अगर आपका लिवर स्वस्थ होगा, तो आपका मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होगा। मेटाबॉलिज्म ही भोजन के पोषक तत्वों को शरीर में प्रयोग करने के लायक बनाता है। जिससे आप न केवल स्वस्थ रहते हैं, बल्कि वजन में कंट्रोल में रहता है। जबकि लिवर खराब होने अथवा फैटी लिवर की स्थिति में आपका वजन बढ़ने के साथ ही और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानें क्या है फैटी लिवर की समस्या (Fatty liver disease) और इससे बचने (how to overcome fatty liver disease) के लिए आपको क्या करना चाहिए।
आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए शरीर के हर अंग का स्वथ होना जरूरी है। खासतौर से आपके आंतरिक अंग कई ऐसे काम करते हैं, जिनके बारे में आपको ज्यादा समझ नहीं होती। ऐसा ही एक अंग है लिवर। खानपान की खराब आदतें और जीवनशैली के कारण लोगों में फैटी लिवर की समस्या बढ़ती जा रही है।
इसके क्या कारण हैं और हम इनसे कैसे बच सकते हैं, यह जानने के लिए हेल्थ शॉट्स से कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय काला से बात की। डॉ संजय बताते हैं कि लिवर के साथ समस्या यह है कि इसके खराब होने के लक्षण बहुत देर से नजर आते हैं। जब तक आपको फैटी लिवर के बारे में पता चलता है, तब तक यह समस्या 75 फीसदी तक बढ़ चुकी होती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप हर साल लिवर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी जांच करवाएं। समस्या की पुष्टि होते ही यह जरूरी है कि आप अपनी डाइट और जीवनशैली में जरूरी बदलाव करें।
जिनके लिवर में समस्या या बीमारी होती है उनके पैरों में सूजन, पीलिया, पेट में पानी भरना जैसी परेशानियां होने लगती हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह-मशविरा लेना उचित रहेगा। ऐसी स्थिति में 75 प्रतिशत उम्मीद है कि लिवर खराब हो चुका है। क्योंकि लिवर खराब होने पर ही ऐसे लक्षण नजर आते हैं। बीमारी के बढ़ते ही अवसाद, उल्टी में खून, भ्रम पैदा होना, किडनी खराब हो सकती है।
डॉ संजय काला कहते हैं कि जिन लोगों की स्क्रीनिंग में फैटी लिवर की समस्या आई हो, वे अपनी डाइट कंट्रोल करें। फैटी लिवर के दौरान एकसरसाइज के साथ हेल्दी डाइट लें। जिससे वजन में 15 प्रतिशत तक कमी आ सके। वे सुझाव देते हैं कि डाइट में ज्यादा फाइबर, कार्ब्स, पॉलीअनसैचुरेटेड फैट से भरपूर चीजों को शामिल करें। इससे शरीर को जो चाहिए वह भरपूर मात्रा में शरीर को मिलता रहे। इससे वजन भी कम हो जाएगा और कमजोरी भी महसूस नहीं होगी। जो लोग इस बीमारी के मरीज हैं उनके लिए यह डाइट पर्याप्त है। फैटी लिवर में डॉक्टर घर में बना भोजन करने की सलाह देते हैं। घर का बना भोजन शुद्ध और प्रोटीन से भरपूर होता है।
जिन लोगों को लिवर से संबंधित समस्या है और नॉनवेज खाना पसंद करते हैं तो उचित दूरी बना लें। मांसाहार आपकी सेहत को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि हर तरह का मांसाहार इस श्रेणी में नहीं आता। रेड मीट, मटन, सहित अन्य नॉन वेज फूड फैटी लिवर के लिए हानिकारक हैं।
जबकि मछली में पॉलीअनसैचुरेड फैट अधिक मात्रा में होता है, इसके साथ ही चिकन में सैचुरेटेड फैट कम प्रतिशत में होता है। ये दोनों फैटी लिवर की समस्या में खाने के दौरान प्रयोग में ले सकते हैं। इनके सेवन से हेल्थ भी सही रहेगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि जो भी खाने के लिए बनाया जा रहा हो, उसमें मसालों और तेल की मात्रा अधिक न हो। किसी डाइट को खाने से पहले उसके ग्लाइसेमिक इंडेक्स और अपने बीएमआई के बारे में भी पता होना चाहिए। जिससे हमें जानकारी हो सके कि किसी डाइट को कब खाना है, कितनी मात्रा में खाना है और इसे खाने का सही तरीका क्या है।
कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय काला कहते हैं कि लिवर की एक तय समय में स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए। जिससे जो भी समस्या हो रही है उसका समय रहते इलाज किया जा सके। डाइट पर कंट्रोल रखना भी जरूरी है। ऑयली, फास्ट फूड, नॉन वेज आदि खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना सेहत के लिए बेहतर रहेगा।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ संजय काला कहते हैं कि एक दिन में शरीर को वजन के अनुसार एक ग्राम प्रति एक किलोग्राम प्रोटीन की आवश्यकता पड़ती है। सरल भाषा में समझें तो अगर आपका वजन 55 किलो है, तो आपको हर रोज 55 ग्राम ही प्रोटीन की जरूरत होगी। अब आप पर निर्भर है कि वेज फूड से आप प्रोटीन की भरपाई शरीर के लिए कर रहे हैं या नॉन वेज फूड से। जब आप अपने खानपान का ध्यान रखेगें, तो शरीर में फैटी लिवर की समस्या कम होगी। पैरों से सूजन, पेट में पानी से होने वाली परेशानी भी समाप्त हो जाएगी। डॉ काला यह भी कहते हैं समस्या ज्यादा होने पर घर न बैठें रहें, बल्कि तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और इलाज शुरू कराएं।
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