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एक आयुर्वेद विशेषज्ञ बता रहीं हैं प्रजनन क्षमता बढ़ाकर बेबी प्लान करने के 6 आयुर्वेदिक उपाय

यदि लगातार 1 वर्ष तक यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भधारण नहीं हो पा रहा है, तो यह इनफर्टिलिटी कहलाती है। आयुर्वेद फर्टिलिटी बढ़ाने और कपल को गर्भधारण करने में मदद कर सकता है। यहां आयुर्वेदिक एक्सपर्ट बता रहे हैं फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए किये जाने वाले उपाय।
ओव्यूलेशन डिसऑर्डर के लिए उपयोग किये जाने वाले हर्ब शतावरी, एलोवेरा, अशोक आदि हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 21 Feb 2024, 17:11 pm IST
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इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत अधिक देखने को मिल रही है। एलोपैथिक ट्रीटमेंट पेनफुल और महंगा साबित होता है। गर्भधारण की संभावना की गारंटी नहीं होने के कारण इसे अपनाने में परेशानी होती है। आयुर्वेद इसका इलाज कर सकता है, क्योंकि यह प्रजनन प्रणाली पर काम करता है। आयुर्वेदिक उपचार (ayurveda for fertility)के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इस चिकित्सा का किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है।

क्यों होती है इनफर्टिलिटी (cause of infertility)

आयुर्वेद के अनुसार, शुक्र धातु (shukra dhatu) का निर्माण स्त्री और पुरुष के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होता है। शुक्र धातु को अनुचित पोषण मिलने के कारण शुक्र की अल्प मात्रा में निर्माण या गुणवत्ता की कमी होती है, जो प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करता है।

शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर जोर (ayurveda for physical, mental and emotional health)

आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज स्वस्थ जीवनशैली, स्वस्थ और संतुलित आहार, विषहरण चिकित्सा, आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं और योग पर निर्भर करता है। यदि कोई महिला गर्भवती होना चाहती है, तो इसकी योजना बनाने से पहले खुद को तैयार करना शुरू कर देना चाहिए। होने वाले पेरेंट्स का अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखना जरूरी है। आयुर्वेद शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी जोर देता है।

यहां हैं गर्भधारण में मदद करने वाले 6 उपाय (Ayurvedic way to increase fertility)

1 पंचकर्म उपचार (Panchakarma treatment)

पंचकर्म उपचार सबसे पहले पाचन शक्ति को सुधारने की बात कहता है। बिना पचे भोजन से विषाक्त पदार्थों का निर्माण होता है। इस लिए सबसे पहले शरीर से टॉक्सिन्स खत्म करने का उपचार किया जाता है। आयुर्वेदिक पंचकर्म उपचार विषाक्त पदार्थों को हटाने और पाचन को सही करने में मदद करता है। इससे ओजस का पोषण होता है। वात दोष को भी संतुलित किया जाता है। वात दोष को इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। आहार और जीवनशैली में परिवर्तन के साथ हर्ब वात को संतुलित करने में मदद करते हैं।

2 शोधन चिकित्सा (Shodhan chikitsa)

पंचकर्म उपचार के ही अंतर्गत आता है शोधन चिकित्सा। शोधन चिकित्सा में वमन या उल्टी, विरेचन या शुद्धिकरण, बस्ती कर्म या औषधीय एनीमा और उत्तर बस्ती जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। इन्हें मरीज की स्थिति के अनुसार काम में लाया जाता है। थेरेपी के पूरा होने के बाद सख्त आहार की जरूरत पड़ती है। शोधन चिकित्सा ओवेरियन साइकिल में सुधार करती है, फैलोपियन ट्यूब और यूट्रस की समस्या को ठीक करती है। ये सभी में दोष बांझपन का कारण बनते हैं।

3 हर्ब्स कर सकते हैं उपचार (Ayurvedic herbs for fertility)

