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खराब पोश्चर भी हो सकता है कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण, जानिए कैसे

खराब पोश्चर सीधा हमारे पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। इससे बोवेल मूवमेंट सही तरीके से नहीं हो पाता है। एक्सपर्ट से जानें बोवेल मूवमेंट के समय कैसा होना चाहिए पोश्चर?
खराब पोश्चर कब्ज का कारण बन सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 3 Dec 2023, 14:00 pm IST
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हम अक्सर गलत ढंग से बैठते हैं। इसके कारण खराब पोश्चर या खराब मुद्रा की समस्या हो जाती है। यह पूरे दिन डेस्क पर बैठे रहने या स्मार्टफोन पर नजर गड़ाए रहने का नतीजा हो सकता है। हम सोफे पर भी आराम से बैठते हैं, इसके कारण पोश्चर की समस्या हो सकती है। खराब मुद्रा हर उम्र के लोगों को परेशान कर रही है। यह एक आम और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या हो गई है। इससे गर्दन में दर्द, पीठ की समस्याएं और अन्य कई गंभीर स्थितियां हो सकती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इन सभी के अलावा पोश्चर बोवेल मूवमेंट को भी प्रभावित (posture affect bowel movement) कर देता है।

बढ़िया पोश्चर पाचन में लाता है सुधार (effect of good posture on digestive system)

फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. शुभेन्द्रु शेखर बताते हैं, ‘सही पोश्चर से शरीर के सभी अंग बेहतर तरीके से एलाइन हो पाते हैं। सही पोश्चर से आंतों के माध्यम से भोजन की सुचारू रूप से आवाजाही हो पाती है। यह एसिड रिफ्लक्स, सूजन और कब्ज जैसी समस्याओं के जोखिम को कम करता है। यदि कई घंटे तक लगातार एक ही पोश्चर में बैठे रहना पड़ता है, तो इससे लाइफस्टाइल गतिहीन हो जाती है। इससे ब्लोटिंग, गैस, कब्ज और इरिटेबल माइक्रोबायोम की समस्या हो जाती है। इसलिए भोजन के बाद लंबे समय तक बैठे नहीं रहना चाहिए। चलने-फिरने से भोजन आंत में अच्छी तरह मूव कर पाता है। बोवेल मूवमेंट सही हो पाता है।’

कैसे गलत पोश्चर कब्ज को बढ़ा देता है (poor posture increases constipation)

यदि टॉयलेट में गलत मुद्रा के साथ बैठा जाता है, तो इससे समस्या हो सकती है। घुटनों को हिप्स से नीचे झुकाकर बैठना कब्ज को बढ़ा सकता है। दरअसल यह मुद्रा गुदा या एनस को कुछ हद तक बंद कर देती है। इससे पेट की मांसपेशियों के लिए मल को बाहर निकालने में मदद करना कठिन हो जाता है।

पाचन हो सकता है धीमा (poor posture causes slow digestion)

डॉ. शुभेन्द्रु शेखर बताते हैं, ‘भोजन के बाद झुककर बैठने से एसिड रिफ्लक्स हो सकता है। इसमें पेट का एसिड वापस ग्रासनली (esophagus) में चला जाता है। इसके कारण सीने में जलन हो सकती है। झुकने से पेट पर दबाव पड़ता है, जो पेट के एसिड को गलत दिशा में ले जा सकता है। इसके कारण पाचन धीमा हो जाता है।’

भोजन के बाद झुककर बैठने से एसिड रिफ्लक्स हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

क्या करना चाहिए (exercise and stretching for poor posture)

यदि आपको लगता है कि आपका पोश्चर ख़राब है, तो उसे सुधारने की कोशिश करें। इस काम में फिटनेस कोच की मदद लें। कोच मुख्य मांसपेशियों की ताकत और लचीलेपन को बेहतर बनाने के लिए एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग पर मुख्य रूप से काम करते हैं। पेट, पेल्विक फ्लोर और पीठ में मुख्य मांसपेशियां होती हैं। यह रीढ़ की हड्डी को सहारा देती है। एक्सरसाइज का मुख्य कार्य रीढ़ की स्थिति को सीधा करना है। बैकबोन बहुत आगे या पीछे की ओर मुड़ी हुई नहीं होनी चाहिए।

बोवेल मूवमेंट के समय कैसा हो पोश्चर (right posture for bowel movement)

डॉ. शुभेन्द्रु शेखर के अनुसार, जब मल त्यागने का समय हो, तो रीढ़ या स्पाइन अपराइट (Upright) स्थिति में हो। पीठ सीधी रखें और हिप्स पर आगे की ओर झुकें। घुटनों को कूल्हों से ऊंचा रखें। यदि पैरों को फुटस्टूल पर रख लिया जाए, तो सबसे अच्छा है। इस तरह बैठें कि स्कवेट की स्थिति की तरह दिखता हो। यह गुदा को खोलने में मदद करता है। इससे बिना तनाव के मल त्याग (Bowel Movement) हो सकता है।

 ये पोश्चर एक्सरसाइज मदद कर सकते हैं (posture exercise for bowel movement)

स्टेबिलिटी बॉल या कुर्सी पर अपने पैरों को हिप्स जितनी दूरी पर रखें। हाथों को बगल में रखकर बैठें।
सांस छोड़ते हुए दाहिने घुटने और बायीं हाथ को सीधे छत की ओर उठा लें। फिर शुरुआत वाली स्थिति में आ जायें।
10 बार दोहराएं।
बाएं घुटने और दाहिने हाथ से उठाकर इस प्रक्रिया को दोहराएं।

खराब पोश्चर कब्ज बढ़ाता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

याद रखें

कुर्सी पर सीधे बैठने की कोशिश करें। पीठ के निचले हिस्से को सहारा देने वाले तकिए का उपयोग करें। हर 30 से 60 मिनट में अपनी स्थिति बदलें। कभी भी एक मुद्रा में घंटों तक नहीं बैठना चाहिए। बीच-बीच में उठकर चहलकदमी कर लेनी चाहिए। इससे पाचन तंत्र बढ़िया रहता है और सही तरीके से बोवेल मूवमेंट हो पाता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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