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दर्दनाक हो सकता है इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम, जानिए इस दौरान आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

यह जरूरी नहीं है कि आईबीएस होने पर यदि किसी एक व्यक्ति को कोई एक आहार ठीक लग रहा है, तो दूसरे व्यक्ति को भी वह आहार सूट करे। आम तौर पर कुछ फूड सभी के लिए सही होते हैं। जानें आईबीएस की समस्या वाले लोगों को क्या खाना चाहिए।
जिन लोगों को इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज होता है, उनमें ब्लडस्ट्रीम इन्फेक्शन विकसित होने का जोखिम सबसे अधिक होता होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Published On: 22 Apr 2024, 09:30 am IST
मेडिकली रिव्यूड

इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के कारण लोगों को पाचन तंत्र में कई तरह की समस्या हो सकती है। कुछ लोगों को दस्त के साथ आईबीएस होता है। वहीं कुछ लोगों को कब्ज के साथ आईबीएस होता है। कुछ लोगों को इसका मिला जुला रूप अनुभव होता है। उन्हें आईबीएस के लक्षणों को ट्रिगर करने वाले खाद्य पदार्थों (IBS food) की पहचान करनी चाहिए। उनसे बचाव के उपाय करना चाहिए।

सबसे पहले जानते हैं क्या है आईबीएस (what is IBS)

इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के कारण पेट में दर्द, दस्त, कब्ज और पूप में परिवर्तन भी हो सकता है। इसके कारण को अभी तक अच्छी तरह से समझा नहीं गया है। अक्सर लक्षणों के आधार पर डायग्नूज किया जाता है।

लक्षणों में पेट दर्द, सूजन, दस्त और कब्ज शामिल हैं। बैक्टीरियल इन्फेक्शन और स्ट्रेस भी इसकी वजह बनते हैं। कुछ लोग आहार, जीवनशैली और तनाव का प्रबंधन करके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। दवा और काउन्सलिंग भी इसमें मदद कर सकती है।

कैसा होना चाहिए आईबीएस में आहार (Diet for IBS)

आईबीएस एक जटिल बीमारी है। इसलिए कोई एक आदर्श आहार योजना नहीं हो सकती है। सबसे जरूरी है इनसॉल्युबल फाइबर, अल्कोहल, कैफीन, स्पाइसी भोजन और वसा को कम करना है।

डिहाइड्रेशन से बचने के लिए नियमित व्यायाम करना और खूब सारे तरल पदार्थ पीना जरूरी है। फ़ूड ट्रिगर्स की पहचान करना और उनसे बचना चाहिए। ये फ़ूड एलर्जी का कारण बनते हैं। किसी आहार विशेषज्ञ या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लें।

फोडमैप आहार न लें (FODMAP Diet)

FODMAP यानी फर्मेन्टेड, ऑलिगोसैकेराइड्स, डिसैकराइड्स, मोनोसैकेराइड्स और पॉलीओल्स जैसे कई खाद्य पदार्थ हैं। इसमें स्मॉल चेन कार्बोहाइड्रेट हैं। ये फर्मेन्टेड होते हैं। ये छोटी और बड़ी आंत में फ्लूइड और गैस की मात्रा बढ़ा देते हैं। इन फ़ूड के अत्यधिक सेवन से पेट फूलना, सूजन और पेट में दर्द हो सकता है। इन फ़ूड को भोजन की थाली से निकालना आसान नहीं है, क्योंकि कई सामान्य खाद्य पदार्थों में FODMAPs की मात्रा अधिक होती है।

फर्मेन्टेड फ़ूड छोटी और बड़ी आंत में फ्लूइड और गैस की मात्रा बढ़ा देते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

ये 5 तरह के हो सकते हैं फोडमैप (FODMAP)

1 फ्रुक्टेन : गेहूं, प्याज, लहसुन, बार्ली, पत्तागोभी और ब्रोकोली
फ्रुक्टोज : फल, शहद और हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप में पाया जाता है
गैलेक्टुलिगोसैकेराइड्स : बीन्स
लैक्टोज : दूध और अन्य डेयरी खाद्य पदार्थ
पॉलीओल्स : गुठलीदार फल, स्वीट पोटैटो, सेब और सेलरी

आईबीएस के लिए ग्लूटेन-मुक्त आहार (Gluten Free Diet for IBS)

आईबीएस वाले कई लोग अपने आहार से ग्लूटेन को हटा देने पर लक्षणों में सुधार की बात कहते हैं। भले ही उन्हें सीलिएक डिजीज नहीं हो। ग्लूटेन प्रोटीन है, जो उन खाद्य पदार्थों में पाया जाता है जिनमें गेहूं, राई और जौ जैसे अनाज होते हैं।आईबीएस होने पर नॉन-सीलिएक ग्लूटेन संवेदनशीलता हो सकती है। इसमें ग्लूटेन प्रतिकूल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों को ट्रिगर करता है। यदि कम FODMAP आहार राहत प्रदान नहीं करते हैं, तो लक्षणों में सुधार के लिए ग्लूटेन-फ्री डाइट का प्रयास किया जा सकता है। ग्लूटेन-मुक्त आहार को प्रति दिन 20 भाग प्रति मिलियन (PPM) से कम ग्लूटेन के रूप में परिभाषित किया गया है। कम ग्लूटेन वाले आहार में आमतौर पर 100 पीपीएम (PPM) से कम ग्लूटेन शामिल होता है।

ग्लूटेन प्रतिकूल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों को ट्रिगर करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

अंत में

ग्लूटेन-मुक्त आहार (Gluten free diet) शुरू करने से पहले सीरोलॉजिकल परीक्षण, ट्रांसग्लूटामिनेज आईजीए एंटीबॉडी और कुल आईजीए लेवल के माध्यम से सीलिएक डिजीज का परीक्षण जरूरी है। यदि रोगियों में IgA लेवल कम है, तो स्क्रीनिंग के लिए डीमिडेटेड ग्लियाडिन पेप्टाइड IgG एंटीबॉडी का उपयोग किया जाता है।

यदि लक्षण कम FODMAP या ग्लूटेन-मुक्त आहार से पूरी तरह से ठीक नहीं होते हैं, तो हेल्थ केयर प्रोवाइडर से मदद ली जा सकती है। वे जांच कर बता सकते हैं कि किस विशिष्ट फ़ूड से एलर्जी या फ़ूड इनटोलिरेंस (IBS food) है। इसके लिए किसी एलर्जी विशेषज्ञ से भी सलाह ली जा सकती है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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