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों या हर्ब का उपयोग इसके कारण को खत्म करने के लिए किया जाता है। उपयोग की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण हर्ब अश्वगंधा, शतावरी, आमलकी, दशमूल, अशोक, गुडुची, पुनर्नवा आदि हैं। अलग-अलग हर्ब का उपयोग अधिक प्रभावी नहीं होता है। कई हर्ब को मिलाकर देना फायदेमंद होता है।

ओव्यूलेशन डिसऑर्डर के लिए उपयोग किये जाने वाले हर्ब शतावरी, एलोवेरा, अशोक आदि हैं। चित्र : शटर स्टॉक

ओव्यूलेशन डिसऑर्डर के लिए उपयोग किये जाने वाले हर्ब शतावरी, एलोवेरा, अशोक आदि हैं। हर्ब का सही मिश्रण मेंस्ट्रुएशन साइकिल को नियंत्रित करता है। यह ओवरआल हेल्थ में सुधार करता है। स्पर्म की गुणवत्ता-मात्रा-मूवमेंट और आकार में सुधार करता है। यह तनाव कम करता है, अनिद्रा और दोषों को संतुलित कर प्रेग्नेंट होने में मदद करता है।

4 समय का ध्यान (right time for fertility)

प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ के अनुसार जिस तरह बीज के पेड़ में बदलने के लिए समय का ख्याल रखा जाता है। उसी तरह इंसान को भी ओवुलेशन के लिए समय का ख्याल रखना चाहिए। स्वस्थ बच्चे के लिए उचित ओव्यूलेशन और पीरियड, स्वस्थ गर्भाशय, अम्बु यानी पोषण और बीजम यानी स्पर्म और एग की गुणवत्तापर भी ध्यान देना चाहिए। इन सभी कारकों और समय की पहचान खुद करनी होगी।

5 आहार में शामिल करें खाद्य पदार्थ (diet for fertility)

आयुर्वेद में आहार इनफर्टिलिटी के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह स्वस्थ प्रजनन ऊतक के विकास में मदद करता है। ओजस को कम करने वाले किसी भी भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि ओजस शुक्र धातु का सब प्रोडक्ट है। यह ओव्यूलेशन के लिए जिम्मेदार है, इसलिए फर्टिलाइजेशन को बढ़ाता है। सभी शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के लिए दोषों को संतुलित करना महत्वपूर्ण है।

आहार में ताजे ऑर्गेनिक फल और सब्जियां, साबुत अनाज, खजूर, अखरोट, अंजीर और बादाम का सेवन गर्भधारण में फायदेमंद होता है।

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दूध, घी, तिल, छाछ, कद्दू के बीज स्वास्थ्य में सुधार करते हैं और शुक्र धातु के निर्माण में मदद करते हैं।

प्याज, लहसुन, आंवला, तुलसी बेहद फायदेमंद हैं। गुड़ आयरन और मिनरल से भरपूर होने के कारण भी फायदेमंद है।

इन खाद्य पदार्थों से किया जाना चाहिए परहेज

प्रोसेस्ड, संरक्षित, डिब्बाबंद और पैकेज्ड उत्पादों से बचना चाहिए। कैन वाले पेय पदार्थों और अधिक कैफीन को न कहें।

तले हुए खाद्य पदार्थ, जमे हुए खाद्य पदार्थ, आलू के चिप्स और सफेद ब्रेड और पास्ता से बचना चाहिए।

प्रोसेस्ड, संरक्षित, डिब्बाबंद और पैकेज्ड उत्पादों से बचना चाहिए। चित्र : शटरस्टॉक

6. योग या वर्कआउट का पालन (Yoga and workout to increase fertility)

दिनचर्या में योग या वर्कआउट का पालन करें। किसी भी आसन को अपनाने से पहले हमेशा डॉक्टर और प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक से सलाह लेनी चाहिए। प्रतिदिन ध्यान करने से तनाव के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
योग के आसन जैसे बैठ कर शरीर को मोड़ने वाले आसन, आगे की ओर झुकने वाले आसन, टिड्डी आसन, कंधे पर खड़े होना आदि आसन गर्भधारण करने में मदद कर सकते हैं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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