अगर आपको भी सर्दी के मौसम में ज्यादा आती है नींद, तो जानिए क्या है इसका कारण
अक्सर ठंड के दिनों में आप किसी के साथ सुबह जल्दी उठ कर कहीं जाने का प्लान बनाते हैं या खुद से अगले दिन जल्दी उठने का वादा करते हैं। वहीं, अगले दिन जब उठने की कोशिश करते हैं, तो आपका दिल ब्लैंकेट को अलविदा कहने को तैयार ही नहीं होता क्योंकि सर्दी के दिनों में होने वाली इस समस्या के कई कारण होते है।
गर्मी के बाद ठंड का मौसम आने से हमें कई तरह के बदलाव देखने को मिलते है। यह बदलाव प्रकृति से लेकर हमारी आम ज़िंदगी सभी को प्रभावित करते है। इन्हीं बदलावों में हमारी नींद का एक 'कनेक्शन' भी है। अक्सर आपने गौर किया होगा कि, गर्मी के मौसम में हमें ज्यादा नींद नहीं आती और साथ ही नींद से उठने के बाद हम बहुत जल्दी एक्टिव हो जाते है। वहीं, इससे उलट सर्दी के मौसम में हमें नींद भी बहुत आती है और यदि हम पूरी नींद ले कर उठते भी है तो भी लंबे समय तक सुस्ती ही छाई रहती है।
बदले हुए मौसम में तमाम तरह की बीमारियों के साथ नींद भी हमें काफी परेशान करती है। अक्सर जब भी हम सो कर उठते हैं तो, उसके बाद भी हमें बहुत अधिक आलस्य आता रहता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि यह स्थिति ठंड के मौसम में ही अधिक क्यों होती हैं और इसके पीछे क्या कारण है। दरअसल, नींद और ठंड के मौसम के कई कनेक्शन है। जिसमें शरीर में होने वाले तमाम बदलाव सहित खानपान और लाइफस्टाइल की खामियां भी शामिल है।
नींद के पैटर्न और मौसम को लेकर हुए यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के एक शोध के अनुसार, हमारे शरीर में ' सर्कैडियन रिदम' होती है, जो हमें कब सोना चाहिए इस बात का संकेत देती है। वहीं, इस शोध में पता चला कि ठंड के समय, जब हमें सनलाइट बहुत न्यूनतम मिलती है, तो स्वतः ही हमारे शरीर में 'सर्कैडियन रिदम' जाग्रत हो जाती है, जिससे हमारे दिमाग को सोने का संकेत पहुंचता है और हमें अधिक नींद आती है। ऐसे में अगर हम जल्दी उठ भी जातें है, तो हमें आलस्य आता रहता है।
स्लीप जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, शरीर में कई तरह के पोषण तत्वों की कमी के कारण नींद में इज़ाफ़ा होता है। वहीं, ठंड के मौसम में अक्सर हम ऐसी चीज़े खाते हैै, जिनमें पोषण नहीं होता । वहीं, कई बार हम बहुत अधिक भोजन कर लेते है, जिसके कारण हमारा शरीर भोजन को प्रोसेस करने के लिए ब्लड फ्लो डाइजेस्टिव सिस्टम की तरफ निर्देशित कर देता है, जिसके कारण हमें सुस्ती और स्वाभाविक रूप नींद आने जैसी स्थिति दिखाई पड़ती है।
ठंड के मौसम में अत्यधिक नींद लाने के कारकों में 'हॉर्मोनल बदलाव' भी शामिल है। दरअसल, मेलाटोनिन मानव मस्तिष्क में पीनियल ग्लैंड द्वारा निर्मित एक हार्मोन है, और यह हमारे सोने-जागने के चक्र को रेगुलराइज करने में मदद करता है। इसे अक्सर 'स्लीप हॉर्मोन' के रूप में भी जाना जाता है। सर्दियों के दिनों में उजाले में कमी से मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ सकता है, जिसके कारण इससे आपको सर्दियों में सोने की अधिक इच्छा हो सकती है।
अक्सर साधारण स्लीप शेड्यूल के बिगड़ने के कारण भी हमारी नींद में बढ़त आती है। न्यूरोसाइंस एंड बिहेविएर जर्नल के अनुसार, अलग-अलग लोगों के लिए उनके शारीरिक आवश्यकताओं के हिसाब से अलग-अलग समय की नींद जरूरी होती है। कुछ लोगों के लिए 6 से 7 होते है, तो वही कुछ के लिए 8 से 9 घंटे। लेकिन सर्दी के दिनों हमारी यह स्लीप शेड्यूल बिगड़ जाती हैं। जिसके कारण हमें पूरे दिन अधिक नींद के साथ सुस्ती बनी रहती है।
नेशनल इन्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की एक रिपोर्ट बताती हैं कि सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD), एक सामान्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति होती है। जो अक्सर साल के इस समय में लोगों को प्रभावित करती है। रिपोर्ट के अनुसार इसे आम भाषा में 'विंटर ब्लूज़' के रूप में जाना जाता है, और इसके कारण मेलाटोनिन और सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन पर असर पड़ता है। जिसके कारण आपका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है और आपको नींद में बढ़ोतरी हो सकती है।
सर्दी के मौसम में यदि आपको भी अत्यधिक नींद आती है तो व्यायाम से अच्छा कोई अन्य उपाय नहीं हैं। व्यायाम आपके सोने और जागने के चक्र को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को प्रभावित करके सर्दियों में नींद को कम करता है। दरअसल, व्यायाम प्राकृतिक मूड लिफ्टर कहे जानें वाले एंडोर्फिन को शरीर में रिलीज करता है, जिसके कारण शरीर सुस्ती जैसी समस्या से निपटने में मदद करता है, जिससे नींद कम हो सकती है।