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Carbonated Water : गैस और सूजन होने पर पिया जा सकता है कार्बोनेटेड वॉटर? चेक करते हैं इसके फायदे और नुकसान

गैस और अपच होने पर अक्सर हम एक ग्लास सोडा वाटर पी लेते हैं। सोडा वाटर के रूप में लिया जाने वाला कार्बोनेटेड वॉटर क्या वास्तव में पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
लो कैलोरी और नो शुगर वाला कार्बोनेटेड ड्रिंक फायदेमंद है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Jul 2023, 15:52 pm IST
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टीवी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा में यह दिखाया जाता है कि गोकुलधाम सोसायटी के लोग रोज रात काे खाना खाने के बाद 1-1 ग्लास सोडा वॉटर पीते हैं। भारत के घरों में यह आम बात है कि गरिष्ठ भोजन के बाद सोडा वॉटर का सेवन किया जाता है। गैस और ब्लोटिंग की प्रॉब्लम दूर करने वाली ड्रिंक के रूप में कार्बोनेटेड वाटर या सोडा वाटर लिया जाता है। इसे पीने के बाद डकार आती है और बेहतर महसूस होता है। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इसमें मौजूद बुलबुले पेट में फंस जाते हैं, जिससे पेट फूल जाता है। तो वास्तव में क्या माना जाए? कार्बोनेटेड वॉटर या सोडा वॉटर पाचन (carbonated water for digestion) के लिए अच्छे हैं या खराब? चलिए इस बारे में एक विशेषज्ञ से बात करते हैं।

कई तरह का होता है कार्बोनेटेड वॉटर (Carbonated water is not a substitute for plain water)

न्यूट्रिशनिस्ट कृति श्रीवास्तव कहती हैं, “कार्बोनेटेड वॉटर कई रूपों में आता है। इसमें सोडा वॉटर (Soda Water), स्पार्कलिंग वॉटर (Sparkling Water), फिज्जी वाटर (Fizzy Water) और सेल्टज़र वॉटर (seltzer water) भी शामिल हैं। दबाव के तहत पानी में कार्बन डाइऑक्साइड गैस डाली जाती है, जिससे छोटे-छोटे बुलबुले बन जाते हैं।”

कृति श्रीवास्तव इसके साथ ही यह भी कहती हैं कि इनमें से कोई भी वॉटर सादे पानी का विकल्प नहीं हो सकता। इसे हमेशा संतुलित मात्रा (Moderation) में लेना चाहिए। हर दिन एक ग्लास लो कैलोरी और लो शुगर वाले कार्बोनेटेड ड्रिंक (Carbonated Drink) लिए जा सकते हैं।

सादे पानी का कभी विकल्प नहीं हो सकते हैं सोडा वाटर। चित्र : अडोबी स्टॉक

अपच से राहत दिला सकता है कार्बोनेटेड वॉटर (Carbonated drink for Indigestion)

गैस और ब्लोटेड महसूस करने पर कार्बोनेटेड वॉटर पीना राहत भरा हो सकता है। आमतौर पर पेट में एसिड की अधिकता और अपच के कारण दर्द, उल्टी, सूजन, कब्ज और अन्य कई समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोगों के लिए एक गिलास कार्बोनेटेड पानी अपच की परेशानी को कम करने में मदद कर सकता है। इससे फंसी गैस को बाहर निकालने में मदद मिलती है। यह निगलने की क्षमता में सुधार कर ऐसा कर पाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि कार्बोनेटेड वाटर किसी भी अन्य पेय की तुलना में खाने के लिए जरूरी नर्वस को अधिक उत्तेजित करता है।

कम कैलोरी वाला विकल्प अपनाएं (Low Calorie Carbonated Drink)

शुगर और मोटापा के मरीज के लिए कार्बोनेटेड वाटर सही नहीं है। हालांकि इसमें मौजूद शुगर लेवल सभी के लिए हानिकारक है। न केवल अतिरिक्त चीनी दांतों के लिए हानिकारक है, बल्कि कार्बोनेटेड फॉर्म अवांछित वजन बढ़ने का कारण भी बन सकती है। यह कई स्वाद विकल्पों के रूप में मौजूद होता है। ताज़ा खट्टे फलों के रस से लेकर फलों के रस या कॉर्डियल्स तक यह स्पार्कलिंग पानी अच्छा विकल्प है। इसका अत्यधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही, हमेशा लो कैलोरी ड्रिंक का चुनाव करना चाहिए

कब्ज से भी दिला सकता है राहत (Carbonated Drink for constipation)

स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए पर्याप्त भोजन और फाइबर के साथ-साथ हाइड्रेशन भी जरूरी है। कार्बोनेटेड वाटर पानी का एक बड़ा स्रोत है, जो पाचन प्रक्रिया के माध्यम से भोजन को आंत में स्थानांतरित करने में मदद करता है। इससे बोवेल मूवमेंट में भी मदद मिल सकती है। इसे अल्कोहल के विकल्प के रूप में भी लिया जा सकता है। अध्ययन बताते हैं कि कार्बोनेटेड वाटर आम तौर पर मीठे पेय विशेष रूप से फ़िज़ी पेय की तुलना में स्वस्थ विकल्प है

हेल्दी कार्बोनेटेड ड्रिंक कब्ज से राहत दिलाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या फिज्जी ड्रिंक्स दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचाती हैं (Fizzy Drink is harmful for Enamel)

कार्बोनेटेड पानी में कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होता है। आम लोग मानते हैं कि यह दांतों के इनेमल में समा जाएगा। इससे कैविटी का खतरा बढ़ जाता है। कार्बोनेटेड पानी अम्लीय होता है, लेकिन इसका चयापचय अम्लता (Metabolism Acidity) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि संतुलित मात्रा में लिया जाए, तो इसका ओरल हेल्थ पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता है। फ़िज़ी पेय में मौजूद एडेड शुगर दांतों की सड़न (Fizzy Drink is harmful for Enamel) का कारण बन सकती है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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