ों को खाना खाने की इच्छा बिल्कुल खत्म हो जाती है और खाना देखकर भी उन्हें परेशानी हो जाती है।

2 एनर्जी लो होने लगती है 

लिवर की बीमारियों के शुरुआती चरण में व्यक्ति को किसी भी तरह शारीरिक कार्य करने की क्षमता में कमी महसूस होने लगती है और थकान का अहसास होता है। थकान का अहसास बीमारी के गंभीर होने या लिवर में सूजन के बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है।

3 वजन तेजी से कम होने लगता है 

अचानक से वज़न कम होना, वज़न में ऐसी गिरावट होती है जिस पर आसानी से गौर किया जा सकता है और यह गिरावट तब भी होती है जब व्यक्ति वज़न कम करने की कोशिश भी नहीं कर रहा होता है। अचानक से वज़न कम होना शुरुआती दौर की लिवर की बीमारी का लक्षण हो सकता है और इसकी जांच होनी ज़रूरी होती है।

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एक चौथाई आबादी फैटी लिवर डिजीज से ग्रस्त है। चित्र: शटरस्टॉक

4 उल्टी होना और आंखों का सफेद होते जाना 

चूंकि लिवर की बीमारी शुरुआती दौर में होती है, ऐसे में बिलीरुबिन का स्तर 2-3 एमजी% होना सामान्य बात है और इसे आंखों व मूत्र में देखा जा सकता है। आंखों में ऊपर की ओर सफेद हिस्सों की सामान्य जांच से यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि यह पीलापन शुरुआती स्तर की बीमारी से जुड़ा है या नहीं।

5 पेट के दाईं ओर भारीपन महसूस होना 

पेट के ऊपरी हिस्से के दाईं ओर भारीपन महसूस होना, लिवर के ऊपर कैप्सूल को परेशान करने वाले लिवर के टिशू का लक्षण है। मरीज़ को बिना किसी गंभीर दर्द या परेशानी के पेट के दाएं हिस्से में संवेदनशीलता महसूस होती है।

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योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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