बहती नाक और गले की खराश से हैं परेशान, तो एक्सपर्ट से जानें इसके लिए आयुर्वेदिक उपचार
महानगरों का बढ़ता प्रदूषण आपके लिए गले में खराश, जुकाम और बहती नाक का कारण बन सकता है। पर इसके लिए हमेशा डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है। यदि आपको हल्का फुल्का सर्दी-जुकाम, ख़ासी या गले में खराश की समस्या है, तो हेल्थ शॉट्स पर आपके लिए मौजूद है एक खास आयुर्वेदिक उपचार। जाे न केवल आपको इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाएगा, बल्कि इसका कोई साइड इफैक्ट भी नहीं है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर दीक्सा भावसार सावलिया कहती हैं, संक्रामक बीमारियों और सर्दी-जुकाम के लिए वर्षों से आयुर्वेद का इस्तेमाल किया जाता रहा है। जो काफी फायदेमंद हैं। आज कुछ ऐसे ही आयुर्वेदिक उपचारों पर बात करेंगे, जो बढ़ते प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं से आपको बचाएंगे।
ये 4 सामग्रियां हैं आयुर्वेद में बहुत खास
1. हल्दी (Turmeric)- हल्दी करक्यूमिन एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट की तरह भी काम कर सकती है। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
2. सोंठ (Ginger Powder)- सोंठ अदरक का पाउडर होता है, जो लगभग हर रसोई में इस्तेमाल किया जाता है। इसका प्रयोग सब्जी, चाय और अन्य पेय पदार्थों में किया जाता है। अदरक मलेरिया और बुखार जैसी परेशानियों के साथ सर्दी-जुकाम से राहत दिलाने का कार्य करता है।
3. काली मिर्च (Black Pepper)- काली मिर्च का इस्तेमाल सर्दी-खांसी के लिए एक मेडिसीन के रूप में किया जाता है। इसमें पाइपरिन नामक कंपाउंड शामिल होता है, जो सर्दी-खांसी और गले में खराश की परेशानी से राहत दिलाता है।
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4. शहद (Honey)- शहद का प्रयोग खांसी के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, यह बलगम की परेशानी में राहत दिलाने में भी कारगर हो सकता है।
अब जानिए इन सामग्रियों से कैसे तैयार करना है आयुर्वेदिक काढ़ा, जो आपको सर्दी, खांसी और गले में खराश को जल्दी और प्रभावी ढंग से दूर करने में सहायता कर सकता है।
आयुर्वेदिक चूर्ण बनाने के लिए आपको चाहिए
हल्दी- आधा छोटा चम्मच
सूखा अदरक पाउडर (सोंठ) – आधा छोटा चम्मच
काली मिर्च पाउडर- चुटकीभर
शुद्ध शहद- 1 छोटा चम्मच
इन सभी सामग्रियों को अच्छे से मिक्स करें और भोजन से 1 घंटे पहले और दिन में 2 से 3 बार लें।
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कस्टमाइज़ करेंबहती नाक और गले में खराश के लिए इस तरह तैयार करें आयुर्वेदिक काढ़ा
तुलसी के पत्ते – थोड़े से ( तकरीबन 10-12)
️अदरक- एक इंच का टुकड़ा
लहसुन- 3 से 4 कलियां
अजवायन- 1 छोटी चम्मच
मेथी के बीज- 1 छोटी चम्मच
हल्दी (ड्राई या ताजी)- 1 छोटा चम्मच
काली मिर्च- 4-5
पानी- 1 लीटर
इन सभी सामग्रियों को पानी में मिलाएं और पानी के आधा होने तक उबालें। सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
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इसके अलावा
1 दिन में दो बार भस्त्रिका, अनुलोम विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करें।
2. पीने के लिए और नहाने के लिए गर्म पानी का प्रयोग करें।
3. पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के लिए गुनगुने पानी का सेवन करें।
4. शहद का इस्तेमाल करें यह आपके गले की खराश को शांत करने में मदद करता है।
5. हल्दी, नींबू और अदरक से बनी चाय का सेवन करें।
6. एक बर्तन में उबला हुआ पानी लें। अब इसमें 1 चम्मच अजवाइन, 4 से 5 बूंद नीलगिरी का तेल या आधी चम्मच हल्दी मिलाकर इससे भाप लें।
7. 1 गिलास गर्म दूध में एक चौथाई हल्दी मिक्स करके इसका सेवन करना भी फायदेमंद है।
8. मुलेठी चबाएं।
9. वसायुक्त भोजन, तला हुआ, बासी और स्ट्रीट फूड का सेवन करने से बचना चाहिए। कोशिश करें और हल्का घर का बना खाना खाएं।
इन चीजों से बचकर रहें
1. कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें।
2. दही खासकर फलों के साथ मिलाकर खाने से बचें।
3. तला या भारी भोजन, बहुत ज्यादा मीठा और आइसक्रीम आदि खाने से बचें।
4. दिन में सोने से बचें।
5. देर तक जागते रहना अवॉयड करें।
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