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वर्ल्ड आईवीएफ डे के अवसर पर जानिए कैसे पूरी की जाती है आईवीएफ की प्रक्रिया

आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है, जिसके जरिए कपल्स का माता-पिता बनने का सपना पूरा हो सकता है। हांलाकि इस प्रोसेस को लेकर आज भी बड़ी संख्या में लोगों के मन में कई तरह की चिंताएं हैं।
आईवीएफ के दौरान आपको अपनी डाइट का भी बहुत ख्याल रखना है।चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 24 Jul 2023, 18:00 pm IST
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बदल रहे लाइफ स्टाइल के चलते शरीर में कई प्रकार की समस्याएं उभरने लगती है। इसी में से एक है इनफर्टिलिटी, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित कर रही है। बार-बार प्रयास के बावजूद प्रेगनेंसी न हो पाने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानि आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है, जिसके जरिए कपल्स का माता-पिता बनने का सपना पूरा हो सकता है। हांलाकि इस प्रोसेस को लेकर आज भी बड़ी संख्या में लोगों के मन में कई तरह की चिंताएं हैं। बहुत सारे लोगों को यह समझ ही नहीं आता कि इसे कैसे किया जाता है। अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं, तो वर्ल्ड आईवीएफ डे (In vitro fertilization day) के उपलक्ष्य में जाने इसे प्रक्रिया का स्टेप बाय स्टेप चरण।

वर्ल्ड आईवीएफ डे 2023 (World IVF Day 2023)

वर्ल्ड आईवीएफ डे हर साल 25 जुलाई को विश्वभर में मनाया जाता है। दरअसल, पिछले कुछ सालों की बात करें, तो करियर को अहमियत देने के चलते मां बनने की सही उम्र कब निकल जाती है पता ही नहीं चल पाता। इसके चलते जिंदगी आगे चलकर चुनौतियों से भरपूर होने लगती है। महिलाओं और पुरूषों में घटने वाली प्रजन्न क्षमता को देखते हुए इन दिनों लोग खुलकर आईवीएफ प्रक्रिया को अपना रहे हैं। 

हेल्थ शॉटस की टीम से बात करते हुए सीनियर गायनिगोलॉजिस्ट और प्रिस्टिन केयर की को फाउंडर डॉ गरिमा साहनी ने आईवीएफ से जुड़े कई तथ्यों की जानकारी दी। वे बताती हैं कि आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro fertilisation) एक रेवोल्यूशनरी रिप्रोडक्टिव तकनीक है। जो इनफर्टिलिटी का सामना कर रहे जोड़ों के जीवन में आशा की किरण लेकर आती है।

इससे नई संभावनाएं पैदा होने लगती हैं। इस मेडिकल प्रोसीज़र के तहत महिलाओं के शरीर से बाहर ही एग और स्पर्म को फर्टिलाइज़ किया जाता है। उसके बाद फिर भ्रूण को यूटरस में स्थानांतरित किया जाता है। दुनियाभर में इस तकनीक की मांग दिनों दिन बढ़ रही है।

स्टेप बाय स्टेप तरीके से जानें क्या है आईवीएफ प्रक्रिया और यह कैसे पूरी की जाती है

1. ओवेरियन स्टिम्यूलेशन

सबसे पहले मल्टीपल एग्स को प्रोडयूस करने के लिए फर्टिलिटी मेडिकेशन्स आंरभ किए जाते हैं। इसके लिए ओवरीज़ को स्टिम्यूलेट किया जाता है। नियमित अल्ट्रासाउंड और हार्मोंन टैस्ट के ज़रिए एग्स की डेवलपमेंट पर नज़र रखी जाती है। एग की ग्रोथ को देखने के लिए इन परीक्षणों को समय समय पर किया जाता है।

अधिक उम्र में गर्भावस्था प्रतिकूल जन्म परिणामों से जुड़ी होती है। देर से प्रसव के कारण पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं के साथ-साथ बच्चों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

2. एग रिट्रीवल

एग के मेच्योर हो जाने के बाद एक माइनर सर्जिकल प्रोसेस किया जाता है, जिसे एग रिट्रीवल कहा जाता है। इसके लिए एक बारीक नीडल का प्रयोग करके एग्स को ओवरीज़ से रिमूव किया जाता है। अल्ट्रासाउंड गाइडेस के तहत होने वाले इस प्रोसेस को डॉक्टरो की एक टीम की देखरेख में परफॉर्म किया जाता है।

3. स्पर्म कलेक्शन

एग को रिटरीव करने के बाद सीमन का सैम्पल कलेक्ट किया जाता है। इसे मेल पार्टनर या फिर किसी अन्य स्पर्म डोनर से भी एकत्रित करते हैं। स्पर्म कलेक्शन के बाद आगे की प्रक्रिया को आसानी से पूरा किया जाता है। वे पुरूष जिनके स्पर्म काउंट कम होते हैं, तो ऐसे में स्पर्म डोनर के विकल्प को चुना जाता है।

पार्टनर के स्पर्म काउंट लो होने पर भी प्रेगनेंसी के चांसेस कम हो जाते हैं. चित्र: शटरस्टॉक

4. फर्टिलाइजे़शन

लेबोरेटरी में फर्टिलाइजे़शन के प्रोसेस को पूरा किया जाता है। इसके लिए एग और स्पर्म को कंबाइन कर दिया जाता है। हांलाकि कुछ मामलों में इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन यानि आईसीएसआई का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से सिंगन स्पर्म को एग में इंजेक्ट कर दिया जाता है।

5. एम्ब्रेयो कल्चरिंग

अब फर्टिलाज्ड एग्स एम्ब्रेयो यानि भ्रूण का रूप ले लेते हैं। इस चरण में भ्रूण को कुछ दिनों के लिए बेहद नियंत्रित एन्वायरमेंट में रख दिया जाता है। इससे एम्ब्रेयो को मज़बूती मिलती है और चाइंल्ड बर्थ के चांस बढ़ जाते हैं।

6. एम्ब्रेयो ट्रांसफर

एम्ब्रेयो ट्रांसफर में एक या उससे ज्यादा हेल्दी एम्ब्रेयो को चुना जाता है। इसे एक थिन कैथेटर के माध्यम से महिला के यूटरस में ट्रांसफर किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पेन लैस रहती है औी इसके लिए किसी प्रकार के एनएसथीसिया की अवश्यकता भी नहीं होती है।

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7. प्रेगनेंसी टेस्ट

एम्ब्रेयो ट्रांसफर के तकरीबन दो सप्ताह बाद प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है। इसके ज़रिए इस बारे में जानकारी हासिल की जाती है कि आईवीएफ साइकिल सक्सेसफुल हुई है या नहीं।

किन फर्टिलिटी चैलेजिंज के चलते आईवीएफ की आवश्यकता होती है

1. फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज

आईवीएफ एक प्रकार के वायएबल विकल्प है। वे महिलाएं जिनकी दोनों फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब हो जाती है और नेचुरल फर्टिलाइजेशन में दिक्कत आती है। वे लोग इस ऑप्शन को चुनते हैं।

फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब हो जाती है और नेचुरल फर्टिलाइजेशन में दिक्कत आती है।

2. कम स्पर्म काउंट

वे पुरूष जिनमें स्पर्म काउंट कम होता है या स्पर्म की क्वालिटी उचित नहीं होती है। ऐसे में आईसीएसआई के साथ आईवीएफ इस समस्या को दूर कर सकता है।

3. एंडोमेट्रियोसिस

वे महिलाएं जिनमें एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होती है। उनके लिए ये एक बेहतरीन विकल्प है। दरअसल, ऐसी महिलाओं में यूटरस से बाहर यूटरिन लाइनिंग ग्रो करने लगती है। ऐसे में आईवीएफ की मदद लेने से कॉसेप्शन के चांसिस बढ़ जाते है।

4. अस्पष्ट इनफर्टिलिटी

ऐसे केसिस में इनफर्टिलिटी का कारण आसानी से पता नहीं लगाया जा पाता है। ऐसे में बार बार कोशिश के बाद प्रेगनेंसी नहीं हो पाती है। ऐसे में आईवीएफ एक सफल ऑपशन के तौर पर देखा जाता है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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